एडिटर्स गिल्ड यानी संपादक पद नामधारी दलालों का गिरोह!
इस गिरोह ने कई बडे मीडिया घरानों के कुकर्मों पर कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन के बारे में बेहद मासूमियत भरा बयान जारी किया है।
अनिल जैन
एडिटर्स गिल्ड यानी संपादक पद नामधारी दलालों का गिरोह है. जी हां, कभी बेहद प्रतिष्ठित रही इस संस्था का चाल-चलन पिछले कुछ सालों से गिरोह जैसा ही हो गया है। इस गिरोह ने कई बडे मीडिया घरानों के कुकर्मों पर कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन के बारे में बेहद मासूमियत भरा बयान जारी किया है।
बयान में कहा गया है कि मीडिया घरानों को आगे आकर कोबरा पोस्ट के ऑपरेशन पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। इस बयान के जरिये यह आभास कराने की फूहड कोशिश की गई है कि मानो मीडिया की आजादी के नाम पर मीडिया घरानों के मालिक जो कुछ भी धतकरम करते हैं, उससे संपादक बिल्कुल अलग और अनजान रहते हैं। जबकि हकीकत तो यह है कि पत्रकारिता के नाम होने वाली हर चोरी, डकैती और लूट इन्हीं 'संपादकों' के 'मार्गदर्शन' में होती है।
यही नहीं, इक्का-दुक्का अपवादों को छोडकर तमाम 'संपादक', 'समूह संपादक', 'प्रधान संपादक' अपने मालिकों के कहने पर गिरे हुए से भी गिरा हुआ काम करने को तत्पर रहते हैं। पढने-लिखने के मामले में प्रचंड प्रतिभाविहीन इन पद नामधारियों को इनकी इसी तत्परता की वजह से उसे हर महीने पांच से लेकर पचास लाख तक बल्कि कहीं-कही इससे भी ज्यादा तनख्वाह (दलाली) मिलती है। ऐसे कई दलाल बेखबरी टीवी चैनलों पर बतौर वरिष्ठ पत्रकार इस या उस राजनीतिक दल का, खासकर सत्ताधारी दल का भजन-कीर्तन करते भी देखे जा सकते हैं।