बहुत रुलाती है मोदी की ये आदत!

This is the habit of Modi;

Update: 2017-07-02 05:59 GMT

नरेंद्र मोदी हमारे प्रधान मंत्री, सही मायनों में देखा जाए तो लौह पुरुष हैं। जो नवरत्न अधिकारियों ने बताया उसे लागू करने में तनिक भी नही हिचकिचाते। बिना होमवर्क के आननफानन में लागू कर देते हैं। विगत तीन साल में उन्होंने परिवार नही पाल पाने वाले लोगों को निशाने पर ले रखा है।

वे जान चुके हैं कि गऱीबी उन्मूलन का इंदिरा गांधी का रास्ता गलत था। गरीबी तभी मिटेगी जब गरीब नही रहेंगे यानी खत्म हो जाएंगे। इसके लिए कुछ करना भी नही है। मार्केट में महंगाई बढ़ा दो और आमजन की आमदनी घटा दो। महंगाई चरम पर बस पहुंच ही चुकी है, अब जो अमीर लेबर लॉ के कारण गरीब मजदूरों का कुछ कम शोषण कर पा रहे हैं, उसमे बदलाव किया जा रहा है।

तर्क है कि यदि न्यूनतम वेतनमान की सीमा खत्म हो जाएगी तो ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। यानी अभी तक जहां एक मजदूर दस हज़ार महीना पा रहा है। अब अमीर गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए 10 हज़ार में दो मज़दूर रख सकेंगे।  


GST के बाद 500 रूपये का चश्मा 750 रूपये का हो गया। यही आलम हर चीज़ का है। 12 से 20 चीज़ें ही अभी कुछ सस्ती हुई है वह भी फिलहाल प्रचार करने और लोगों को बेवकूफ बनाने को। जल्द ही वे भी एगमार्क में लाकर महंगी कर दी जाएंगी।
कुछ भाई लोग 65 तो कुछ 165 देशों में जीएसटी लागू होने की बात कह इसकी हिमायत कर रहे हैं। में खुद इसे बेहतर मानता हूँ लेकिन तब जब आय भी सुनिश्चित की जाए। हरहाल में उन देशों की तरह जीवन की बुनियादी जरूरतें पूरी करने की गारंटी सरकार लें। यानी रोटी, कपड़ा, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्च हो। इनकी पूर्ति के लिए का। करने के इचछुक व्यक्ति को रोजगार या न्यूनतम वेतन मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदार हो।
अब तक मोदी सरकार ने विकसित देशों से संबंध सुधारने के नाम पर जो सैकड़ों बिलियन डॉलर खरीदारी और पर्सनल संबंध स्थापित करने आदि के नाम पर उड़ाए है वह अमीरों और उच्च मध्यम वर्ग से केवल 10 फीसद और 90 प्रतिशत गरीब, निम्न माध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग से वसूला गया है। इनडाइरेक्ट टैक्सेस के द्वारा।
मोदी जी अपने चहेते लोगों के हित में डायरेक्ट टैक्स वसूली में कुछ नही करते लेकिन इनडाइरेक्ट टैक्सेज व अन्य तरीकों से गरीबों को खत्म करने लगे हैं।
पवन मिश्र 

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