विश्व के कुछ भागो में रहने वाले धार्मिक कट्टर पंथी अपने अपने राष्ट्रों में मोरल पुलिसिंग का काम कर रहे हैं। ये देश धर्म के ठेकेदार पता नही क्यों और किसके आदेश से धर्म के ठेकेदार बनकर स्वयं को धर्मरक्षक घोषित कर रहे है। धर्म क्या है? और अधर्म क्या है? इस पर व्यापक बहस हो सकती है। धर्म तो ईश्वर प्रदत्त एक आचार संहिता है जो सम्पूर्ण विश्व में मानव जाती को आपस में जोड़ने का काम करती है। धार्मिक व्यक्ति सही मायने में वह होता है जो अपने धर्म पर चलकर किसी अन्य व्यक्ति को कभी लेस मात्र भी कष्ट नही देता है। विश्व भर में जितने भी तानाशाह, अधिनायक वादी हुए है उन सबने धर्म के नाम पर ही अपने निन्दमीय कर्मो को छुपाने का कार्य किया है।
आसाराम और हरियाणा के रामपाल यादव, लादेन अलजवाहरी ने धर्म का चोला पहनकर ही अनेक प्रकार के कुकर्म किये हैं। कोई भी धर्म दुनिया में किसी भी व्यक्ति को दूसरो पर अत्याचार करने की छूट नही देता है। यहाँ हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के बूचड़खाने बंद करने के निर्णय का स्वागत करते है परन्तु यह देखना होगा बूचड़खाने चलाने वालो का रोजगार भी चलता रहे। बूचड़खाने चलाने वालो के द्वारा देश की बहुसंख्यक शाकाहांरी जनता की भावनाओ के सम्मान की भी पूर्ण रक्षा हो। कानून की पालना द्वारा सभी पक्षों का सम्मान सुनिश्चित होना चाहिए। अत्याचारी शासको ने धर्म का आवरण लेकर ही अपनी कमजोर व्यक्तिवादी राज्य सत्ता को मजबूत करने का कार्य किया है। धार्मिकता और धर्म दो अलग अलग विषय है। दुर्भाग्य से हमारे देश में भी विश्व के अनेक भागो की भांति धर्म से अज्ञान व्यक्तियों द्वारा धार्मिकता का लबादा ओढ़कर राजनीती की जा रही है। धर्म की आड़ में राजनीती करने वालो की मोज हो रही है।
देश की जनता के समग्र विकास के मुद्दों की जगह अब देश में धर्म, मंदिर, गो-सेवा, गो माता, संस्कृति, मंदिर में विराजमान देवता धर्म छज की पताका ने लेली है। देश की जनता को भाषणों में भी अब तो धर्म की हैवी डोज पिलाई जा रही है। देश में सभी धर्मो के सुधारवादी पंडित मोलवियों की जगह धार्मिक कट्टरता व दुसरे धर्मो के प्रति दुराग्रह रखने को ही धर्म मानने वालो की मोज हो रही है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर प्रदेश के सभी यांत्रिक पशु कत्ल कारखाने बंद करने की घोषणा की थी। यहाँ गोरतलब होगा कि देश में चलने वाले अधिकांश यान्त्रिक पशु कत्ल कारखानों के मालिक मुस्लिम धर्मी नही है। भाजपा के ही एक नेता संगीत सोम स्वयं बीफ के मांस का निर्यात करने वाली दो कम्पनियां के मालिक बने हैं। ये बात मीडिया में आई थी। ये कम्पनियां अपने यांत्रिक कत्ल कारखानों में बीफ मांस तैयार करके उसे विदेशो में निर्यात करने का काम करती है। अधिकांश बीफ का मांस निर्यात करने वाली कम्पनियों के नाम अरबी के शब्दों की शुरुआत के नाम पर रखे गये है। जिससे पहली नजर में इन कम्पनियों के नामों से इनके मुस्लिम धर्मी होने की शंका होती है।
देश की 31 सबसे बड़ी बीफ का मांस निर्यात करने वाली कम्पनियों का स्वामित्व एक भी मुस्लिम धर्म के व्यक्ति के पास नही है। फिर भी बीफ के मांस से आसानी से मुस्लिमो को जोड़ दिया जाता है। एक और भाजपा अपने चुनावी घोषणा पत्र अनुरूप राज्य में अपनी सरकार बन जाने पर बूचडखाने बंद कर रही है, वहीं, दूसरी और भाजपा के नेता संगीत सोम कहते है कि किसी में दम नही है जो मेरे बीफ एक्सपोर्ट हाउस को बंद करवा दे। मेरी कम्पनियां पूर्णतया विधि सम्मत कार्य कर के सरकार को लाखों रूपये कर के रूप में देती हैं। भाजपाइयों का यह दोहरा आचरण देश में कोई नया नही है। भाजपा के केंद्रीय मंत्री किरण रीजुजू गाय के मांस खाने की स्वीकारोक्ति सरेआम कर चुके है और भाजपाई किसी गरीब के टिफिन में गाय का मास खोजते है। अब तक राम मंदिर को लेकर भी इनका दोहरा आचरण देश की जनता देख चुकी है। अपनी चुनावी सभाओ में ये जनता से वोट लेने के लिए कुछ भी वादे कर बैठते है और फिर सत्ता में आते ही अपने ही द्वारा किये वादों को चुनावी जुमले ककहर यूं टर्न लेना भाजपाइयों की चुनावी कला बनती जा रही है।
चुनावी सभाओं में इनके नेता वर्षो से ललकार रहे है कि हमे राम मंदिर बनाने से कोई रोक नही सकता है। वर्ष 1986-87 में लगाया इनका नारा आज भी देश को याद है। राम लल्ला हम आयेंगे मंदिर वही बनाएंगे पर तारीख नही बताएँगे। देश की जनता को 20वी सदी में मंदिर बनाने का नारा भाजपा के शीर्ष पुरुष लाल कृष्ण आडवाणी ने दिया था। 21वी सदी की शुरुआत में भी देश की जनता के लिए यह भाजपाइयों का नारा चुनावी सभाओ से बाहर निकलकर वास्तविक धरातल पर मूर्त रूप क्यों नही ले पाया इसका दुःख प्रत्येक देशवासी को होना चाहिए। हमारे देश की राजनीती 1980 से आज तक धर्म धार्मिकता की जुमलेबाजी में ही लगी रही है जबकि हमारे देश के समकक्ष अनेक राष्ट्रों ने 1980 से आज तक विकास की राजनीती करके अपने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है।
जापान, कोरिया, चीन, इंडोनेशिया, ताइवान, मलेशिया, वियतनाम सरीखे एशियाई राष्ट्रों का उदाहरण हमारे सामने हैं। हमारे देश के सामने आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, कृषिक्षेत्र में बहुत सुधार करने की आवश्यकता है। 1,000 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार होना चाहिए जबकि हमारे देश में यह आंकड़ा 32 हजार की जनसंख्या पर एक डॉक्टर की सोचनीय स्थित पर है। मानसून आधारित कृषि के कारण खेती करना किसानो के लिए जुआ बन गयी है। खेती एक ऐसा जुआ है जिसमे हारने पर हमारे देश के किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अच्छा होता भाजपा की सरकार अपनी चुनावी घोषणा अनुरूप उत्तर प्रदेश के कर्ज में डूबे किसानो का कर्ज माफ़ करने का काम करती। अपने अनेक चुनावी जुमलो की भांति भाजपा की केंद्र एवं राज्य सरकारे किसानों की कर्ज माफ़ी योजना की घोषणा को अब पूर्ण करने से मुकर रही है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी विवादित मुद्दों के बलपर सस्ती लोकप्रियता हांसिल करने के लोभ में फंसती दिखाई दे रही है। सबका साथ-सबका विकास का नारा अव गलियों में स्कुलो के बाहर नैतिक पुलिस का पहरा लगा रहा है। भाई बहन के प्यार को भी अब उत्तर प्रदेश की पुलिस अनेतिक मान रही है। घर के बाहर निकल ने पर अब परिवार के नव युवा भी अचानक राज्य की मोरल पुलिस के डंडे का शिकार बन रहे है।
देश प्रदेश की सरकारे लोन डिफाल्टर उद्योग पतियों की सेवा में लगकर राष्ट्रधर्म का पालन कर रही हैं। विजय माल्या के साथ उन जेसे देश के मुट्ठी भर लोग बेंको के लाखो, करोडो रूपये खाकर सार्वजानिक धन से मोज कर रहे हैं। केंद्र की सरकार बेंको का मोटा धन दबाए बैठे सफेद पोश अपराधियों की चिंता में लगी उनके लोन माफ़ कर रही है। देश के प्रधानमंत्री लालकिले से देश की जनता को अपने भाषणों से भरोसा दिला रहे है कि मैं देश का प्रधानमंत्री नही आपका प्रधान सेवक हूँ मैं ना खाऊंगा, ना ही किसी को खाने दूंगा। क्या अजब तमाशा इन दिनों हमारी आँखों के सामने हो रहा है।
हमारे देश की जनता चुनावो में सच और झूठ का फैसला करने की ताकत रखती है परन्तु आज देश के भांड रूपी चरित्रहीन मीडिया ने देश की जनता के सामने सच के अलावा असत्य परोसने की कसम खा रखी है। दुर्भाग्य से देश में 24 घंटे चलने वाले मीडिया चैनलों से आज जनता के सवाल गायब हैं। देश की सरकार के झूठ को पकड़ने के बजाय पत्रकार कोठे की बिकाऊ पत्रकारिता कर के सत्ताधारी दलों के झूठ को फैलाने की कीमत वसूल करने में लगे हैं। हरदम सनसनी खेज खबरों की तलाश करने वाली पत्रकारिता देश में भड़काऊ बयानवीर नेताओ के पीछे भाग रही है।
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किये गये सनसनी फैलाने वाले निर्णय जल्द ही राज्य के प्रशासन को भयभीत कर सकते है। अच्छा होता कि योगी सरकार अपने प्रशासन को विकास मुखी चुस्त दुरुस्त बनाकर उसे जनता की सेवा के लिए समर्पित करतीI प्रदेश की जतना को तब सही मायने में सरकार बदलने का भी आभास होताI बूचड़खाने के बड़े मालिको को अभयदान देना और गरीब की दुकान पर सरकारी बुलडोजर फेरना भाजपा और योगी सरकार के लिए लाभदायक नही होगाI साम्प्रदायिक भावनाओ का ज्वार जितना जल्दी उठता है उतना ही शीघ्र यह ज्वार उतर भी जाता है। लम्बे राजनेतिक वनवास के बाद उत्तर प्रदेश में बनी भाजपा की सरकार को अपनी नीतियों से ही आलोचकों का मुह बंद करके सभी आशंकित शंकाओ का निवारण भी करना होगा। जनता द्वारा मिले विराट जन समर्थन को बरकरार रखना किसी के लिए भी आसान नही होता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी यह जनसन्देश समझकर कार्य करने की आवश्यकता है।
मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान