क्या आप जानते हैं लोग नींद में क्यों बातें करते हैं? जानिए वजह, बन सकती है मुसीबत

Update: 2017-06-17 07:45 GMT
नई दिल्ली : अक्सर आपने देखा और सुना होगा कि कई लोग रात में सोते वक्त नींद में बाते करने लगते हैं। जिससे ना सिर्फ उनकी नींद अधूरी रह जाती है, बल्कि कई बार दूसरों को भी परेशानी होती है। लेकिन क्या आप जानते है ऐसे लोग नींद में क्यों बड़-बड़ाते हैं। ऐसा क्यों होता हैं? जानिए वजह।

दरअशल नींद में बड़बड़ाना खुद में भले ही कोई बीमारी ना हो लेकिन ये आपके खराब स्वास्थ्य की तरफ इशारा करती है। नींद में बोलना व बाते करना 'पैरासोमनिया' कहलाता है, जिसका अर्थ होता है सोते समय अस्वाभाविक व्यवहार का करना। लेकिन ये एकदम समान्य बात होती हैं इसे किसी प्रकार की बीमारी का रूप नहीं दिया जा सकता।

लेकिन नींद में चीखना-चिल्लाना एक परेशानी जरूर है। सोते हुए चीखने-चिल्लाने या हाथ-पैर चलाने की आदत डिमेंशिया (निद्रारोग) अथवा पार्किंसन जैसी बीमारियों के लक्षण होते हैं। इस बीमारी को 'आरईएम स्लीप बिहैवियर डिसआर्डर' कहा जाता है। आरईएम नींद वो नींद है जिस दौरान इंसान सपने देखता है। ऐसे में उस व्यक्ति को किसी साइकोथैरेपिस्ट से मिल कर सलाह लेनी चाहिए।

कई बार नींद में बड़-बड़ाने की वजह सपने भी होते हैं, हम सपने देखते हुए नींद में बाते करने लग जाते हैं। बस उन्हें यह एहसास नहीं होता कि वे सच में बात कर रहे हैं। अगर आपको नींद में बहुत ज्यादा बात करने की समस्या हो तो आप किसी साइकोथैरेपिस्ट से मिल सकते है। इसे हम कोई बीमारी नहीं बोल सकते, लेकिन इसको कम करने के लिए आप योग का सहारा ले सकते हैं, जिससे मन शांत रहेगा और आप नींद में बात करना कम कर देंगे।

अगर आप किसी के साथ अपना कमरा शेयर करते है तो उसे बोलें कि वो आपकें बड़बड़ाने पर आपको जगा दें, इससे आप ठीक ढंग से सो सकेंगे। आप दो सप्ताह का पूरा डिटेल उसमें लिखें, जैसे कितने बजे आप सोने गए, कब सोए, कब उठे, कब बड़बड़ाए, आप कौन सी दवा का सेवन करते है आदि नोट करें।

इससे आपको डॉक्टर को समझाने में भी मदद होगी। इसमें आप आपने दोस्त या घर वालोंकी मदद लें सकते है। साथ सोने जाते समय चाय, कॉफी आदि के सेवन से बचें।

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