नरेंद्र मोदी सरकार के विस्तार में जदयू को शामिल नहीं करने को लेकर कई कयास लगाए जा रहे है. इस मुद्दे को लेकर नीतीश के पुराने सहयोगी लगातार हमला बोल रहे हैं.लेकिन जदयू के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मोदी कैबिनेट में जदयू में शामिल नहीं होने के पीछे शिवसेना और एआईडीएमके जैसी सहयोगी पार्टियों की अंदरुनी डिफरेंसेस है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी जदयू नेता का दावा है कि मोदी सरकार में जदयू के शामिल होने के लेकर कई विवाद नहीं है बल्कि एनडीए के दूसरी सहयोगी पार्टियों के बीच तालमेल नहीं होने कारण इसे आगे के लिए टाल दिया गया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिवसेना केंद्र सरकार में ज्यादा शेयर की मांग कर रही थी और तमिलनाडु में AIADMK की सरकार अभी stable नहीं है. इसी वजह से मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में सहयोगी पार्टियों को शामिल नहीं किया गया. हालांकि जदयू के इस नेता का कहना है कि प्रधानमंत्री के चीन दौरे से वापस लौटने के बाद मोदी कैबिनेट का एक छोटा विस्तार संभव है जो सिर्फ सहयोगी पार्टियों के लिए हो सकता है.
आपको बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अमित शाह के निमंत्रण पर जदयू एनडीए में शामिल होने का फैसला कर चुकी है. बीजेपी के सीनियर नेता और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी साफ कहा कि जदयू एनडीए का नेचुरल अलायंस है. उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि बीजेपी और जदयू में किसी बात को लेकर मतभेद है. जदयू के मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कोई विवाद नहीं है.
उधर, मोदी कैबिनेट में जदयू के शामिल नहीं होने के मुद्दे पर राजद ने तंज कसा है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने ट्वीट कर नीतीश पर तंज कसते हुए लिखा कि खूंटा बदलने से क्या भैंस ज्यादा दूध देगी? इससे पहले राजद प्रमुख ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर मजाक उड़ाते हुए लिखा था कि झुंड से भटकने के बाद बंदर को कोई नहीं पूछता.
आपको बता दें कि शनिवार तक यह कयास लगाये जा रहे थे कि जदयू की तरफ से आरसीपी सिंह और रामनाथ ठाकुर मोदी कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं. हालांकि सीएम नीतीश कुमार ने पत्रकारों के सवाल पर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा था कि मुझे इस बात की जानकारी मीडिया के जरिए ही मिल रही है.