स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा- बसपा का अध्यक्ष बनेंगे सतीश मिश्रा

Update: 2017-05-12 08:38 GMT
लखनऊ. बीएसपी बॉस मायावती ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बीते दिनों पार्टी से निकाले जाने के बाद सियासी पारा चढ़ गया है. करीब एक वर्ष पहले बीएसपी से बगावत कर अपनी राजनीति से मायावती को बर्खास्त करने का एलान करने वाले उत्तर प्रदेश बीजेपी के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने ताजा घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अब मायावती का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है. 

नसीमुद्दीन को मायावती का कलेक्शन अमीन बताते हुए स्वामी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हजारो करोड़ रुपये वसूले गए लेकिन, अब आम कार्यकर्ता बीएसपी से आक्रोशित है. वह सिद्दीकी और सतीश मिश्रा को हटाने की मांग करने लगा तो झेंप मिटाने के लिए मायावती ने सिद्दीकी को बलि का बकरा बना दिया. सतीश मिश्रा के मसले पर उन्होंने कहा कि जब तक मिश्रा को निकालने की नौबत आएगी तब तक कहानी बदल जाएगी.

चूंकि सतीश मिश्रा कानून के जानकार हैं तो ऐसी नौबत आने पर वह खुद माया को हटाकर बसपा का अध्यक्ष बनेंगे और तब मायावती सबसे असहाय होंगी. मौर्य ने मायावती को भ्रष्टाचार की देवी बताते हुए कहा कि अब उनके पाप का घड़ा फूट रहा है. कहा, मेरे इस्तीफे के बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोपों की झड़ी लग गई. बहुत से नेताओं ने माया पर इल्जाम लगाया और नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी उसकी एक कड़ी हैं. 

कांशीराम के बाद यूपी से बीएसपी का अस्तित्व मिट रहा है-


कभी मायावती के करीबी कहे जानें वाले पूर्व सांसद व भाजपा नेता जुगुल किशोर ने उन पर पूंजीपतियों के हाथों में खेलने का आरोप लगाया था. उन्होंने ताजा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नसीमुद्दीन के आरोपों को सही ठहराया. कहा कि तीन जनवरी 2015 को जब मैंने मायावती पर आरोप लगाए तब स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और बृजेश पाठक बीएसपी में ही थे.

स्वामी ने तो मेरे खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस किया था लेकिन, अब सभी उस सच को कहने लगे हैं. जुगुल ने दावा किया कि बीएसपी से अभी और लोग टूटेंगे. इसमें कोई नहीं रहेगा. बसपा समाप्ति की तरफ है और सतीश मिश्रा बीएसपी को समाप्त कर ही निकलेंगे. जैसे बाबा साहब के बाद महाराष्ट्र से आरपीआइ खत्म हो गई वैसे ही कांशीराम के बाद यूपी से बीएसपी का अस्तित्व मिट रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि मायावती जब कांशीराम की नहीं हुई तो वह किसी की नहीं हो सकती हैं. जुगुल किशोर ने कहा कि कांशीराम के मिशन को मोदी और योगी अपना रहे हैं, इसलिए मायावती का अब कोई मतलब नहीं है.

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