मधुबनी: यहाँ दूल्हे का इंटरव्यू के बाद तय होती है शादी, 700 साल पुरानी परंपरा

After the groom's interview marriage is decided 700 years old tradition;

Update: 2017-06-18 05:58 GMT
मधुबनी: मौजूदा दौर में जीवनसाथी चुनने के लिए तमाम वेबसाइट हैं, जहां एक-दूसरे की पसंद-नापसंद के आधार पर लड़का-लड़की शादी करते हैं। इसके अलावा देश भर में वर-वधू सम्मेलन भी होते हैं, लेकिन बिहार के मधुबनी जिले में सौराठ सभा एक ऐसी जगह है जहां 700 सालों से दूल्हों की एक सभा होती आ रही है, जिसमें दूल्हों का इंटरव्यू लेकर उन्हें चुना जाता है।

इस मेले में शादी के इच्छुक लड़के अपने परिजनों के साथ आते हैं और लड़की पक्ष उसका वहीं इंटरव्यू लेकर उसी के अनुसार शादी प्रक्रिया बढ़ाता है। वहां मौजूद पंजीकार यह सुनिश्चित करते हैं कि सात पीढ़ियों में इनके बीच कोई ब्लड रिलेशन न हो। पहले लाखों लोग यहां आते थे लेकिन समय के साथ तमाम संसाधनों के डिवेलप होने से यहां आने वाले लोगों की संख्या में कमी हुई है।

बताया जाता है कि 14वीं शताब्दी में दरभंगा महाराज ने इसकी शुरुआत कराई थी। 22 बीघे क्षेत्र में लोग एक उद्देश्य लेकर आते थे। मिथिला लोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉक्टर बीरबल झा बताते हैं कि उस जमाने में शादी के लिए आने वाले दूल्हों का शास्त्रार्थ होता था और लड़की वाले पसंद के लड़कों को ले जाते थे और तब शादी होती थी। अब के दौर में लड़के की शिक्षा और नौकरी पर ज्यादा फोकस रहता है। इस बार 25 जून से 3 जुलाई तक ये सभा होगी।

इस सभा में पंजीकार का रोल अहम होता है। इलाके के हिसाब से अलग-अलग पंजीकार हैं और उनके पास मिथिलांचल के तमाम लोगों का रेकॉर्ड मौजूद होता है और उन्हीं रेकॉर्ड से वह पिछली सात पीढ़ियों का रेकॉर्ड छान लेते हैं। हिंदू मैरिज ऐक्ट 1955 में सपिंडा रिलेशन में शादी नहीं होती यानी पिता की 5 और मां की 3 पीढ़ियों में शादी वर्जित है लेकिन यहां 700 सालों से रेकॉर्ड रखा गया है और 7 पीढ़ियों में शादी वर्जित है।

मधुबनी की सौराठ सभा के पंजीकार विजय चंद्र मिश्र ने बताया कि सौराठ में 1332 ईसवी से लोगों का रेकॉर्ड रखा जा रहा है। तमाम कारणों से ये खराब भी हुए, लेकिन मौजूदा समय में करीब 15 से 20 पीढ़ियों का रेकॉर्ड उपलब्ध है। इतना बदलाव जरूर आया है कि पहले जो रेकॉर्ड भोजपत्र में लिखा जाता था, अब उसे कंप्यूटर में दर्ज कर दिया जाता है।

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