कितनी ज़ोर का झटका देती है यह तस्वीर विरोधाभासों के देश भारत को यह कहना मुश्किल है क्योंकि हम भारतवासी मुँह से अच्छी-अच्छी बात करते हुए किसी भी कचरे को आराम से सहन कर सकते हैं। इसीलिए लगभग हरेक हिंदुस्तानी में हैरान कर देनेवाले विरोधाभास बड़े आराम से जीवनपर्यंत साथ-साथ बने रहते है।
वाह रे हम और वाह रे हमारा देश !
ज़रूरत है अपनी-अपनी सोच को खंगालने की और व्यक्तित्व का एक-एक कोना झाड़-पोछकर चमकाने की। बहुत कुछ हो रहा है विकास के नाम पर पूरे देश मे। बस, यही काम रह जा रहा है क्योंकि यह सिर्फ सरकारी प्रयास के बूते कभी नही होगा।
इस के लिए पूरे राष्ट्र में एक अच्छे क्वालिटी का जन-जागरण चाहिए और उस दिव्य मक़सद के लिए मर मिटने वाले हिंदुस्तानियों की भी देश के कोने-कोने में दरकार है। फ़िलहाल उस जज़्बे से आलोकित हिंदुस्तानी ज़रूरत से कम तादाद में दिख रहे हैं।