बीएचयू में पंद्रह दिवसीय स्वच्छता पखवाड़ा के तहत चल रहा सघन सफाई अभियान
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के खनन विभाग में आयोजित हुई अर्द्धदिवसीय कार्यशाला। संस्थान में पंद्रह दिवसीय स्वच्छता पखवाड़ा के तहत चल रहा सघन सफाई अभियान।
वाराणसी: शहर में टाइफाइड के लगभग बीस हजार केस हर साल पाये जाते हैं। यह गंदगी की वजह से ही होते हैं। जरूरी है कि इसके लिए मल विसर्जन के बाद हथेली को अच्छी तरह साफ करना चाहिए। केवल बैक्टीरिया रहित करके हम अपना जीवन दीर्घ नहीं बना सकते वरन् ये सूक्ष्म जीव, जो मनुष्य के शरीर में उसके सेल्स से 10 गुना ज्यादा होते हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं।
इनकी उचित उपस्थिति एवं अनुपस्थिति अति आवश्यक है। ये बातें बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर गोपाल नाथ ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) में 16 जून से 30 जून तक चल रहे पंद्रह दिवसीय स्वच्छता पखवाड़ा के तहत शुक्रवार को खनन अभियांत्रिकी विभाग में अर्द्धदिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि कहीं।
इस दौरान विभाग में पौध रोपण किया गया और संस्थान में सड़क की सफाई की गई। इसमें मुख्य वक्ता ने कहा कि विभिन्न जीव व सूक्ष्म जीव आपसी समन्वय के साथ ही शांतिपूर्ण ढंग से अपना जीवन व्यतीत करते हैं। संस्थान में स्वच्छता पखवाड़ा के लिए बनाए गए नोडल अधिकारी प्रोफेसर सैयद हादी हसन ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि स्वच्छता से संबंधित कार्यशाला हर विभाग और संस्थान स्तर पर आयोजित की जानी चाहिए।
इस मौके पर खनन अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय कुमार शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हर तीर्थ में स्वच्छता का बहुत महत्व है। उन्होंने प्रोफेसर गोपाल नाथ द्वारा दिये गए सुझावों को पूरे विभाग के शिक्षक और कर्मचारियों को अपनी दिनचर्या में पूर्ण मनोयोग से शामिल करने का निर्देश दिया। इस दौरान विभाग के स्वच्छता पखवाड़ा समारोह के नोडल अधिकारी और संयोजक डा. अरुण कुमार सिंह ने इस दिशा में किये गए कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विभाग के हर डिविजन का गहनता से निरीक्षण करके उनकी स्वच्छता एवं कार्यकुशलता बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। समारोह का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन स्वच्छता पखवाड़ा के सह संयोजक डा. चन्द्रशेखर सिंह ने किया।
आशुतोष त्रिपाठी