आखिर कौन और कैसे नही बनने दे रहा शिव की काशी को स्मार्ट,क्यों नही दिया जा रहा PM के संसदीय क्षेत्र पर ध्यान, जानिए हमारी विशेष पड़ताल में

After all, who and why not let Shiva's Kashi be smart, why not focus on PM's parliamentary field, know in our special investigation

Update: 2017-07-24 02:53 GMT
आशुतोष त्रिपाठी
वाराणसी।काशी को स्मार्ट सिटी क्योटो की तरह बनाने का सपना बहुत दिनों हर कोई देख रहा है। शासन, प्रशासन और खुद पीएम मोदी इस सपने को साकार करने के लिए जुटे हैं। लेकिन काशी को क्योटो सिटी की तरह स्मार्ट बनाने की सारी कवायद नगर निगम में कर्मचारियों की कमी के कारण फंसती नजर आ रही है।
इन दिनों निगम कर्मचारियों की कमी की मार झेल रहा है, जिसके चलते अधिकारी से लेकर छोटे कर्मचारियों को भी औसतन दो अतिरिक्त प्रभार का भार झेलना पड़ रहा है। नतीजतन एक फाइल को एक विभाग से दुसरे विभाग में जाने में कई हफ़्तों का समय लग रहा है और आम जनता निगम के चक्कर काटते-काटते अपने चप्पल घिस रही है।
स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर निगम में एक ,दो नही तीन भी नही चार अंको की संख्या में कर्मचारी की कमी है निगम में स्वीकृत करीब 5034 पदों में से महज 3239 विभिन्न पदों पर ही कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत हैं। जबकि 1795 पद खली पड़े है। जिसमे समूह क से ग तक के कर्मचारियों की है कमी।
न नगर निगम में अपर नगर आयुक्त है न ही उप नगर आयुक्त। आम आदमी के लिए यहां मेडिकल अधिकारी भी नहीं है। ऐसे में स्मार्ट सिटी का काम सिर्फ और सिर्फ राम भरोसे चल रहा है। सूत्रों की माने तो स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर निगम में करीब 10 चपरासियों से क्लर्क का काम लिया जा रहा है। यह चपरासी बेहद महत्वपूर्ण विभागों को संभाले हुए हैं। इसी कारण रोजाना नगर निगम में शहरवासियों को कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ दो-दो हाथ करने पड़ते हैं।

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 कुछ कर्मचारियों ने अपना नाम नहीं छापने कि शर्त पर बताया कि उच्चाधिकारियों द्वारा प्रभार तो दे दिया जाता है लेकिन हमें अपने मूल कार्य से हटकर दिए गए अतिरिक्त प्रभार को करने के लिए दबाव बनाया जाता है. जिसका प्रतिफल यह निकलता है की मूल कार्य तो दूर, दिए गए अतिरिक्त प्रभार को भी हम कर नहीं पाते हैं जिसके चलते जनता को बार-बार निगम के चक्कर काटना पड़ता है और उनके चप्पलें घिस जाती हैं। 

नगर निगम पर पूरे शहर में विकास कार्यो को कराने से लेकर समस्याओं के निपटाने की जिम्मेदारी है, लेकिन अफसरों और कर्मचारियों की कंगाली की दौर से गुजर रहा है। बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हैं जिसके कारण काशी का विकास कार्य पूरी तरह प्रभावित होकर रह गया हैं तो शिकायतों का भी निपटारा नहीं हो पा रहा है। जिसका सीधा असर काशी को स्मार्ट बनाने वाले विकास कार्य सहित अन्य कार्यो पर पड़ रहा है।
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