जली रोटी खा रहा जवान, मूत्र पी रहा किसान, क्योंकि बदल रहा है हिंदुस्तान!
देश में इस समय किसानों की समस्या को लेकर बीते कई दिनों से तमिलनाडू के किसान जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे है. कभी निर्वस्त्र होकर पीएम हॉउस की तरफ दौड़ लगा रहे है तो कभी अपना मूत्र पीकर विरोध कर रहे है. देश की राजनीति में इतनी घिनौनी हरकत पीएम हॉउस के बगल में, राष्ट्रपति भवन के बगल में, संसद भवन के बगल में घटित हो रही है लेकिन हमारे देश के सभी समाज सेवक सोये हुए है. कोई जाकर इनको ढांढस नहीं बंधा रहा है क्योंकि ये इस के अलावा कुछ नहीं कर सकते है.
इसी तरह सेना में खाने पीने के समान को लेकर कई सैनिकों ने अपने वीडियो वायरल किये इनमें एक सैनिक को उसके वीआर एस लेने के बाबजूद भी सेना से बर्खास्त कर दिया जाता है. सिर्फ इस कारण उसने अंदर की बात बाहर तक पहुंचा दी सिर्फ इस दोष के कारण उसकी नौकरी और पेंशन छीन ली गई. या कोई और कारण हो एसा नहीं लगता. देश का जवान जब किसी भी मौसम में हमें सुरक्षा प्रदान करता है तब हमें खूब अच्चा लगता है लेकिन जब वो अपने खाने पर कुछ भी बोल देता है तो वो सबसे बड़ी गलती कर देता है. ये क्या प्रजातंत्र का हनन नहीं है.
आपको बता दें जब जब जवान और किसान ने जिस सत्ता के खिलाफ हुंकार भरी है वो सत्ता तांश के पत्तों के भांति भरभरा कर गिर गई है. किसान अन्नदाता है तो जवान हमें सुरक्षित जिन्दगी जीने का हक़ मुहैया कराता है. अगर अन्नदाता मूत्र सेवन करेगा मल का सेवन करेगा तो क्या होगा इस देश का. ठीक है कहा है कि जली रोटी खा रहा जवान, मूत्र पी रहा किसान, क्योंकि बदल रहा है हिंदुस्तान! वाह रे हिंदुस्तान , वाह रे हिंदुस्तान!