अशोक गहलोत के जन्मदिन पर उमड़ी भीड़ की पुकार फिर एक बार गहलोत सरकार
Ashok Gehlot's Birthday Once again, Gehlot Government
राजस्थान की वर्तमान भाजपा सरकार का समय समाप्त होकर चुनावी वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. मात्र कुछ महीनो के अंतराल में चुनावी वर्ष शुरू हो जाएगा. राज्य की राजनीती में यह समय नयी उथल फुतल, उठा पटक का संकेत दे रहा है.आगामी वर्ष में राज्य के विधान सभा चुनाव होंगे इस कारण राज्य वर्तमान भाजपा सरकार की नींद अब टूट गयी है. राज्य सरकार अभी से चुनावी मोड़ पर आकर गतिमान होती दिख रही है.
राज्य की भाजपा सरकार की नीतीयों के कारण राज्य में सरकार विरोधी वातारण बना हुआ हैI राज्य सरकार के विरुद्ध बने सियासी विरोध के वातावरण को समझ कर के राज्य के कांग्रेस जन आगामी विधानसभा चुनावो में अपनी पार्टी की सरकार बनती देख रहे है. कांग्रेस पार्टी की बड़ी समस्या यह भी है कि राज्य की कांग्रेस पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष सचिन पायलेट की लोकप्रियता सम्पूर्ण राज्य में समान रूप से स्वीकार नही की जाती है. सचिन पायलेट को राज्य में राज्य के मतदाताओ से ज्यादा कांग्रेस के आलाकमान पर भरोसा है, इस कारण सचिन पायलेट राज्य में सक्रिय रहने से ज्यादा दिल्ली में बैठकर कांग्रेस आलाकमान की हाजरी भरते है.
सचिन की अनुभवहीनता, जातीय राजनीती करने व हर समय चाटूकारो से घिरे रहने के कारण राज्य की भाजपा सरकार की मोज हो रही है. राज्य में कांग्रेस पार्टी आज तक भाजपा सरकार के घोर विरोध का वातारण बने होने के बाद भी कोई बड़ा जन आन्दोलन छेड़ने में विफल साबित हो रही हैI सचिन पायलेट कांग्रेस के कार्यकर्ताओ अभी तक वह जोश नही भर पाये है जिसकी कांग्रेस पार्टी को विपक्ष में रहने के दौरान आवश्यकता थी.
परिणाम स्वरुप आज सम्पूर्ण प्रदेश की जनता की नजरे कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जा टिकी है. प्रदेश की जनता के साथ कांग्रेसी कार्यकर्ता मुखर होकर नारे लगाते है कि प्रदेश की जनता करे पुकार गहलोत सरकार फिर एक बारI प्रदेश की जनता के दिलो में गहलोत सरकार की छवि आम आदमी की सरकार के रूप में आजतक बनी हुई है जबकि वर्तमान भाजपा सरकार के घोर भृष्टाचार, तानाशाही के रोद्र रूप के कारण प्रदेश की जनता में घोर निराशा का भाव व्याप्त है.
अशोक गहलोत के जन्मदिन 3 मई को गहलोत के निवास स्थल पर प्रदेश की जनता का भारी हुजूम उमड पड़ा. जनता के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओ का हुजूम सारे अनुमानो को धत्ता बताकर सिविल लाइन जयपुर में गहलोत के आवास पर भारी संख्या में उमड़ पड़ा. दिन भर अशोक गहलोत से मिलने वालो की भीड़ उनके आवास पर आती रही है, स्वयं गहलोत भी सादगी से सबसे मिलते रहे. राज्य की राजनीती में अशोक गहलोत की लोकप्रियता आज कांग्रेस के समकालीन नेताओ में सबसे अधिक है. किसी कांग्रेसी नेता के आवास पर आज भी इतनी भीड़ नही दिखाई देती जितनी अशोक गहलोत के जन्मदिन पर अपनी मर्जी से भीड़ गहलोत से मिलने के लिए स्वयं पहुँच जाती है.
राज्य की राजनीती में सचिन पायलेट खेमा भले ही अशोक गहलोत को कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की मदद से गुजरात राज्य का प्रभारी बनाकर खुश भले होले परन्तु यह बात आज भी पूर्ण रूप से सत्य है कि सचिन पायलेट का राज्य में कोई जनाधार नही है. उनके जीवन की जमा पूंजी में सिर्फ दो बाते है जिनमे एक तो यह की वे राजनीती के एक बड़े नाम वाले राजेश पायलेट के पुत्र है दूसरा वे कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी के करीबी है. लोकतंत्र में बड़े नाम वालो पर आज देश में चाय बेचने वाला नरेन्द्र मोदी का ब्रांड बहुत भारी पड रहा है. शायद देश के बदलते राजनैतिक परिवेश को समझने में राहुल गाँधी व उनकी टीम विफल साबित हो रही है.
राहुल गांधी की टीम की बचकानी हरकतों की मिसाल देश के बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में देश के सामने आ गई है. उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताकर यूपी की बदहाली का कांग्रेस ने नारा दिया था जो जनता के दिलो को भाने लगा था. यूपी में ब्राह्मण, मुस्लिम, दलित कांग्रेस के खेमे में अखिलेश यादव के खानदानी यदुवंशी शासन के विरोध के कारण आने लगा था, तभी अचानक कांग्रेस आपसी कलह से ग्रसित समाजवादी पार्टी की गोद में जा बैठी. इससे जो जनाधार के समीकरण कांग्रेस केपक्ष में यूपी में बन रहे थे वह रातो रात बिगड़ गये I कांग्रेस के कार्यकर्ताओ को समझ नही आया कि क्यों प्रशांत कुमार कांग्रेस में आये और क्या करने केलिए आलाकमान ने पी.के. पर भोरासा किया था.
कांग्रेस आलाकमान के बचकाने निर्णय के कारण चुनाव से पहले यूपी में कांग्रेस के विधान सभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याक्षीयों की हास्यादप्रद स्थिति यूपी जनता में हो गई. राहुल गांधी के रेलियों ने भीड़ को लाकर कांग्रेस का कार्यकर्ता जो पार्टी को यूपी में मजबूत कर रहा था अचानक उसके राजेतिक भाग्य को सपा की गुलामी करने के लिए विवश कर दिया गया. कांग्रेस आलाकमान के इस बचकाने निर्णय के कारण रातो रात कांग्रेस की सियासी जमीन यूपी में स्वयं ही बंजर हो गयीI राजनीती में सफल होने केलिए बड़े प्रयास वह भी बड़े सतर्क रहकर सधे हुए कदमो से बहुत दूर की सोचकर करने पड़ते है I कांग्रेस आलाकमान के निर्णयों में दूर दर्शिता का स्पष्ट अभाव दिखता है.
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राहुल गांधी के अधकचरे ज्ञान के सलाहकारो के निर्णयों से आज भाजपा के नरेन्द्र मोदी व अमित शाह देश में कांग्रेस मुक्त भारत की बाते करने लगे है. राहुल गाँधी की पसंद बनी सचिन पायलेट की कांग्रेस का वजूद राज्य में भाजपा को चुनावो में कड़ी चुनोती देगा, इस बात में राजनीती के पंडितो को बड़ी शंका है. राजनीती के जानकारों के मुताबिक सचिन पायलेट की लीडरशिप पूर्ण रूप से चुनाब में विफल साबित होगी भले ही राज्य की इस जमीनी तल्ख़ हकीकत को कांग्रेस आलाकमान समझे या नही? पायलेट कांग्रेस के हालात कांग्रेसियों में ही अनेक प्रकार की शंकाए पैदा करके यही बता रहे हैI पायलेट की कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में भूमाफिया, शराब माफिया के साथ बड़ी संख्या पार्षद का चुनाव हारे हुए नेताओ की है. बड़ी कमजोरी पायलेट की यह भी है कि वे हमेशा अपने को बड़ा समझकर राहुल गांधी का करीबी मानकर भारी अहंकार में डूबकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओ से विनम्रता से बात तक नही करते है.
पायलेट की इन कमियों के कारण वे आज तक कांग्रेस के सर्वमान्य प्रदेश अध्यक्ष नही बन पाए है I कांग्रेस के नेताओ कार्यकर्ताओ के साथ स्वयं गुर्जर समाज भी पायलेट को अपना नेता मानने में शंका करता है. बड़े घर में जन्म लेने से नही, बड़ी सोच रखने व सबको अपनी विनम्र वाणी से साथ लेकर चलने के कारण साधारण परिवार में जन्म लेने वाले भी बड़े नेता बन जाते है. देश में नरेन्द्र मोदी के राजनेतिक सफ़र का पडाव प्रधानमंत्री के रूप में हमारे सामने है. साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण तरीके से काम करने के कारण राज्य की राजनीती में अशोक गहलोत को यह मुकाम हासिल हुआ है.
राजनीती का मूल मंत्र है कि साधारण सी लगने वाली बात को जनता के बीच में असाधारण तरीके से, जोरदार ढंग से रखना, अपनी बात को असरदार ढंग से रखने के कारण देश में आज मोदी, अमित शाह, योगी का युग चल रहा है. भाजपा के नेता कुछ नही करने पर भी बहुत कुछ करने के दांवो का बखान करके देश में झूठे आडम्बर की राजनीती साधारण व्यक्ति बनकर कर रहे है. भाजपा नेताओ के इन गुणों के कारण ही देश की राजनीती में भाजपा की विजय हो रही है और कांग्रेस की पराजय हो रही है.
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राज्य की जनता आज साधारण से दिखने वाले गहलोत में अपना भावी मुख्यमंत्री नेता का अक्स देख रही है. इसके पीछे भी गहलोत सरकार के द्वारा असाधारण किये गये कार्यो का भाव छिपा हुआ है. व्यक्ति अपने कर्मो से विराट बनकर संस्थान का रूप धारण कर लेता है. अशोक गहलोत का व्यक्तित्व भी आज राजस्थान में संस्थान का रूप धारण कर चूका है. अशोक गहलोत राज्य की राजनीती में कांग्रेस पार्टी का पर्याय बन चुके है तभी जनता के मुख से बहुमत की ध्वनि से निकलता है "गहलोत सरकार राज्य में फिर एक बार. "