अखिलेश की गिरफ्तारी की खबर से प्रदेश में अफरा तफरी मची, सपाई सडकों पर उतरे

Update: 2017-08-17 13:10 GMT
लखनऊ: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पुलिस की पक्षपातपूर्ण और उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के विरोध में औरैया जाते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उन्नाव में रोक कर हिरासत में लेने की खबर से पूरे प्रदेश में ही नहीं अन्य प्रदेशों में भी जनता का आक्रोश फूट पड़ा। किसान, नौजवान, वकील और महिलाएं सड़क पर निकल पड़ी। जगह-जगह धरना-प्रदर्शन होने लगे। कैसी विड़म्बना है कि आज भाजपा सरकार ने किसानों और जनता के लोकप्रिय नेता अखिलेश जी की गिरफ्तारी उसी समय की जब वह किसान ऋण वितरण समारोह का ठोंग रचती दिखाई दी। जनता आज भी अखिलेश यादव को अपना नेता मानती है भले ही वह सत्ता में नहीं है। यही लोकतंत्र में लोकसत्ता की ताकत है।
       

कल औरैया में जिला पंचायत अध्यक्ष के नामांकन के समय पुलिस ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और उनके समर्थकों के साथ अभद्र व्यवहार किया और पूर्व सांसद श्री प्रदीप यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उनसे मिलने के लिए जाते समय एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव की सीमा में अखिलेश यादव को औरैया जाने से रोक लिया गया। उनके साथ पूर्वमंत्री राजेंद्र चौधरी भी थे। वे जब धरने पर बैठ गये तो उन्हें जबरन पुलिस ने उठाया तथा धौरा स्थिति कृषि विज्ञान केन्द्र में हिरासत में रखा गया। जैसे ही यह खबर फैली उन्नाव के अवस्थी एडवोकेट के साथ बड़ी संख्या में वकील पहुंच गए।
       

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लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर पहले टोल प्लाजा पर भारी पुलिस बल ने पूर्वमुख्यमंत्री जी को रोका तो उनके साथ मौजूद सैकड़ों नौजवानों ने धरना देना शुरू कर दिया। विधायक अनिल दोहरे, पूर्व सांसद यशवीर सिंह, पूर्व विधायक बदलू खां, डा0 राजपाल कश्यप, आनंद भदौरिया, संतोष यादव सनी, राजेश यादव, अतुल प्रधान, विजय यादव, राम सागर यादव, राहुल सिंह, दिग्विजय सिंह देव, मो0 एबाद, बृजेश यादव, गौरव दुबे, संजय सविता, प्रदीप शर्मा सहित दर्जनों एमएलसी यादव के साथ धरने पर बैठे।
 
अखिलेश यादव आज पूरी तरह जननेता की भूमिका में थे। उन्नाव के मोहान में उनके लौटते समय भारी भीड़ थी। उनके स्वागत में खूब नारे लगे। संघर्ष में साथ होने का लोगों ने भरोसा दिया। तब तक दूसरे जनपदों के लोग भी अखिलेश जी की गिरफ्तारी की खबर सुनकर आने लगे। हजारों की संख्या में 10-15 किलोमीटर तक हर तरफ लोग ही लोग दिखाई पड़ रहे थे। लोग कह रहे थे कि यादव ने तो कानून का राज स्थापित किया था जबकि भाजपा स्वयं कानून का दुरूपयोग करने पर उतारू है। पूर्व मुख्यमंत्री जी से कैसा खतरा हो गया?
     
अखिलेश यादव ने रास्ते में अपने स्वागत में आए किसानों, बच्चों और गरीबों से उनका हाल चाल लिया। उन्होंने मटरिया गांव के किसानों से पूछा कि उनका कितना कर्ज माफ हुआ है? जवाब था एक पैसा भी माफ नहीं हुआ। प्राथमिक विद्यालय मटरिया के बच्चे जो स्कूली बस्ते लिए थे उन पर अखिलेश जी का ही चित्र थे। गांव में कच्चे घर थे और लोग नंगे बदन थे। मटरिया गांव के लोग कच्छा पहने थे। अखिलेश जी ने कहा यही डिजिटल इंडिया है।
       
रास्ते में अखिलेश जी ने राजेंद्र चौधरी से कहा कि आर्थिक विषमता के कारण ही अमीर-गरीब में भारी अंतर है। गांवों में आर्थिक तंगी है। थोड़े लोगों के पास अकूत सम्पत्ति है। हमारी लड़ाई इस अंतर को समाप्त करने की हैं। भाजपा का ऋण माफी का टोटका किसानों के साथ धोखा है। भाजपा सरकार में बच्चे बीमारी से मर रहे हैं बाढ़ में किसानों का जीवन तबाह हो गया है। ऐसे ही क्या न्यू इंडिया बनेगा? भाजपा सरकार उत्पीड़न कर रही है। सार्वजनिक गतिविधि और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करना यह प्रभाषित करता है कि राज्य में कानून का राज नहीं है। समाजवादी पार्टी अन्याय के विरूद्ध संघर्ष जारी रखेगी। भाजपा के दमन का जनता उचित उत्तर देगी। इस तरह भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र को पुलिस के हवाले कर दिया। यहां पूरी तरह अराजकता की स्थिति है।
     

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 अखिलेश यादव की गिरफ्तारी के विरोध में आज बिहार प्रांत की राजधानी पटना में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा धरना दिया और गिरफ्तारी दी। अन्य प्रदेशों से भी विरोध प्रदर्शन की सूचनाएं है।
       
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के हिरासत में लिये जाने की खबर लगते ही कानपुर में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, आगरा में पूर्व सांसद श्रीराम जी लाल सुमन ने धरना प्रदर्शन किया। विधायक अमिताभ बाजपेयी, संजय लाठर (एमएलसी) की गिरफ्तारी हुई।
       


लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, शाहजहांपुर, आजमगढ़, कन्नौज, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, प्रतापगढ़, नोएडा, रायबरेली, चन्दौली, गाजीपुर, संतकबीरनगर, में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया।

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