शान्त नही हुई है अभी सहारनपुर की' आग '! दलितों के नेता सब राजपूतों का नेता कौन?

राजपुत नोजवान सुमित पर कोई क्यों बात नही करता.

Update: 2017-06-03 02:41 GMT

सहारनपुर : पिछले डेढ़ महीनो से जातीय संघर्ष की आग में तप रहे सहारनपुर को क़ैद तो किया जा सकता है, मगर शांत नही किया जा सकता. ऐसा पिछले 3 दिनों के घटनाक्रम से अंदाजा लगाया जा सकता है.  अब यहाँ नये कमिश्नर दीपक अग्रवाल को भी भेजा गया है. तीन दिनों में यहाँ अलग अलग जगहों पर धार्मिक स्थलों पर छेड़छाड़ की खबर है कहीं मांस फेंका गया है, और कहीं कालिख पोती गयी है.


अब राजपूतो में इस बात की नाराजगी है कि दलितों का तुष्टिकरण हो रहा है. समाजवादी पार्टी युवजन सभा के राष्ट्रीय सचिव पूर्व मंत्री राजेंद्र राणा के पुत्र कार्तिकेय राणा के विरुद्ध भी वैमनस्य फैलाने का मुक़दमा दर्ज हुआ है. पुलिस उन्हें तलाश रही है. मगर वो घूम रहे है. कार्तिकेय कहते है "सरकार दलितों के तुष्टिकरण पर उतर गयी है. अफसरों को जाति के आधार पर तैनाती दी गयी है. मायावती ,राहुल गांधी सब दलितो की ही सुन रहे है.



राजपुत नोजवान सुमित पर कोई क्यों बात नही करता, उसकी विधवा पत्नी से कितने नेतागण जाकर मिले है. राजपूत कायर नही है बस संयमित है ".  भीम आर्मी के संस्थापक और चर्चित युवा नेता चंद्रशेखर की गिरफ़्तारी को लेकर पुलिस पर भारी दबाव है. वो इस पुरे प्रकरण में नायक और खलनायक दोनों बनकर कर उभरे है. राजपूत नेता मनवीर तंवर के अनुसार चंद्रशेखर की गिरफ़्तारी तक कुछ शांत नही होने वाला क्यूंकि वो बवाल की जड़ है. उसने खुलेआम हिंसा की और राजपूतो को ललकारा ,हमारा गौरवमयी इतिहास है हमने कोई चूड़ी पहन रखी है. मगर चन्द्रशेखर दलितो के लिए मरने मिटने वाले नायक है.  नया गाँव रामनगर के समय जाटव कहते है, जिसमे दम हो गिरफ्तार कर ले चंद्रशेखर शेर की तरह खुला घूम रहा है. मगर यह याद रखे कि जिस दिन ऐसा हुआ उस दिन हम फिर सड़को पर उतर जायेंगे ,चन्द्रशेखर लगातार अपना दायरा बड़ा कर रहा है.


मायावती के खुद को आरएसएस का एजेन्ट बताने के बाद उसका एक नया वीडियो आया है जिसमे उसने खुद को अपने समाज का एजेंट बताया है. इसके बाद चंद्रशेखर बहुजन मूमेंट के जनक कांशीराम के घर पहुंचे और उनके परिवार से मिले. पुलिस लगातार चंद्रशेखर के छुटमलपुर के पास स्थित गाँव में रह रहे उसके परिवार को डिटेन कर रही है. बुधवार को चंद्रशेखर के भाई और माँ से पूछताछ की गयी और उनका पीछा किया गया. एक तरह से यह नजरबंदी है जिसकी पुष्टि प्रसाशन नही करता. 6 दिन हो गए है यहाँ की नेट सेवायें पूरी तरह बंद है लोग उकता गये है.


खासतौर पर गैर दलित और गैर राजपूत अब भारी गुस्से में है फैसल खान बताते है कि डिजिटल इंडिया का सन्देश देने वाले बताये कि केश है नही नेट बैंकिंग बन्द हो गयी है. स्वेप मशीनों में कनेक्टिंग नही है फिर खरीदारी होगी कैसे. एक और फरहाद गाड़ा कहते है, यहाँ के लगभग 1 लाख लोग कारोबारी या दूसरे कारणों से विदेश से जुड़े है और लगभग रोजाना बात करते है. वो अब पूरी तरह से झुंझला गये है ,खासतोर पर पंजाबी समाज खासा रुष्ट है.


सामाजिक नेता महेंद्र तनेजा कहते है ,व्यपार बुरी तरह प्रभावित हो गया है. रोज़ करोडो का नुकसान हो रहा है ,यह अघोषित कर्फ्यू जैसा है ,बवाल की खबरें सहारनपुर देहात से आयी ,मगर सख्त सजा शहर को मिल रही है. हालाँकि प्रसाशन ने हालात नियंत्रण के अपने तरीके आज़माये है. लखनऊ से भेजे गए तमाम बड़े अफसर अभी तक यहीं है. गृह सचिव मणिकांत मिश्र शब्बीरपुर में किसी भी घर में खाना खाने पहुंच जाते है. आईजी एसटीएफ अमिताभ यश यहाँ के अनुभव को पूरा प्रयोग कर रहे है और नए एसएसपी बबलू कुमार ज्यादातर वक़्त गाँवों में लोगो से बातचीत करके गुजार रहे है. मगर हालात इसलिए सही होते दिखाई नही देते क्योंकि लोग क़ैद जैसे है. अब यह बंदिश गाँवों में दिखाई भी देती है.जैसे शब्बीरपुर ,म्हशोपुर ,चंद्रपुर और नया गाँव में चप्पे चप्पे पर पुलिस है. नये गाँव के सबसे बुर्जुग रतन पाल के मुताबिक इतनी पुलिस उन्होंने कभी नही देखी, इंटरनेट की पाबन्दी से लोग ज्यादा दुखी है. ऐसा लगता है जैसे उनकी आज़ादी छीन ली गयी है.



हाल ही में यहाँ के कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने एक बयान देकर आग ने घी डाल दिया है. इमरान ने कहा है कि चन्द्रशेखर से पहले यहाँ के सांसद राघव लखनपाल की गिरफ़्तारी हो उन्होंने ही यह स्तिथि पैदा की है. अगर ऐसा नही होता तो चंद्रसेखर की साथ वो खुद गिरफ़्तारी देंगे. इमरान यहाँ कद्दावर नेता है उन्हें लोकसभा में चार लाख से ज्यादा वोट मिले थे. प्रसाशन इस बात का मतलब अच्छी तरह समझता है . स्थानीय मिडिया भी खासी नाराज है, बवाल में उनकी 12 बाइक जलाकर राख कर राख कर दी गयी थी. इन्हें साधने की जिम्मेदारी एडीजी आनंद कुमार संभाल रहे हैं. 2009 में वो यहाँ डीआईजी रहे थे इसलिए उनकी यहाँ मजबूत पकड़ है.


हालात तब तक सामान्य होने की उम्मीद नही है जब तक ढील नही जाती अभी सख्ती है. और लोग घरों में कैद है ,एक बात और भी है जैसे सरकार ने यहाँ जो योजना लागु की है वो साम्प्रदयिक दंगो से निपटने में लागू की जाती है ,जातीय हिंसा से निपटने का उनका अनुभव बिहार सरीखा नही है. मगर आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एसएसपी बबलू कुमार बिहार के रहने वाले है वहां से सीखे हुई कुछ चीजें उन्होंने क्रियावनित की है.




        लेखक आस मोहम्द कैफ 

Similar News