युनुस खान का सियासी मोहरा था आनंद पाल, जब तक चाहा खेला फिर तोड़ डाला!
समय बदल गया लोकतंत्र के रूप में स्वतंत्र भारत के उदय होने के साथ ही सत्ता पर कब्जा करने के लिए फिर से तिकड़मी नेताओं ने राजनीती की नई बिसात बिछाकर देश में छल कपट का खेल शुरू कर दिया..
हमारे देश में राजाओं के शासन के समय भी राज परिवार के महलों की जनाने निवास से लेकर बादशाहों के हरम राजनीती की कुटिल चालो के केंद्र होते थे। राजाओं के शासन में भी राज्य सत्ता को हथियाने के लिए घात प्रतिघात छल कपट के खेल खेले जाते थे। शक्ति के इस खेल में हारने वाले के मुकद्दर में फिर उम्र भर केद या फिर प्राणों की बलि आती थी। इतिहास के पन्नो में इस प्रकार के हजारो किस्से कहानियाँ दर्ज है। मर्यादा पुरुष भगवान राम को मिले वनवास का कारण भी एक राजनेतिक षड्यंत्र था, जिसको राजा दशरथ की पत्नी ने ही रचा था। समय बदल गया लोकतंत्र के रूप में स्वतंत्र भारत के उदय होने के साथ ही सत्ता पर कब्जा करने के लिए फिर से तिकड़मी नेताओं ने राजनीती की नई बिसात बिछाकर देश में छल कपट का खेल शुरू कर दिया। फर्क अब इतना है की राज्य सत्ता को प्राप्त करने के लिए अब छल कपट करने वाले चेहरे और कथानक बदल गये हैं।
राजनीती के आज के इस दोर में धार्मिक उन्माद भरना, अपराधियों का जातीय करण करके उनको राजनेतिक संरक्षण प्रदान करना आज के भारत के नेताओं का प्रिय शगल रहा है। देश में स्वस्थ राजनैतिक मूल्यों के आधार पर आज राजनीती करने वाले नेता कम ही बचे हैं। राजनीती के शिखर पर चढ़ने की जल्दी के कारण राजनीती का माफिया करण हो गया है। देश में बिहार राज्य के धनबाद जिले से सर्वप्रथम कोयला माफिया के रूप में बाहुबली नेताओं का राजनीती में प्रादुर्भाव हुआ था जो फिर सम्पूर्ण देश में फेल गया। देश के उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अनेक राज्यों में बाहुबली अपराधियों की सक्रिय राजनीती में गहरी भागीदारी देखी जाती है। पहले नेता अपराधियों का इस्तेमाल करके चुनाव जीतते थे अब अपराधी स्वयं बाहुबल, धनबल से चुनाव जीतकर सांसद विधायक बन रहे हैं। राजनेताओ के द्वारा भाष्मासुर अपराधी पैदा करने के रीति रिवाज राजस्थान प्रदेश में कम ही सुने जाते थे परन्तु हाल के वर्षो में दूसरे राज्यों की अपेक्षाकृत शांत माने जाने वाले राजस्थान राज्य में भी नेताओ ने जातीय अपराधियों को तैयार करना शुरू कर दिया है।
राजस्थान राज्य में जाट जाति मूल रूप से खेती करने वाली जाति है और राजपूत समाज राज्य का शासक और सामंत रहा है। सामंत के रूप में राजपूत जाती के दबंगों की राठोडी का शिकार जाट जाति बनती रही है। देश की आजादी के पश्चात जाट जाति मूल रूप से कांग्रेस पार्टी की समर्थक बन गयी। वहीं, राजपूत जाति अपनी जागीरदारी छिनने के कारण कांग्रेस पार्टी की घोर विरोधी बन गयी। राजस्थान के शेखावाटी, मारवाड़ अंचल में जाट राजनीती कांग्रेस पार्टी की सरकारों का साथ मिलने के कारण खूब परवान चढ़ी। समूचे शेखावाटी, मारवाड़ क्षेत्र के जिलों में जाट जाति के विधायक सांसद कांग्रेस पार्टी के टिकिट पर चुनाव जीतते रहे है। भाजपा की सरकार के वर्तमान मंत्री युनुस खां ने कांग्रेस पार्टी की सियासी काट के रूप में राजपूत, मुस्लिम, बनिया, ब्राह्मण जाती का एक नया समीकरण भाजपा को विजय बनाने के लिए बनाया। यहाँ गोरतलब होगा की यूनुस खां के अपने विधान सभा क्षेत्र डीडवाना में मुस्लिम, राजपूत, जाट जाति के तीन जातीय समूह है। इनमें दो जातीय वर्ग को जोड़कर यूनुस खां विधायक बनते रहे है। यूनुस खां की विधान सभा में रूपा राम डूडी यूनुस खां के विरोधी जाट जाति के दबंग नेता रहे है। इनके समय डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में जाट जाति के अपराधियों का क्षेत्र में बोलबाला था।
जीवन राम गोदारा के अपराधिक जीवन को कांग्रेस के जाट नेताओ का खुला संरक्षण मिला हुआ था। आनंद पाल के बल पर यूनुस खां क्षेत्र में जाटो की दबंगई को समाप्त करके समुचे नागौर, चूरू, झुंझुनू जिलों में राजपूत, मुस्लिम, बनिए, ब्राह्मण का गठजोड़ बनाकर इन जिलो में भाजपा को स्थापित करना चाहते थे। इसी कड़ी के तहत आनंदपाल ने एक दिन सरेआम दिन दहाड़े जीवन गोदारा की ह्त्या कर दी। यूनुस खां के साथ नागौर, चुरू जिलों के भाजपा के राजपूत मंत्री खुलकर फिर आनंद पाल को राजनैतिक संरक्षण देने लगे। अनेक मामलो में आनंद पाल की गुण्डागर्दी के बल पर मकराना की मार्बल खदानों पर कब्जे करने से लेकर जमीनों पर कब्जे करने के मामलो में फिर युनुस खां के परिवार के सदस्यों के नामो की धूम समूचे राजस्थान में सुनी जाने लगी। वर्ष 2013 के विधान सभा चुनावों में आनंद पाल ने खुलकर युनुस खां को चुनाव जिताने में मदद की।