लेखक प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव विश्लेषक
बुलंदशहर हाईवे पर जो शर्मनाक घटना हुई, उसकी जितनी निंदा की जाए, वह कम है. इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश में जिस तरह की राजनीति हो रही है, वह बेहद शर्मनाक है. सभी दल राजनीतिक स्वार्थ में लिप्त दिखाई दे रहे हैं. उन्हें मिशन – 2017 में सफलता कैसे मिले, इसको ध्यान में रख कर केवल बयानबाजी हो रही है. जबकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सभी दलों को एक मंच पर आ जाना चाहिए. लेकिन किसी भी दल ने इसकी पहल नही की.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जिस तरह से प्रदेश के डीजीपी को भेज कर उस घटना की जानकरी प्राप्त की, और दोषी पुलिस अधिकारियों को दण्डित किया, वह काबिले तारीफ है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीजीपी ने हाईवे की सुरक्षा का जिम्मा आई जी जोन को सौप दिया है. उनके ही निर्देश पर ही हाईवे को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर सुरक्षा का इंतजाम किया गया है. आई जी के साथ ही डीआईजी को भी इस कार्य से सम्बद्ध किया गया है. संवेदनशील स्थानों पर पुलिस पिकेट बनाये जा रहे हैं. साथ ही वहां सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं. हाईवे पर ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मियों को कैमरे लगे वाहन मुहैया कराये गये हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से केवल एक चूक हो गयी. जैसे ही यह घटना घटी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पीड़ितों के पास जाना चाहिए था. उनके दुःख के साथ दुखी होना चाहिए था. उस पीड़ित परिवार की एक ही मांग थी, कि दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करके तीन महीने में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का आश्वासन देना चाहिए था. बल्कि खुद जाने से अच्छा यह होता कि वे अपनी सांसद पत्नी डिम्पल यादव को उस परिवार से मिलने भेजते, क्योंकि मामला महिला का था. उनके माध्यम से उन्हें कुछ ऐसी जानकारी मिलती, जो काफी कारगर हो सकती थी.
ऐसी घटनाये इस समाज में न हों, इसके लिए अब समाज को उठ खड़े होने की जरूरत है. जागृत होने की जरूरत है. पुलिस प्रशासन के भरोसे बैठने से काम नहीं चलेगा. केवल पुलिस के भरोसे रह कर हम इस प्रकार की घटनाएं नहीं रोक सकते हैं. अब रात में हाईवे पर चलने वाले लोगों को एक कस्बे से दूसरे कसबे तक बीस-पच्चीस गाड़ियों के झुण्ड के साथ निकलना चाहिए. यदि किसी भी कार वाले को कोई रोकने की कोशिश करें, तो मिल कर उसका प्रतिकार करना चाहिए. काफिले में रहने से इस तरह की वारदात करने वाले बदमाशों के हौसले भी पस्त होंगे, और वे इस प्रकार की शर्मनाक घटनाओं को अंजाम देने की सोच नही पायेंगे.
इसके साथ पुलिस का भी यह कर्तव्य बनता है कि सूनसान हाईवे पर रात के दस बजे के बाद निरंतर पेट्रोलिंग करनी चाहिए. यदि कहीं कोई संदिग्ध एलिमेंट दिखे, तो उसे तुरंत पकड़ कर पूछताछ करना चाहिए. यदि जरूरी हो, तो उसे नजदीक के थाने में रात भर बिठा कर उसकी पूरी तहकीकात करनी चाहिए. वर्तमान डीजीपी से इस प्रदेश को बहुत उम्मीदें भी थी. लेकिन जिस तरह से शर्मनाक घटनाएं प्रदेश में घट रही हैं, उससे जनता का मनोबल एवं उनके प्रति विश्वास टूट रहा है. यह विश्वास कैसे बना रह सकता है, इस पर डीजीपी महोदय को होमवर्क करना चाहिए, इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए हर रजनीतिक हस्तक्षेप को नजरंदाज करते हुए उचित रणनीति बनानी चाहिए. प्रारंभिक जांच से जब यह सिद्ध हो गया है कि इस मामले में राजस्थान के बावरिया गिरोह का हाथ है, तो उसे पकड़ने में राजस्थान पुलिस की भी मदद लेनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की यह बड़ी जिम्मेदारी है कि इस तरह की घटनाओं पर कैसे लगाम लगे, इस पर प्रदेश के आला आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों, महिला संगठनों से सलाह-मशविरा करना चाहिए. फिर एक संयुक्त रणनीति बना कर उस पर काम करना चाहिए. जिससे इस प्रकार की घटनाएँ अविलम्ब रुक सके. विपक्ष की भूमिका निभा रहे सभी राजनीतिक दलों की भी महती भूमिका है. इस प्रकार की शर्मशार घटनाएं न हों, इसके लिए सरकार का सहयोग करना चाहिए. जिससे इस प्रकार की घटनाएँ भविष्य में न घटें. साथ ही ऐसी घटनाओं पर मीडिया में बयां देने के लिए अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को रोकना चाहिए. क्योंकि हमारे देश के महिलाओं की इज्जत-आबरू से जुड़े मसले बहुत ही संवेदनशील होते हैं. नारी को हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि में बांटा नही जा सकता है. इज्जत सभी की प्यारी है. इसलिए इस मुद्दे पर सभी दलों एवं धर्मों के अनुयायियों को ऊपर उठ कर निर्णय लेना चाहिए. इस समस्या से कैसे निजात मिल सके, इस पर काम करना चाहिए. यदि इज्जत-आबरू के मसले को भी धर्मों में बाँट दिया गया, तो हालात और बदतर हो सकते हैं.
लेखक प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव विश्लेषक, भाषाविद, वरिष्ठ गाँधीवादी-समाजवादी चिंतक, पत्रकार व् इंटरनेशनल को-ऑर्डिनेटर – महात्मा गाँधी पीस एंड रिसर्च सेंटर घाना, दक्षिण अफ्रीका