कलिंग उत्कल ट्रेन हादसे में 23 लोगों की मौत, जानें- मोदी सरकार में अब तक हुए बड़े रेल हादसे

मोदी सराकर के अबतक के कार्यकाल में ये 8 वां बड़ा रेल हादसा है और इसमें ज्यादातर बड़े हादसे देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में ही हुए हैं..एक नजर उन बड़े रेल हादसों पर जो मोदी सरकार के कार्यकाल में हुआ है।

Update: 2017-08-20 04:04 GMT
नई दिल्ली : यूपी के मुजफ्फरनगर में पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस की 14 बोगियां पटरी से उतर गई। इस भीषण हादसे में 23 लोगों की अबतक जान जा चुकी है जबकि 70 से ज्यादा लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। ये हादसा शनिवार को करीब 5.45 मिनट पर उस वक्त हुआ जब ट्रेन मुजफ्फरनगर के खतौली से गुजर रही थी। 
हादसा इतना भयावह था कि ट्रेन की बोगियां एक दूसरे एक ऊपर चढ़ गईं। मोदी सराकर के अबतक के कार्यकाल में ये 8 वां बड़ा रेल हादसा है और इसमें ज्यादातर बड़े हादसे देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में ही हुए हैं।

गौरतलब है कि साल 2014 में एनडीए सरकार बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री रेलवे का कायाकल्प करने का दावा ठोक रहे हैं लेकिन उन्हीं के शासन काल में एक के बाद एक 8 बड़े रेल हादसे हो चुके हैं जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जिंदगी जा चुकी है।

एक तरह केंद्र सरकार देश में बुलेट ट्रेन लाने की बात करती है तो वहीं दूसरी तरफ आए दिन रेलवे की गलतियों की वजह से हादसे होते रहते हैं। एक नजर उन बड़े रेल हादसों पर जो मोदी सरकार के कार्यकाल में हुआ है।

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 पुखरायां रेल हादसा - साल 2016 में 20 नवंबर को कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हुआ था जिसमें 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। सरकार ने इस हादसे में आतंकी साजिश होने की भी आशंका जताई थी। 


बछरावां रेल दुर्घटना - साल 2015 में 20 मार्च को देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस यूपी के बछरावां रेलवे स्टेशन से थोड़ी ही दूरी पर पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में 34 लोगों मारे गए थे।

कामायनी एक्सप्रेस और पटना मुंबई जनता एक्सप्रेस हादसा - साल 2015 में 10 मिनट के भीतर दो बड़े रेल हादसे हुए थे। मुंबई-वाराणसी एक्सप्रेस इटारसी में डीरेल हो गई थी जबकि पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस भी पटरी धंसने से हादसे का शिकार हो गई थी। इस दुर्घटना में 31 लोगों की मौत हो गई थी।

मुरी एक्सप्रेस हादसा - साल 2015 में में यूपी के कौशांबी जिले के सिराथू रेलवे स्टेशन से थोड़ी ही दूरी पर मुरी एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई थी। इस हादसे में 25 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

गोरखधाम एक्सप्रेस दुर्घटना - साल 2014 में 26 मई को यूपी के संत कबीर नगर के चुरेन रेलवे स्टेशन के पास गोरखधाम एक्सप्रेस की मालगाड़ी से सीधी टक्कर हो गई थी। इस हादसे में 22 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।

रायगढ़ रेल हादसा - साल 2014 में महाराष्ट्र के रायगढ़ में ट्रेन का इंजन और 6 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 120 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए थे।

भदोही ट्रेल एक्सीडेंट -
बीते साल 25 जुलाई को यूपी के भदोही में मडुआडीह-इलाहाबाद पैसेंजर ट्रेन से एक स्कूली वैन टकरा गई थी जिसमें 7 बच्चों की जान चली गई थी।

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 ऐसे में सवाल उठते हैं कि जब बीते तीन सालों में मोदी सरकार के कार्यकाल में ही 8 बड़े रेलहादसों में 280 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तो देश में बुलेट ट्रेन कितना सफल होगा। 


जब रेल मंत्रालय और सरकार ट्रेनों में सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित नहीं कर पा रही तो सिर्फ घटना के मुआवजे का ऐलान कर देने से रेलवे का कायापलट कैसे होगा। मुजफ्फरनगर में उत्कल एक्सप्रेस हादसे के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु समेत कई नेताओं ने हादसे पर दुख जताया है। आरजेडी अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने तो सुरेश प्रभु से इस हादसे के बाद इस्तीफा देने की मांग कर दी है।

मुजफ्फरनगर रेल हादसे में बड़ी लापरवाही की बात आई सामने
खतौली में हुए रेल हादसे में बड़ी लापरवाही की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि हादसे से कुछ देर पहले वहां पर पटरी की मरम्मत का काम हो रहा था। लेकिन जैसे ही बारिश शुरू हुई काम करने वाले वहां से चले गए, हालांकि पटरी रिपेयर करने वाले औजार अभी भी वहीं पड़े हुए हैं। कुछ चश्मदीदों का दावा है कि हादसा लापरवाही की वजह से हुआ है। चश्मदीदों के मुताबिक खतौली के पास जहां हादसा हुआ वहां पर पटरी की मरम्मत का काम चल रहा था।

 बताया जा रहा है कि हादसे वाली जगह पर ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया और ट्रेन पटरी से उतर गई। ऐसे में सवाल ये है कि अगर ट्रैक को ठीक करने का काम हो रहा था तो ड्राइवर को जानकारी क्यों नहीं दी गई।

पटरी पर काम चल रहा था तो ड्राइवर को सूचना दी जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जो बड़ी लापरवाही बताता है। हादसे के वक्त रेल 100 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से दौड़ रही थी। सामान्य तौर पर रेल को इतनी ही रफ्तार में दौड़ना चाहिए, लेकिन मरम्मत के वक्त स्पीड कम करा दी जाती है, लेकिन यहां पर ऐसा नहीं हुआ इसलिए साफ-साफ बड़ी लापरवाही नजर आ रही है।

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