गुजरात हाईकोर्ट ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को हिंसा के एक और मामले में आज सर्शत जमानत दे दी जिसके साथ ही उनके करीब नौ माह बाद जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। गत आठ जुलाई को हाई कोर्ट के न्यायाधीश ए जे देसाई की अदालत ने उन्हें सूरत और अहमदाबाद में दर्ज राजद्रोह के दो मामलों में भी सर्शत जमानत दी थी जिसमें उन्हें रिहाई के बाद से 6 माह तक राज्य से बाहर रहने की शर्त भी शामिल थी। इसकी उन्होंने स्वयं ही पेशकश की थी।
आपको बता दें हार्दिक पटेल को विसनगर हिंसा मामले में भी जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा है कि अगले नौ महीने तक वह मेहसाणा जिले में प्रवेश नहीं कर सकते.
22 साल के हार्दिक को अक्टूबर, 2015 में गुजरात पुलिस ने राजकोट से गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ अगस्त के पटेल आंदोलन की हिंसक घटनाओं और सूरत में अपने एक समर्थक को खुदकुशी करने की बजाय पुलिसवालों को मारने की सलाह देने को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया था. राजद्रोह के ये अलग-अलग मामले अहमदाबाद और सूरत के अमरोली में क्राईम ब्रांच ने दर्ज कराए थे.