राजस्थान मुख्यमंत्री सचिव की खबर पड़ताल में निकली झूठी, पत्रकार ने मांगी माफ़ी
बीती 3 जुलाई को एक खबर पोस्ट हुई थी जो राजस्थान मुख्यमंत्री की सचिव तन्मय कुमार के बारे में थी जिसे वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी ने भेजी थी. पड़ताल के बाद वो गलत साबित हुई जिसका हमें खेद है.
बीती 3 जुलाई को एक खबर पोस्ट हुई थी जो राजस्थान मुख्यमंत्री की सचिव तन्मय कुमार के बारे में थी जिसे वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी ने भेजी थी. पड़ताल के बाद वो गलत साबित हुई जिसका हमें खेद है.
पत्रकारिता में अनेक बार खबरे सौ फीसदी सच भी होती है और अनेक बार सौ फीसदी गलत भी और कभी आधी-अधूरी । पत्रकार कोई भविष्यवक्ता नही होता । उसकी खबर का मुख्य आधार उसके सूत्र होते है । कई बार सूत्र विश्वसनीय होने के बाद भी गलत साबित हो जाते है । जैसे अनेक बार सीबीआई, इनकम टैक्स, भ्रस्टाचार निरोधक विभाग और इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट आदि छापा डालने जाते है । पुख्ता खबर होने के बाद भी समय की कसौटी पर सूचना या तथ्य गलत साबित हो जाते है ।
मैंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री के प्रमुख शासन सचिव तन्मय कुमार के बारे में एक पोस्ट डाली थी । पड़ताल के बाद वह गलत साबित हुई । दरअसल कुछ लोगो की तन्मय कुमार से लंबे समय से खुन्नस चल रही है । इन्ही लोगो ने तन्मय कुमार को बदनाम करने की गरज से आमेर तहसील के लोगो को उकसा कर गलत और मनगढ़ंत शिकायत भिजवाई ताकि तन्मय कुमार की छवि को बदरंग किया जा सके । वही शिकायत मेरे हाथ लगी थी । लेकिन जब मैंने गांव जाकर विस्तृत पड़ताल की तो आरोपित तथ्य सही नही पाए गए ।
पत्रकारिता का मतलब यह भी नही है कि किसी के चेहरे पर कालिख पोती जाए । अगर खबर गलत पाई जाती है तो उसे विनम्रता से स्वीकार भी करना चाहिए । यहां मैं नवभारत टाइम्स के प्रधान संपादक स्व राजेन्द्र माथुर की उस बात को अवश्य कोट करना चाहूंगा । उन्होंने कहा था कि पत्रकारिता का यह भी मतलब नही है कि हाथ मे कोलतार का डिब्बा लेकर लोगो के चेहरे पर उसे पोता जाए । पत्रकारिता में गलती होने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता है । अपनी भूल स्वीकार करने से पत्रकार और पत्रकारिता की विश्वसनीयता बढ़ती है । कदाचित मेरा इरादा तन्मय कुमार की छवि को खराब करने का कतई नही था और खराब करू भी तो करू क्यो ? मेरी उनसे कोई अदावत नही है ।
मेरी पोस्ट के कारण उन्हें जो मानसिक और सार्वजनिक आघात लगा है, उसके लिए मुझे उनसे क्षमा मांगने में कोई गुरेज नही है । अगर कोई मेरी इस क्षमा याचना का गलत अर्थ निकालता है तो उसके लिए मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करूँगा कि उसे सद्बुद्धि दे । हम भारतीय है । भारतीय संस्कृति में क्षमा का बहुत बड़ा महत्व होता है । जैन धर्म मे तो क्षमा को पर्व की तरह मनाया जाता है । मेरी तन्मय कुमार से कोई खुन्नस या रंजिश नही है । मैं आज तक उनसे कभी मिला भी नही हूँ और ना ही मैंने उनसे कभी मिलने का समय मांगा । गफलत में जो कुछ हुआ, उसका मुझे दिल से खेद है ।
महेश झालानी