जब अटल जी ने भाषण देने से पहले कहा कि बहुत तेज भूख लगी है भोजन के बाद ही भाषण होगा?

बचपन से संघ के प्रचारक बन गए अटल जी संघ से मिलने वाली दक्षिणा पर ही निर्भर थे

Update: 2019-12-25 06:44 GMT

जननायक अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती ठीक क्रिसमस के दिन आती है, यानी 25 दिसंबर को. सहृदय-दूरदर्शी राजनेता, संवेदनशील कवि. मित्रों और विरोधियों द्वारा समान रूप से चाहे जानेवाले अटल बिहारी वाजपेयी सच में एक जननायक हैं.

आज अटल जी की 95वीं जयन्तीं है. आज अटलजी के जन्मदिन पर पूरे दिन उन्हीं के बारे में बात करते हैं।

बचपन से संघ के प्रचारक बन गए अटल जी संघ से मिलने वाली दक्षिणा पर ही निर्भर थे। चांदनी चौक में संघ के दफ्तर में वो एक और प्रचारक जगदीश प्रसाद माथुर के साथ रहते थे।

जनसंघ के दौर में एक बार अटल जी एक चुनावी सभा करने जगदीश जी के साथ सीकर पहुंचे। सीकर के जाटिया बाजार में उनकी सभा का समय शाम चार बजे का था लेकिन, चुनावी सभाओं और जगह- जगह स्वागत के चलते उन्हें देर हो गयी।

मंच पर पहुंचते ही अटल जी ने माइक पकड़ा और कहा - कार्यक्रमों की व्यस्तता से सुबह से कुछ नहीं खाया है इसलिए अब तो भोजन के बाद ही भाषण होगा। तुरन्त ही मंच पर ही अटल जी और माथुर जी के लिए खाना लगा, उन्होंने खाया और फिर लम्बा भाषण हुआ।

1957 में अटल जी सांसद बन गए और माथुर जी सीकर से विधायक। माथुर जी के दिल्ली आने पर रिक्शे के पैसे नहीं होने के कारण दोनों मित्र चांदनी चौक से संसद तक पैदल जाते थे।

संसद पहुँच कर माथुर जी पुस्तकालय में बैठकर अटल जी के भाषणों के लिए संदर्भ इकट्ठा करते थे। कुछ समय बीतने के बाद एक शाम अटल जी ने माथुर जी को दिल्ली आने का न्योता दिया और उनके पहुँचने के बाद बोले - 'माथुर जी, दो दिन पहले वेतन मिला है, ऐश होगी। अगले दिन संसद से बाहर निकलकर दोनों ने कनाट प्लेस के लिए रिक्शा लिया। गांधी आश्रम से दो-दो जोड़ी धोती-कुर्ते खरीदे फिर रिक्शा कर चांदनी चौक गए और चाट खाई।

रूद्र प्रताप दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)

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