स्पेशल किड्स ने 'पोलो खेल' में दिखाया जोश

बच्‍चों ने अपने उम्‍दा प्रदर्शन से उपस्थिति दर्शकों का खूब मनोरंजन किया

Update: 2019-02-02 09:19 GMT

नई दिल्‍ली : 'स्पेशल किड्स' बच्‍चे कोई अभिशाप नहीं हैं। अगर उन्‍हें प्रोत्साहन दिया जाए तो वह किसी आम बच्‍चों से कम नहीं हैं। यह देखने को मिला मेडिएस्टा फाउंडेशन और मुंडोता पैलेस के सहयोग से जयपुर में 'स्पेशल किड्स' के लिए आयोजित 'अंतरिक्ष इंडिया पोलो कप' में। बच्‍चों ने अपने उम्‍दा प्रदर्शन से उपस्थिति दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। हर किसी को इन बच्‍चों की अनूठी और अद्भुत प्रतिभा को देख लगा कि ईश्वर ने इन्‍हें भले ही कमजोर बनाया हो लेकिन इनमें जोश और जज्बे की कोई कमी नहीं है।

जीत के लिए आखिरी तक जद्दोजहद 

मैच में खिलाड़ियों ने उम्दा प्रदर्शन किया। दोनों टीम के खिलाड़ियों ने जीत के लिए पूरी जद्दोजहद की और आखिर तक जीत को अपने नाम करने के लिए संघर्ष करते दिखे। पूरे मैच में रोमांच और उत्‍साह अपने चरम पर था। कहीं से नहीं लगा कि यह आम बच्‍चों का मैच नहीं है। हर कोई खेल के दौरान पूरा लुत्‍फ उठाता रहा।




 खेल की बारीकियां भी सिखाई गई

मेडिएस्टा फाउंडेशन और उमंग फाउंडेशन की मदद से आयोजित इस पोलों मैचे में देशभर से आए स्पेशल किड्स को इस खेल की बारीकियां सीखाई गई। पोल खेल से जुड़े प्रोफेशनल खिलाड़ियों ने बच्‍चों को इस खेल में अच्‍छा करने और गलतियों से बचने की सीख दी। स्पेशल किड्स ने भी इस मौके का पूरा फायदा उठाकर इस खेल से जुड़ी हर बारीकी को समझा और सीखा।




 प्रोत्‍साहन दें, कमजोर नहीं समझें

मेडीस्टा फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. मनीषा राव ने कहा, हम समाज की बेहतरी के लिए हमेशा कम करते हैं। पोलो कप का आयोजन इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। इससे हम उन बच्‍चों को प्रोत्‍साहित करना चाहते हैं जिन्‍हें समाज में कमजोर समझा जाता है। मैं यह संदेश देना चाहती हूं कि अगर आप उन्‍हें कमजोर नहीं बल्कि प्रोत्‍साहित करेंगे तो वह भी किसी से कम नहीं है। उन्‍हें भी ईश्‍वर ने किसी खास कला के साथ इस धरती पर भेजा है।

दर्शकों ने बढ़ाया उत्साह

पोलो मैच देखने आए शहर के कई गणमान्य लोगों ने स्पेशल किड्स का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि समाज के लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है क्योंकि स्पेशल किड्स होना कोई अभिशाप नहीं है। उन्हें किसी की दया नहीं बल्कि प्रोत्साहन की जरूरत है। उनमें भी कुछ कर गुजरने का दम है। वे भी आम बच्‍चों से किसी मामले में कम नहीं। बस उनको भी आम बच्‍चों जैसा अवसर उपलब्‍ध कराने कजी जरूरत है। 

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