गौमांस की आड़ में देश को गृह युद्ध की तरफ धकेला जा रहा है -अजमेर दरगाह दीवान

Update: 2016-07-28 14:10 GMT

जयपुर (भाषा)


 सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीन अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि गाय अतीत काल से हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है, इसलिये मुसलमानों को गौवंश की रक्षा में अपना सकारात्मक योगदान देकर मिसाल कायम करनी चाहिये।

दरगाह के दीवान ने कहा कि गौमांस की आड़ में देश का माहौल सांप्रदायिक करने वालों को एहतियात बरतना चाहिये जिससे दोनों सम्प्रदायों के बीच विश्वास की भावना कायम हो। दरगाह दीवान ने आज जारी बयान में इस बात पर चिंता जाहिर की कि कुछ शरारती तत्व गौमांस के मुद्दे पर देश का माहौल बिगाड़कर देश को 'गृहयुद्ध' की तरफ धकेल रहे हैं और ऐसा नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस तरह के मुद्दे देश में सदियों से आपसी मेलजोल से रह रहे दो संप्रदायों के बीच खाई के रूप में अपनी जड़ें जमा रहे हैं । अगर हिंदू मुसलमान से खौफ खाएगा और मुसलमान हिंदू से डरेगा तो देश सिर्फ और सिर्फ विनाश की ओर जाएगा। खान ने कहा कि विभाजन के काल में गाय को सांप्रदायिकता से जोड़कर देखा गया और गाय को लेकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की कोशिश मुस्लिम लीग ने की थी, इसलिए दंगा कराने के लिए गौमांस को मंदिरों में फेंकना, गाय की हत्या करना, यह एक आदत थी। लेकिन कुछ संगठन स्वतंत्र भारत में मुस्लिम लीग की विचारधारा और मिशन को आगे बढ़ाते हुऐ गौहत्या और गौमांस के मामले को सांप्रदायिक बनाते हुए हिंदू मुस्लिमों के बीच विवाद का रंग देने की कोशिश में लगे हंै।

उन्होंने कहा कि गाय हिंदुओं की आस्था का प्रतीक रही है, लेकिन आज गौमांस का यह मुद्दा धर्म का एक नया हथियार बन चुका है जिससे विश्व में भारत की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। 

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