उतर प्रदेश का 'कुर्सी-चोर' विधायक और उसका गिरोह, आलीबाबा और 40 चोर!

पूर्व आईएएस सूर्यप्रताप सिंह बीजेपी के सरकार विरोधी विधायकों से नाराज

Update: 2017-05-10 08:55 GMT
लखनऊ: प्रदेश में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में प्रमुख सचिव पद पर रहते हुए मुखर विरोध करने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह को बीजेपी के विधायकों का सत्ता का नशा बेहद नागवार लगा. सूर्यप्रताप सिंह ने इस सब प्रकरण पर अपने फेसबुक वाल पर हकीकत लिख डाली. जिससे यह साबित होता है कि सत्य सत्य ही होता है.

 
जानिये क्या लिखा पूर्व IAS सूर्यप्रताप ने अपनी कलम से 
SDM/तहसीलदार/इंजीनियर की कुर्सी पर ज़बरन बैठ कर हुक्म चलाने वाला बरेली के 'गब्बर सिंह' के नाम से कुख्यात 'वीर' बरेली भाजपा विधायक केसर सिंह गंगवार......सहारनपुर के 'रणबाँकुरे' सांसद राघव और गोरखपुर के 'हड़काऊ' शेर विधायक अग्रवाल आख़िर उ.प्र. में किस 'कार्य संस्कृति' का संदेश देना चाहते हैं !


एक सत्ताधारी 'वीर' विधायक बरेली में प्रशासन में सबको रुलाए है और दो भाजपा जंप्रतिनिधियों ने क्रमशः सहारनपुर व गोरखपुर में IPS अधिकारियों को रुला दिया ....सत्ता के अहंकार/नशे का जलवा सिर चढ़कर बोले रहा है। 

मैं कल बरेली व बदायूँ के भ्रमण पर था और अब सच्चाई जानने के लिए गोरखपुर व सहारनपुर भी जा रहा हूँ। 


बरेली के 'वीर' विधायक केसर सिंह के क़िस्से व जलवे बड़े निराले है ..... आपराधिक पृष्ठभूमि के बरेली के 'गब्बर सिंह' के नाम से कुख्यात विधायक केसर सिंह एक केंद्रीय मंत्री के बड़े घनिष्ठ है, ने हाल में ही एक बैंक मैनेजर का अपहरण किया था और पीट-२ कर बेहाल कर दिया था .... केसर सिंह पूर्व सपा सरकार के बरेली व आस पास के जनपदों के सभी ठेके-पट्टों पर ताबड़ तोड़ क़ब्ज़ा करने पर लगे हैं...अक्सर SDM/तहसीलदार/इंजिनीयर्स की कुर्सी पर बैठ जाते है और न्यायालय तक की फ़ाइल तलब करते हैं...लोग बता रहे थे कि अब वे DM की कुर्सी पर बैठने की फ़िराक़ में हैं और अक्सर मीडिया को बड़ी शान से बताते रहते है कि आज किस अधिकारी/इंजीनियर की कुर्सी पर बैठे और कल किस अधिकारी की कुर्सी को सुशोभित करेंगे... उनकी शक्ति के स्रोत 40 दबंग 'भगवा'गमछाधारक 'समाज सुधारक' हमेशा उनके साथ रहते हैं..... ये सभी किसी कार्यालय में ज़बरन घुसकर वहाँ के कर्मचारियों को डरा/धकिया कर दबंग विधायक केसर सिंह के पूर्व आगमन का अहसास कराते हैं और एक डर का माहौल बना देते हैं।


ये कार्यकर्ता केंद्रीय मंत्री के CM योगी के साथ विधायक केसर सिंह की घनिष्ठता का बखान करते हैं...और फिर होती है विधायक केसर सिंह की धमाकेदार एंट्री और किसी अधिकारी की कुर्सी पर क़ब्ज़ा करने का विहंगम दृश्य का नाट्य रूपांतरण....हड़काना,फ़ाइल माँगना,ठेके/पट्टों की चर्चा ....न्यायालयों की फ़ाइल तक माँग लेते हैं ये 'वीर' विधायक केसर सिंह। अभी तहसीलों/थानों में अधिकतर पूर्व सरकार के तैनात अधिकारी ही मौजूद हैं और वे अपनी कुर्सी बचाने के लिए विधायक केसर सिंह की जी-हज़ूरी' बड़े अदब से करते हैं ....काजू खिलाते हैं...लो कल्लो केसर सिंह जैसों का कोई कुछ .....ऐसे सत्ताधारी जनप्रतिनिधि ही CM योगी की मेहनत पर पानी फेरने पर आमादा हैं। 


सहारनपुर व गोरखपुर के प्रकरण तो आपकी ताज़ा जानकारी में हैं ही..... SSP लव कुमार के बंगले में तोड़फोड़ व IPS चारु निगम को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाना....आओ देखें कि एक विधायक/जनप्रतिनिधि के क्या संवैधानिक कर्तव्य/अधिकार हैं ? अर्थात क्या किसी 'विधायक' ज़िला प्रशासन के दैनिक कार्यों में दख़ल देने का अधिकार है ....लोकतंत्र में संविधान सर्वोपरि है। विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्‍तंभ माना जाता है..... तीनों के अपने-२ कार्यक्षेत्र हैं। विधायिका (Legislature) या विधानमंडल जिसके विधायक एक सदस्य है,को क़ानून व जन-नीतियाँ बनाने, बदलने व हटाने का अधिकार दिया गया है। 


किसी विधायक या किसी पार्टी के कार्यकर्ता को ज़िलाप्रशासन के day-to-day कार्यों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और न ही क़ानून व्यवस्था के घटना स्थल पर जाकर प्रशासन के कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है ....CRPC/IPC में विधायक/पार्टी कार्यकर्ता का कोई role defined नहीं है। 


यदि ज़िला प्रशासन जनहित में काम नहीं कर रहा है ...भ्रष्टाचारी हैं....तो यह मुद्दा विधायक विधानसभा में उठा सकते हैं या फिर मुख्यमंत्री या जिले के प्रभारी मंत्री से शिकायत कर सकते हैं, जाँच करा सकते हैं या ट्रान्स्फ़र करा सकते हैं या दंडित करा सकते हैं, लेकिन क़ानून को हाथ में लेकर अधिकारी की कुर्सी पर बैठ जाना ... दबंगई कर न्यायालय की फ़ाइल तलब करना, क़ानून व्यवस्था के समय घटना स्थल पर पहुँच कर पुलिस/प्रशासन के लोगों के साथ बदतमीज़ी करना...एक महिला IPS को रुला देना या SSP के घर पर तोड़फोड़ करना .... परिवार की डराना... जनप्रतिनिधि के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। 


CM योगी अच्छी कार्य संस्कृति विकसित करने को दिन रात एक किए हुए हैं और हम सभी चाहते हैं कि वर्तमान सरकार जनहित में किए गए अपने वायदों/संकल्पों को पूरा करने में सफल हो, लेकिन......ऐसा लगता है कि १५ साल से सत्ता से बाहर रहने की ठेके/पट्टों 'प्यास' को जल्दी बुझाने की लालसा ने कुछ सत्ताधारी 'केसर सिंघों' को आपे से बाहर कर दिया है ......इन पर PM मोदी व CM योगी की हिदायतें का कोई असर होता नहीं दिखायी दे रहा है .....

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