पटना: बिहार में सरकार के घटक दलों में चल रहे वाकयुद्ध में अब राज्य के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बीजेपी नेता सुशिल कुमार मोदी पर हमला बोला है. यह हमला उन्होंने फेसबुक के माध्यम से बोला है.
तेजस्वी ने लिखा
सुशील मोदी जी ने कल कहा कि लालू प्रसाद जी में हिम्मत नहीं है कि वे गठबंधन तोड़ दें। हँसी आती है इनकी बातों पर। हिम्मत की बात भी सुशील मोदी उस शख़्स से कर रहे है जिसने लगातार तीन दशक से भाजपा की नकारात्मक राजनीति के मंसूबों को रौंदा है। उसी लालू प्रसाद ने अंगद की तरह पाँव जमाकर बिहार को संघी आग से लगातार बचाया है। सुशील मोदी ज़रा उस सूरमा का नाम तो बताए जिसने आडवाणी के साम्प्रदायिक रथ का चक्का जाम कर दिया? देश में किसके पास थी इतनी हिम्मत? उसी रथयात्रा के प्रबंधक नरेंद्र मोदी जब दो दशक बाद अपनी अपनी सारी ताकत झोंक कर बिहार जितने आए तो किसने अपनी हिम्मत से उनके सारे सपनों को मसल दिया?
आपकी हिम्मत कहाँ गुम हो जाती है जब आडवाणी खेमे का होने के बावजूद अपनी राजनीति बचाने के लिए खून का घूँट पीकर भी आज मोदी-शाह की चापलूसी के महल खड़ा करते नज़र आते हैं? अरे, हिम्मती तो वो होता है जो विषमताओं से लड़ते हुए सिद्धांतों के लिए खत्म हो जाता है, सूखी रोटी खा लेता है पर चापलूसी की बीन नहीं बजाता है। हिम्मत क्या होता है यह आप क्या जानें? जब नरेंद्र मोदी के सम्मान में आयोजित भोज को रद्द किया गया तो आपकी हिम्मत कहाँ विचरण कर रही थी? अगर हिम्मत थी तो, तोड़ देते गठबंधन। त्याग देते उप मुख्यमंत्री पद। छोड़ देते सत्ता की मलाई! सुशील मोदी जी, आडवाणी खेमे का होने का यह मतलब तो नहीं कि पार्टी के नेताओं का पक्ष भी ना लें?
अगर हिम्मत थी तो आपके सांसद और अन्य नेताओं के पैसे लेकर टिकट बाँटने के आरोप पर पार्टी से इस्तीफा क्यों नहीं दिया? लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे के वाजिब क्रोध का जवाब देते क्यों नहीं बना? भोला सिंह, कीर्ति आज़ाद, गोपाल नारायण सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा के वाज़िब और तर्कपूर्ण आरोपों पर तथ्य दर तथ्य जवाब क्यों नहीं देते? हिम्मत की बात सकारात्मक लोग करते है, नकारात्मक नहीं। महागठबंधन मज़े से चल रहा है, आप गठबंधन टूटने की बात कर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को गुमराह करते है ताकि वो आपके इर्द-गिर्द मँडराते रहे और आपकी काग़ज़ी ताक़त में कोई कमी ना सकें।