अंतरिक्ष में अब अपना GPS, श्रीहरिकोटा से नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS 1H लॉन्च

Update: 2017-08-31 14:00 GMT

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने एक बार फिर एक बड़ी छलांग लगाई है। इसरो ने इस बार एक ऐसे सैटेलाइट को लॉन्च किया गया है जिसे पूरी तरह से देश के निजी क्षेत्र ने मिलकर तैयार किया है। बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने 'नाविक' श्रृंखला का एक उपग्रह बनाया है। जिससे देशी जीपीएस की क्षमता बढ़ेगी।

इसरो ने गुरुवार को शाम सात बजे नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS 1H को श्रीहरिकोटा रॉकेट केंद्र से लॉन्च किया। आईआरएनएसएस के हिस्से, 1,425 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट को ध्रुवीय सैटेलाइट प्रक्षेपण यान (PSLV) का रॉकेट एक्सएल अंतरिक्ष में लेकर जाएगा। 1,420 करोड़ रुपये लागत वाला भारतीय सैटेलाइट नौवहन प्रणाली, नाविक में नौ सैटेलाइट शामिल हैं, जिसमें सात कक्षा में और दो विकल्प के रूप में हैं। एक विकल्प में IRNSS-1H है।

बीते तीन दशकों में इसरो के लिए यह पहला मौका है जब उसने नेविगशन सैटेलाइट बनाने का मौका निजी क्षेत्र को दिया गया। इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने बताया कि हमने सैटेलाइट जोड़ने में निजी संस्थानों की मदद ली है।

इसके लिए रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाले बेंगलुरु के अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी को पहला मौका मिला। 70 इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत के बाद इस सैटेलाइट को तैयार किया।

इसरो के अनुसार, इससे नाविक मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए संभावित क्षेत्र में पहुंचने में मददगार साबित होगा, वह मछुआरों को खराब मौसम, ऊंची लहरों और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास पहुंचने से पहले सतर्क होने का संदेश देगा। यह सेवा स्मार्टफोन पर एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के द्वारा उपलब्ध होगी।

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