सेना ने जिसे जीप से बांधकर घुमाया, उसने खुद सामने आकर बताई पूरी कहानी

Update: 2017-04-15 05:11 GMT
सेना की जीप पर बांधकर घुमाया जाता फारूक (बाएं) और अपनी मां के साथ हाथ में बैंडेज बांधे फारूक (दाएं)
जम्मू कश्मीर में आर्मी जिस शख्स को अपनी जीप के आगे बांधकर परेड करती नजर आ रही थी उस शख्स की पहचान हो गई है। जिस शख्स के साथ वह सब हुआ उसका नाम फारुख अहमद डार है। 26 साल के फारुख ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह पत्थर फेंकने वालों में शामिल नहीं है। उसने कहा, 'मैं कभी भी पत्थर नहीं फेंके, मैंने अपनी पूरी जिंदगी में पत्थर नहीं उठाया, मैं तो शॉल पर कढ़ाई करने का काम करता हूं, साथ ही थोड़ी बहुत कारपेंट्री करता हूं। मुझे बस यही आता है।' उस घटना के बाद से फारुख बड़ा परेशान है। उसने डर की वजह से शिकायत भी नहीं की। शिकायत ना करने की बात का जिक्र करते हुए फारुख ने कहा, 'गरीब लोग हैं, क्या करेंगे शिकायत।'

फारुख ने बताया कि वह अपनी 75 साल की मां के साथ अकेला रहता है। फारुख की मां को अस्थमा है। उन्होंने फारुख की बात से सहमति जताते हुए कहा, 'हमें किसी जांच की जरूरत नहीं है, हम गरीब लोग हैं, मैं इसको खोना नहीं चाहती, मेरे बुढ़ापे का यह अकेला सहारा है।'

फारुख ने बताया कि वह वीडियो 9 अप्रैल का है। फारुख के मुताबिक, उस दिन आर्मी ने उसको सुबह 11 बजे पकड़ा और तकरीबन चार घंटे तक तकरीबन 25 किलोमीटर तक ऐसे ही घुमाया। फारुख ने बताया कि उस दिन वह अपने कुछ साथियों के साथ एक रिश्तेदार के घर जा रहा था जिसकी श्रीनगर में मौत हो गई थी। तब रास्ते में आर्मी ने उसकी मोटरसाइकिल रोक ली और उसको जीप से बांधकर आगे बैठा दिया। फारुख के मुताबिक, आर्मी ने उसको मारा भी था। उसके बाद उसको आसपास के 9 गांवों में घुमाया गया।

फारुख ने बताया कि उसकी छाती पर एक सफेद कागज लगाकर उसपर फारुख का नाम लिखा गया था। साथ ही जीप में बैठे आर्मीवाले चिल्ला रहे थे कि अब अपने किसी पर पत्थर फेंक कर दिखाओ। फारुख के मुताबिक, उसकी ऐसी हालत देखकर कोई पास आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था और सब वहां से भाग रहे थे। फारुख ने बताया कि चार बजे के करीब उसको आर्मी कैंप में ले जाया गया जहां उसको मारा-पीटा नहीं गया। वहां उसको चाय पिलाई गई और फिर उसके गांव के सरपंच के हवाले कर दिया गया।
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