बिहार टॉपर्स घोटाला: जदयू की पूर्व MLA पर कसा शिकंजा, मैट्रिक की डिग्री फर्जी? होने का अंदेशा

Update: 2016-06-13 07:00 GMT
बिहार:  इंटर टॉपर्स घोटाले में जेडीयू की पूर्व विधायक ऊषा सिन्हा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। ऊषा सिन्हा ने साल 2010 में बिहार विधानसभा में जो हलफनामा दिया है उसके मुताबिक, उन्होंने 8 साल की उम्र में हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी। हलफनामे के मुताबिक, जेडीयू नेता ने 1971 में 10 साल की उम्र में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। इसके बाद 1973 में 12 साल की उम्र में ग्रेजुएशन पूरा किया और अगले साल बी.एड की परीक्षा भी पास कर ली।

रिकॉर्ड के मुताबिक, 15 साल की उम्र में ऊषा सिन्हा ने पोस्ट ग्रेजुएशन भी पूरा कर लिया था। साल 2010 में दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनकी उम्र 49 साल थी। इसमें उन्होंने अपनी जन्मतिथि में 1961 लिखा था। हलफनामे के मुताबिक, 23 साल की उम्र में उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से पी.एचडी भी पूरी कर ली थी।

ऊषा सिन्हा फिलहाल पटना कॉलेज ऑफ कॉमर्स के हिंदी विभाग में कार्यरत हैं। हालांकि बिहार बोर्ड में टॉपर्स को लेकर हुए खुलासे के बाद से ही वह फरार हैं। रैकेट की जांच कर रही एसआईटी को पता चला है कि ऊषा सिन्हा संस्कृत बोर्ड में मेंबर थीं। टॉपर्स घोटाले के आरोपियों ने ऊषा सिन्हा को भी रैकेट में शामिल बताया है। पटना पुलिस ने इस मामले में ऊषा सिन्हा को भी आरोपी बनाया है। साथ ही उनकी गिरफ्तारी की कोशिशें भी तेज कर दी है। इस मामले में अब तक कुल 8 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

पूछताह में ये साफ हुआ कि बच्चा राय, लालकेश्वर प्रसाद और ऊषा सिन्हा का खासमखास था। उसकी पहुंच सिर्फ दफ्तर तक सीमित नहीं थी। वह इनके घर भी आया-जाया करता था। फिलहाल दोनों पति-पत्नी फरार है। पुलिस लगातार उनकी तलाश कर रही है। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस और खुलासा होने का दावा कर रही है।

एसआईटी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपियों में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ट के सदस्य संजीव झा और पटना कॉलेज के लेक्चरर अजीत शक्तिमान के नाम शामिल हैं।

पटना के एसएसपी मनु महाराज के अनुसार लेक्चरर अजीत शक्तिमान बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह का दलाल है, जिसकी इस घोटाले में महत्वपूर्ण भागीदारी रही है।

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