तीन राज्यों में शपथग्रहण से पहले अखिलेश, मायावती ने कांग्रेस को दिया बड़ा झटका?
कर्नाटक चुनाव की तरह कांग्रेस ने तीनों शपथ ग्रहण समारोह विपक्ष की एकता दिखाने की तैयारी की थी लेकिन अब ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।
नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस एक बार फिर पटरी पर लौटती हुई नजर आ रही है। हिंदी पट्टी के 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को एक बड़ा झटका दिया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सीएम के शपथग्रहण समारोह से अखिलेश और मायावती ने किनारा कर लिया है।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुमत के ठीक नजदीक पहुंच कर थमी कांग्रेश को सपा और बसपा के विधायकों का समर्थन मिला है, आज इन तीन राज्यों के सीएम शपथ लेंगे। मध्यप्रदेश में कमलनाथ राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। कर्नाटक चुनाव की तरह कांग्रेस ने तीनों शपथ ग्रहण समारोह विपक्ष की एकता दिखाने की तैयारी की थी लेकिन अब ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों की शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए शरद पवार, शरद यादव, एम. के. स्टालिन, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया है। तीनों राज्यों में एक ही दिन अलग-अलग समय पर शपथग्रहण समारोह होने वाले हैं।
Samajwadi Party (SP) President Akhilesh Yadav and Bahujan Samaj Party (BSP) Chief Mayawati will not participate in the swearing-in ceremonies in Rajasthan, Chhattisgarh and Madhya Pradesh today. (file pics) pic.twitter.com/2GbkuXAeOg
— ANI UP (@ANINewsUP) December 17, 2018
बसपा सुप्रीमो और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कांग्रेस को सरकार बनाने में मदद करने बाली यह पार्टियां शपथ ग्रहण समारोह से दूरी क्यों बना रही है। कहा जा रहा है कि यूपी में महागठबंधन की तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं बनी है। ऐसे में अखिलेश और मायावती काग्रेस के साथ मंच साझा करने को लेकर एक असमंजस की स्थिति में है। यूपी में अखिलेश और माया के बीच गठबंधन गठबंधन तय माना जा रहा है लेकिन उसमें कांग्रेस की भूमिका स्पष्ट नहीं हो पा रही है।