रक्षाबंधन हिन्दू संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक यह पर्व पूरे देश में अत्यन्त हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार 7 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा लेकिन इस दिन सुबह 11 बजकर 07 मिनट तक भद्रा रहेगी। भद्रा एक दिन पहले 6 अगस्त को रात 10.28 बजे शुरू हो जाएगी।
नए साल 2017 में इस बार वार-त्योहार पर खास योग-संयोग रहेंगे। इस बार रक्षाबंधन पर बहनों को भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए सिर्फ 2 घंटे 45 मिनट ही मिलेंगे। उसमें भी अगर शुभ और मंगलकारी समय को शामिल कर लें तो मात्र ढाई घंटे ही राखी बांधने का समय बचेगा। रक्षाबंधन पर जहां सुबह भद्रा रहेगी, वहीं शाम को चूड़ामणि चन्द्रग्रहण का सूतक रहेगा। ऐसे में पूर्वाह्न 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक राखी बांधी जा सकेगी।
इस वर्ष रक्षाबंधन पर खंडग्रास चंद्रग्रहण रहेगा। ग्रहण व भद्रा के चलते बहुत कम समय ही रक्षाबंधन के लिए श्रेष्ठ रहेगा। 7 अगस्त दिन सोमवार को पूर्वार्ध की भद्रा रहेगी। शास्त्रानुसार भद्रा दिन में त्याज्य मानी जाती है। रक्षाबंधन के दिन 10 बजकर 24 मिनिट तक भद्रा रहेगी। वहीं ग्रहण का सूतक दोपहर 1 बजकर 29 मिनिट से प्रारंभ होगा। यद्यपि रक्षाबंधन के दिन भद्रा का वास पाताललोक में होने के कारण यह विशेष अशुभ नहीं होगी। मृत्युलोक की भद्रा विशेष अशुभ मानी जाती है। अत: रक्षाबंधन के मुहूर्त में सूतक व भद्रा विचार आवश्यक है।
रक्षाबंधन का श्रेष्ठ मुहूर्त-
अभिजित मुहूर्त- 12:00 से 1:00 बजे तक दिन में
लाभ- 3:00 से 4:30 बजे तक दोपहर
अमृत- 4:30 से 6:00 बजे तक सायंकाल
(ग्रहण का सूतक 1 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होने के कारण रक्षाबंधन केवल लाभ, अमृत व अभिजित काल में ही किया जाना उचित है। रात्रि में श्रेष्ठ मुहूर्त का अभाव है।)
रक्षा बंधन पर्व मनाने की विधि : रक्षा बंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुमकुम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं। इसके बाद भाई की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बांधती हैं और मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं।राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं उपहार व धन देता है। बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है। इस दिन बहनों के हाथ से राखी बंधवाने से भूत-प्रेत एवं अन्य बाधाओं से भाई की रक्षा होती है। जिन लोगों की बहनें नहीं हैं वह आज के दिन किसी को मुंहबोली बहन बनाकर राखी बंधवाएं तो शुभ फल मिलता है। चांदी एवं सोना शुद्ध धातु माना जाता है। इन दिनों चांदी एवं सोनी की राखी का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है अतः इनकी राखी बांधी जा सकती है लेकिन, इनमें रेशम का धागा लपेट लेना चाहिए।
मिथिलेश त्रिपाठी