कब तक भंग करते रहेंगे धर्म की पवित्रता, देश के अपराधी बाबा और भृष्ट नेता!

धर्म के नाम पर विश्व में भारी रक्त पात हुआ है, और आज भी धर्म के नाम पर हजारो, लाखों बाबाओं धर्म पुरुषों की रोजी रोटी चलती है...

Update: 2017-08-30 04:42 GMT
धर्म, ईश्वर, लोक, परलोक, आस्थावान, धर्म प्रेमी जनता के लिए सदैव आदर के विषय रहे हैं। देश की धर्म प्रेमी जनता लम्बा सांसारिक जीवन जीने के बाद मोक्ष की चिंता में लगकर धर्म, ईश्वर, लोक, प्रलोक के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा में धर्म गुरुओ की शरण में जाती है। धर्म के नाम पर विश्व में भारी रक्त पात हुआ है, और आज भी धर्म के नाम पर हजारो, लाखों बाबाओं धर्म पुरुषों की रोजी रोटी चलती है। देश दुनिया के अधिकांश लोगों को धर्म की सही व्याख्या समझ में नही आने के कारण धर्म से प्यार करने वाले भोले भाले लोग शीघ्र ही धर्म के नाम पर अधर्मी बाबाओ का शिकार बन जाते हैं।
 धर्म और अधर्म के बीच की महीन रेखा को समझने व जानने के लिए व्यक्ति को धर्म का ज्ञान होना जरुरी है। धार्मिक व्यक्ति के जीवन में धर्म का प्रभाव व्यक्ति को धर्म की स्थापना करने वाले ईश्वर के अदृश्य सर्वशक्तिमान होने का बोध कराता है। ईश्वर का अदृश्य भय ही होता है जो मनुष्य को उम्र के आखरी पड़ाव में मोक्ष की तलाश में लगाकर उसे मोक्ष का रास्ता बताने वाले सद्गुरु के चरणों में ले जाता है। गुरु व उसके जीवन में धर्म कितना है, धर्म गुरु का आचरण उसके जीवन जीने के तोर तरीके में कितना धर्म का पालन किया जा रहा है यह नही देखते। प्राय: लोग धर्म के नाम पर अंधभक्त बनकर अपनी आँखे अपना मस्तिष्क बंद करके बिना सोचे समझे बाबाओ, धर्म गुरुओ को ही भगवान् समझकर उनका अन्धानुकरण करने लग जाते है।
 बाबा, धर्म गुरु स्वयं भी ईश्वर के बनाए बंदे है जो ईश्वर नही हो सकते। धर्म गुरु ईश्वर तक पहुँचाने का मार्ग बताने वाले होते है। धर्म की परिकल्पना हर व्यक्ति अपने विवेक के अनुसार करता है। धर्म अनुसार क्या सही क्या गलत है इसे जानना भी धर्म है। मनुष्यों और इस संसार की उतपत्ति करने वाला ईश्वर है जो अदृश्य रहकर धरती पर रहने वाले मनुष्यों तक अपना सन्देश अपने चुने हुए अवतारों के माध्यम से भेजता है, यही धर्म है। मनुष्य स्वयं ईश्वर की एक रचना है और उसका रचनाकार उसको बनाने वाला ईश्वर है। रचनाकार जिस प्रकार अपनी रचना में फेर बदल कर सकता है तथा अपनी बनाई रचना को रचनाकार नष्ट भी कर सकता है। इसी क्रमानुसार मनुष्य ईश्वर की रचना है जिसे धरती पर भेजकर ईश्वर उसे जीवन देकर भेजता है, ताकि वह अपने जीवन में सद्कर्म व बुरे कर्मो के नाम पर आजमाया जाए।
 धरती पर रहने वाले मनुष्य के लिए ईश्वर ने एक परोपकार, प्यार, त्याग करने की जीवन शैली बनाई। ईश्वर निर्मित इस आदर्श जीवन शेली के प्रचार प्रसार के लिए ईश्वर ने अपने सन्देश वाहक एवं दूत भेजे जिन्हें अवतार पैगम्बर संदेशवाहक कहा जाता है। ईश्वर के सभी अवतार पैगम्बरो ने धरती पर रहने वाले मनुष्यों को सांसारिक सुखो, मोह, माया से दूर रहकर सादगी सरलता से जीवन जीने के उपदेश दिए। संसार और इसकी बनाई वस्तुओ में देहिक सुख की प्राप्ति रखी गई है, और परमात्मा के मिलन के भाव धर्म-कर्म में है जिनसे आत्मा के आत्मिक आनंद की प्राप्ति होती है।
 ईश्वर ने मनुष्यों के शरीर के साथ सभी जीवो की उतपत्ति पांच तत्वों से की है। पंच तत्व मिटटी, जल, अग्नि, वायु, आकाश से बने शरीर को ईश्वर ने बनाया है। इस शरीर में सुख दुःख, आनंद, लालच, काम, क्रोध, बुरे व्यसन करने व उनके आनंद की अनुभूति कराने वाली एक आत्मा भी रखी है। संसार के सारे डॉक्टर, वैध, हकीम मनुष्य के शरीर को स्वस्थ रखने व शरीर की बिमारियों के ईलाज की बात करते है। मानव शरीर के साथ मनुष्य की आत्मा को भी बीमारियाँ लगती है। लालच करना, घमंड करना, पराई स्त्री को देखकर उसे घूरना, उसके शारीरिक अंगो को छूना, शाम होते ही शराब के नशे की तलब लगना, अपने सामने किसी को कुछ नही समझना, मेरी हैसियत के सामने तेरी क्या ओकात है, मुझे जमाना जानता है, सब मेरा कहना माने मेरे सामने कोई भी सवाल नही करें, बस सब व्यक्ति मेरा अनुशरण करें ये सब आत्मा को लगने वाली बीमारीयां है। आत्मा की बीमारी वही दूर करता है जिसे परमात्मा के द्वारा आत्मा के शुद्धि करने के कारण परमात्मा की अनुभूति हो जाती है अर्थात आत्मिक ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
 संसार में रहने वाले लोगो की आत्मा को सब प्रकार की सांसारिक व्याधियां लग जाती है फिर व्याधिग्रस्त बीमार आत्मा के लोगो को ना दिन को चेन मिलता है ना रात को नींद का सुकून मिलता है। सांसारिक व्याधियों से घिरी बीमार आत्मा के लोगो को फिर आत्मिक सुकून की तलाश में एक गुरु की आवश्यकता होती है। व्यक्ति को गुरु बनाने से पहले अपनी आत्मा में संतोष करना चाहिए कि मेरा गुरु भी कही सांसारिक व्याधियों से घिरा तो नही है। जिस गुरु की आत्मा ही सांसारिक लालच में फंसकर बीमार हो गई है एसा गुरु परमात्मा के मिलन का रास्ता क्या बताएगा ?
आज हमारे देश में भोगी, सांसारिक व्याधियों, काम वासनाओ में जकड़े ढोंगी साधुओ ने देश के भृष्ट नेताओ व् बिकाऊ मीडिया के प्रचार के बल पर देश की धर्म प्रेमी जनता को ठगने का काम कर रखा है। सत्ता की चकाचोंध, मीडिया के दुष्प्रचार ने देश के लोगो की मति को भ्रमित कर दिया है। दुर्भाग्य से जब-जब देश में ढोंगी बाबाओ के दुष्कर्मो की पोल देश का मीडियां खोलता है तब तब ढोंगी बाबाओ के अंध भक्त, राजनेता सर्वप्रथम सच दिखाते ही मीडिया कर्मियों पर हमले कराकर उनकी ह्त्या तक करवा देते हैं।
 देश में आज धर्म के नाम पर पथ भृष्ट ढोंगी, बलात्कारी साधुओ का धर्म साम्राज्य हजारो करोड़ रुपयों की कीमत पर पहुंचा है। आसाराम बापू व उसका बलात्कारी पुत्र नारायण साईं अपनी हजारो करोड़ की दौलत के साथ अपने राजनैतिक रसुकात के बल पर स्वयं को भगवान समझ बैठे थे। इन बाप-बेटो के कुकर्मो को दबाने में राज्य सरकारों की शक्ति इनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ी थी। धर्म के साथ-साथ राजनेताओ के चरित्र का भी हमारे देश में तेजी से पतन हो गया है। एक बार विधायक बन जाने के बाद भृष्ट नेताओ की संपत्ति कई सो करोड़ रुपयों की हो जाती है। पूरे पांच साल भृष्टाचार करने वाले भृष्ट नेता फिर चुनावो में जनता से अपने काम के बल पर वोट मांगने के बजाए धर्म के ठेकेदारों के इशारो पर वोट पाने के लिए बलात्कारी, लालची साधू के डेरे उनके मठों में जाकर अपना सर झुकाते है इस प्रकार के भृष्ट स्वार्थी नेताओ ने लोकतंत्र की गरिमा को तार तार करके तंत्र के सामने भारत गणराज्य के गणमान्य व्यक्तियों को मजबूर और लाचार बना दिया है।
 जनता फिर अपने छोटे छोटे कामो के लिए बाबाओ के चरणों में बैठकर अपने काम कराने की गुहार लगाती है। एसी परिस्थितियाँ ही बाबा राम रहीम, संत रामपाल जैसे बलात्कारी हत्यारों को सर्व शक्तिमान होने के काल्पनिक भ्रम में जीवन जीने के आनंद का बोध कराती है। हरियाणा राज्य में सच की आवाज उठाने वाले पत्रकार को बाबा राम रहीम के गुंडे मार देते है। शहीद पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति ही पहले पत्रकार थे जिन्होंने धर्म के नाम पर डेरा सच्चा सोदा के आश्रमों में होने वाले अधर्मी कृत्यों का भांडाफोड अपने अखबार पूरा सच में किया था। बेबाकी और पूरी सच्चाई के साथ कलम चलाने के कारण पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा। स्वर्गीय शहीद रामचन्द्र छत्रपति को अपनी मृत्यु से पूर्व अपने पत्रकार साथियों में पूर्ण शक्ति व् सामर्थ्य होने के बाद भी डेरा सच्चा सोदा के बारे में सच नही लिखने का गहरा दुःख था। शहीद रामचन्द्र छत्रपति ने बाबा राम रहीम के बलात्कार का शिकार बनी साध्वियों की चिट्ठी सर्वप्रथम अपने अखबार में छापी थी। बलात्कार का शिकार बनी साध्वी की चिट्ठी अखबार में छपने के एक महीने के भीतर ही बाबा के गुंडों ने साध्वी के भाई रणजीत सिंह की हत्या कर दी। इसके कुछ समय बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की भी गोली मरकर हत्या कर दी गई।
दिनांक 24 अक्टूम्बर 2002 को पत्रकार रामचंद्र को गोली मारी गई। उसके 20 दिनों बाद तक रामचंद्र छत्रपति जीवित रहे परन्तु उनके बयान लेने की गुहार करने के बाद भी पुलिस ने कोई मृत्यु पूर्व बयान दर्ज नही किये। पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशो के बाद भी ओम प्रकाश चोटाला की हरियाणा सरकार ने सी.बी.आई. जांच रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में डेरे के कहने पर अपील दायर की। सी.बी.आई. ने पत्रकार ह्त्या में बलात्कारी राम रहीम व उसके चेलो को ह्त्या का आरोपी मानकर चालान अदालत में पेश कर दिया जिसका केस विचाराधीन है। इस ह्त्या के बाद बनी कांग्रेस भाजपा सरकारे बलात्कारी बाबा से उसके चेलो के वोटो का सौदा करती रही व बाबा पर कोई कार्यवाही नही की गई। हरियाणा की वर्तमान खट्टर सरकार ने बाबा का आशीर्वाद लेकर ही राज्य का चुनाव जीता है। बाबा के इस उपकार के बदले में हरियाणा सरकार का सम्पूर्ण मंत्री मंडल सिरसा जिले में बाबा के डेरे गया और वहां जाकर बाबा के चरणों में बैठकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
 इसी कारण पंजाब, हरियाणा उच्च न्यायालय के जज को भी कहना पड़ा की खट्टर सरकार ने वोटो के लालच में पंच कुला शहर जला दिया। देश की आजादी के दिवस 15 अगस्त को हरियाणा सरकार का मंत्री बाबा राम रहीम को 51 लाख रुपयों की थेली भेंट करके आया था। देश में धर्म के नाम पर ढोंगी बाबाओ की मदद से वर्तमान भाजपा की केंद्र व राज्यों की सरकारे वोट लेने की राजनीती कुछ ज्यादा ही कर रही है। अपने जनाधार बढाने में सहायक बने बलात्कारी बाबा राम रहीम व आशाराम के समर्थन में भाजपा के नेता खुलकर बयान देते है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तो बलात्कार पीड़ित साध्वी को न्याय दिलाने वाले सी.बी.आई कोर्ट के जज को ही दोषी ठहरा दिया है।
भाजपा के विवादित सांसद साक्षी महाराज ने बलात्कार के केस की सुनवाई में बहुमत यानी बाबा के चेलो के बयानो के आधार पर न्याय करने की मांग कर डाली। साक्षी जैसे सांसद को बलात्कारी हत्यारे बाबाओ को उनके किये की सजा के जुर्म में जेल भेजने से भारतीय संस्कृती, धर्म तक संकट में आता दिखाई दे रहा है। भाजपा व उसके पोंगापंथी विवादी बाबाओ के गठजोड़ के कारण देश में अकारण 38 व्यक्ति हरियाणा राज्य में मारे गये। करोडो रुपयों के सरकारी निजी सम्पति जला दी गई पर भाजपाइयों को विवादित बयान देने में तनिक भी शर्म नही है। वैसे भाजपा के प्रधानमंत्री से लेकर आडवानी, शिवराज सिंह, मनोहरलाल खट्टर सहित अनेक नेताओ के शासन में हजारो बेगुनाहों की हत्या पर राजनीती करने व अपनी पार्टी की राजनीती को चमकाने के आरोप है।
 पूरे के पूरे भाजपा परिवार पर दंगे, आगजनी, हत्या के बल पर राजनीती करने के आरोप है। इस प्रकार के लोग बलात्कार से पीड़ित महिला के दुःख में क्यों कर द्रवित होंगे। देश की जनता को चाहिए की इस प्रकार के नेताओ को वोट की चोट से मारकर इन्हें ठीक कर दे। क्योकि देश किसी भृष्ट नेता व उसकी पार्टी से नही देश की जनता से बनता है। लोकतंत्र में जनता को न्याय मिलने से महरूम करना तानाशाही है और भाजपा व उसकी सरकारे आज यही कर रही है।

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लेखक : मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान

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