मोदी सरकार ने राजनीति में भ्रष्टाचार का वह रूल तोड़ दिया!

इस देश का हर भ्रष्टाचारी नेता दूसरे विपक्षी भ्रष्टाचारी नेता को हमेशा इसी शक की निगाह से देखेगा

Update: 2017-07-15 07:03 GMT
लालू यादव एंड फैमिली और उनके समर्थक इस बात पर आगबबूला हैं कि सवर्ण सरकार, सवर्ण मीडिया, सवर्ण न्यायपालिका और सवर्ण लोग मिलकर सामाजिक न्याय की लड़ाई के अगुआ का शिकार कर रहे हैं। यह सच तो है मगर यह नहीं समझ आ रहा है कि सच मानने के बाद आखिर इस मामले में ऐसा होना क्या चाहिए, जिससे लालू परिवार और उनके समर्थकों की नाराजगी दूर की जा सके?

पहला विकल्प तो यह है कि चूंकि लालू यादव एंड फैमिली सामाजिक न्याय की लड़ाई के अगुआ हैं इसलिए देश में जब तक सामाजिक न्याय हो न जाये, तब तक लालू क्या, सामाजिक न्याय की लड़ाई के हर नेता और दलित-पिछड़ी-शोषित जनता के खिलाफ लगने वाले हर आरोप को राजनीतिक विद्वेष मानकर सवर्ण सरकार, सवर्ण मीडिया, सवर्ण न्यायपालिका और सवर्ण लोग आंख-नाक-कान-मुंह बंद करके बैठ जाएं। और किसी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करनी भी है तो केवल सवर्णों के खिलाफ ही करें। सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रही जनता और उसके नेता भ्रष्टाचारी हैं या नहीं, इसका फैसला तब तक के लिए टाल दिया जाए, जब तक कि इस देश में दलित-पिछड़ा सरकार, दलित-पिछड़ा मीडिया, दलित-पिछड़ा न्यायपालिका का गठन न हो जाये।

दूसरा विकल्प यह हो सकता है और जिसकी मांग लालू एंड फैमिली और उनके समर्थक कर भी रहे हैं कि लालू परिवार पर तब तक कोई कार्रवाई न की जाए, जब तक कि इस देश के हर सवर्ण आरोपी नेता पर भी इसी तरह की जबरदस्त कानूनी कार्रवाई की शुरुआत न हो जाये। मतलब यह कि सवर्ण हो या दलित - पिछड़ा, सब आरोपियों के खिलाफ जोरदार कानूनी अभियान छेड़ा जाए। यहां तक कि सरकार और सत्ताधारी पार्टी में बैठे सवर्ण नेताओं को भी न बख्शा जाए।

हालांकि यह विकल्प सिवाय कल्पना के कुछ नहीं है क्योंकि ऐसा होना होता तो इस देश से भ्रष्टाचार कब का गायब नहीं हो गया होता? हमारे देश में ऐसा भला कैसे संभव है कि कोई सरकार या दल अपने ही नेताओं या मंत्रियों को लूट की खुली छूट न दे? लालू जी आज भले ही केंद्र की भाजपा सरकार पर राजनीतिक विद्वेष के चलते खुद को फंसाए जाने का आरोप लगा कर और भाजपा के भ्रष्टाचारियों को पकड़े जाने को लेकर हाय-तौबा मचा रहे हों लेकिन खुद उनसे भी तो यह पूछा जा सकता है कि वह खुद जब-जब राज्य या केंद्र की सत्ता में रहे हैं तो उन्होंने क्यों नहीं अपने मंत्रालय या राज्य में भाजपा के भ्रष्टाचारियों को धर दबोचा?

जब वह जानते ही हैं कि भाजपा में कौन कौन भ्रष्टाचारी है, तो उन्होंने क्यों नहीं सबको जेल भिजवा दिया? क्या होता ज्यादा से ज्यादा, यही न कि लोग यही कहते कि लालू राजनीतिक या जातिगत विद्वेष के चलते ऐसा कर रहे हैं? लेकिन लालू ने कभी ऐसा नहीं किया और चूंकि ऐसा नहीं किया तो उन्हें भी उम्मीद थी कि भाजपा हो या कोई और दल, कोई भी ऐसा नहीं करेगा।

क्योंकि हमारे देश के नेता लगभग हर मुद्दे पर लड़कर और जनता को लड़ाकर नफरत की खेती से वोटों की फसल तो काट लेते हैं लेकिन भ्रष्टाचार के मसले पर सभी बड़ी ईमानदारी से एक दूसरे के साथ खड़े हो जाते हैं। क्या सवर्ण, मुसलमान और क्या पिछड़ा-दलित, सब आरोपी-भ्रष्टाचारी नेता बड़ी ही खामोशी से दोनों हाथों से देश लूटने के महान काम में एकजुट होकर अपना-अपना योगदान देते रहते हैं।

और यही वजह है कि लालू एंड फैमिली की गिरफ्तारी पर इतना हंगामा बरपा हो गया है? दरअसल, मोदी सरकार ने राजनीति में भ्रष्टाचार का वह रूल तोड़ दिया है, जिसे खामोशी से अब तक की हर सरकार, राजनीतिक दल और नेता मानता आया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि अपने दामन में दागदार नेताओं को बिठाकर किसी राजनीतिक दल और सरकार ने विपक्षी दल के दागदार नेताओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।

यह ऐसी हरकत है, जिसे देश का शायद कोई नेता या दल किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकता। कहीं और ईमानदारी हो न हो लेकिन यह सदियों से हर कोई जानता है कि लूट, भ्रष्टाचार और बेईमानी के धंधे में आपसी ईमानदारी कूट-कूट कर भरी होती है। कोई भी आपराधिक सरगना कभी अपराध के नियमों को नहीं तोड़ता।

अब देखिये, ईमानदारी खुद जिसकी कसमें खाती है, वह अरविन्द केजरीवाल भी सरकार में आने के बाद भ्रष्ट नेताओं और उद्योगपतियों को जेल भिजवाने का अपना वादा भूल गए। अब उन्हें विपक्ष में भी कहीं कोई बेईमान नहीं दिखता तो अपनी सरकार में कैसे दिखेगा? जबकि एक दौर था कि जब सब मिले हुए हैं जी, सब मिलकर दोनों हाथों से देश को लूट रहे हैं टाइप डायलॉग बोल बोलकर थकते नहीं थे। जाहिर है, देश के भ्रष्टाचारी नेताओं, दलों और सरकारों के बीच कायम उस ईमानदारी ने ही शायद उनके भी कदम रोक लिए हैं, जो आजादी के बाद से ही भारत में बड़ी मजबूती से टिकी हुई है।

ऐसे माहौल में तो मैं खुद भी भाजपा और मोदी सरकार का लालू एंड फैमिली का यूं राजनीतिक आखेट करना ठीक नहीं मानता हूँ। क्योंकि मोदी सरकार और भाजपा ने अपने दागियों से मुंह फेरकर विपक्षी दागियों को निशाना बनाकर इस देश के भ्रष्टाचारियों के बीच ईमानदारी पर से भरोसा ही उठा दिया है...अगर यही चलता रहा तो इस देश का हर भ्रष्टाचारी नेता दूसरे विपक्षी भ्रष्टाचारी नेता को हमेशा इसी शक की निगाह से देखेगा कि यह जब सत्ता में आएगा तो मेरे पीछे पड़ जायेगा और मुझे जेल भिजवा कर ही मानेगा...इसी डर से वह पहले ही विपक्ष के दागी नेताओं को निशाने पर ले लेगा...

इस तरह तो देश में अव्यवस्था ही फैल जाएगी और हर दल, नेता और सरकार से लुट रहे हमारे देश के ज्यादातर नेता ही जेल चले जायेंगे... यह तो गलत बात है...ऐसा नहीं होना चाहिए

Similar News