सबका साथ सबका विकास का नारा दे छीन ली पत्रकारों से खाने की प्लेट, मचा यूपी विधानसभा में हंगामा
When the journalists took a sieve, the dinner plate in the assembly;
लखनऊ : विधानसभा में कुछ मंत्रियों के इशारे पर पत्रकारों के साथ उत्तर प्रदेश में इस दशक का सबसे बुरा बर्ताव हुआ। विधानसभा में पत्रकारों के हाथों से भोजन की थालियां छिनवा ली गई और आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ पत्रकारों जिसमें महिलाएं भी शामिल थी। पत्रकारों के हाथ पकड़कर उद्दंडता पूर्वक विधानसभा रक्षकों व मार्शलों ने हाथ से थाली छिनकर सभी पत्रकारों को कैंटीन से बाहर खदेड़ दिया।
कुछ मंत्रियों ने पत्रकारों का अपमान करवाया है। भाजपा के खिलाफ रिपोर्टिंग को लेकर ये मंत्री और विधायक नाराज थे। पत्रकारों को धक्का मारकर जब कैंटीन से निकाला जा रहा था, तो कुछ पत्रकार साथियों ने बीच बचाव किया। मार्शल का कहना था कि कैंटीन में खाना खाने के लिए सूचना ज़रूरी होती है। आपने इसकी सूचना नहीं दी। गुस्साए पत्रकारों ने महिला पत्रकारों से बदतमीजी का आरोप भी लगाया है।
धक्के मारकर कैंटीन से बाहर खदेड़ा गया पत्रकारों को
पत्रकारों के साथ इस तरह का बर्ताव करते हुए नियम कानून का हवाला देते हुए धक्के मार-मारकर कैंटीन से बाहर खदेड़ा गया और जमकर अभद्रता की गई, जिसको लेकर एक तरफ तो पत्रकारों में काफी रोष है तो वहीं दूसरी तरफ वहां मैजूद अधिकारी पत्रकारों की इस दूर्दशा पर हंसते रहे। नाराज़ पत्रकारों ने संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना का घेराव किया। बताया जाता है कि इधर कई दिनों से विधानसभा की हो रही रिपोर्टिंग से अफसर और मार्शल नाराज थे। फिलहाल मामला विधानसभा अध्य्क्ष तक पहुंच चुका है।
पत्रकारों ने भोजन करने से किया इंकार
यूपी वास्तव में इन दिनों उत्तम प्रदेश बन रहा है, ये उत्तम प्रदेश कैसे बन रहा है। आज और कल की दो घटनाओं से समझा जा सकता है, ये दोनों घटनाएं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़ी हुई है। पहली घटना आज विधानसभा में चल रहे सत्र के दौरान घटी। दशकों से सत्र के दौरान ये व्यवस्था रही है कि जब भी विभागीय बजट पेश होते है सदन के सदस्यों व पत्रकार को सरकार की ओर से भोजन की व्यवस्था होती है…लेकिन आज बजट के बाद जब कैंटीन में पत्रकार भोजन के लिये गये तो विधानसभा के मार्शलों ने उन्हें खाना खाने से रोका चूँकि खाने पर रोक की कोई पूर्व सूचना नही थी। इसलिये कई पत्रकारों ने प्लेटे उठा ली थी। उनसे प्लेटें तक छीन ली गई हलांकि बाद में घटना की जानकारी होने पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना आये उन्होंने खेद प्रकट किया। लेकिन इस घटना से अपमानित सभी पत्रकारों ने भोजन करने से इंकार कर दिया।।
वैसे भी चौथे स्तंभ पर यूपी में काली छाया का असर बढ़ता नजर आ रहा है, रोज पत्रकार पिट रहे है तो कहीं मारे भी जारहे है। लेकिन हद तो तब हो गई जब सूबे की राजधानी में 4 PM के दफ्तर पर दिन दहाड़े हमला बोल दिया। लखीमपुर खीरी में खनन का विरोध करने पर पत्रकार को मार दिया। अब सबका साथ और सबका विनाश शुरू हो चूका कब क्या हो जाय कहा नहीं जा सकता। चौथे स्तंभ के बड़े लोंगों ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है, आखिर क्यों?