पानी भरने से मना किया तो आदिवासी महिला ने अकेले ही खोद डाला कुंआ

Update: 2016-07-13 09:39 GMT
लखनऊ: यूपी के बुंदेलखंड में एक आदिवासी महिला ने अकेले ही कुआं खोद डाला। गांव में उच्‍च जाति के लोगों ने जब कस्तूरी नाम की आदिवासी महिला को हैंडपंप से पानी लेने से मना किया तो कस्तूरी ने अपने परिवार और 40 अन्य आदिवासी परिवारों के साथ मिलकर ये असंभव सा काम भी संभव कर डाला।

कस्तूरी नाम की इस आदिवासी महिला के कारण अब 40 अन्य परिवारों को पानी मिल पा रहा है। उसने बताया कि हम सभी दुद्धी गांव में ही रहते हैं लेकिन अगड़ी जाति के लोग हमें हैंडपंप से पानी नहीं भरने दे रहे थे। रोजना हमें एक मटका पानी लेने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। 5 साल पहले कस्तूरी ने फैसला किया कि अपमान का दर्द अब और नहीं झेला जाएगा।

कस्तूरी ने अपने बेटों को बताया कि वह जा रही है और एक जंगली इलाके में झोपड़ी बनाकर रहने लगी। शुरुआत में कस्तूरी के इस फैसले को उसके बच्चों ने खूब आलोचना की। कस्तूरी बताती हैं कि सभी को लगता था कि वह अपना दिमागी संतुलन खो बैठी हैं। मगर, मैं खुश हूं कि पीने के पानी की समस्या अब खत्म हो गई है।

कस्तूरी ने बताया पहाड़ों से गिरता पानी ही एकमात्र स्रोत था, इसे भरने के लिए उसे बूंद बूंद कर इकट्ठा करना पड़ता था। कई बार तो एक मटका पानी इकट्ठा करने में पूरा दिन लग जाता था। ऐसे में दो दिन पानी के बगैर गुजार देने के बाद कस्तूरी ने
कुआं खोदने
की ठान ली। उसने कई जगह खुदाई की लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

जनवरी में उसने फिर कोशिश की और इस बार उसके साथ उसके बेटे, बहुएं थे। वह बताती हैं कि अप्रैल में करीब 40 परिवार इस काम में जुट गए और 25 फीट का कुआं खोदने पर भी पानी नहीं मिला। इसके बाद भी खुदाई जारी रखी गई। एक हफ्ते तक खुदाई करने के बाद पानी निकल आया। इससे सभी आदिवासी परिवारों के पीने के पानी की समस्या खत्म हो गई।

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