एजुकेशन माफिया डॉ स्वर्णकार इनकम टैक्स के राडार पर

Update: 2018-02-25 03:34 GMT
एजुकेशन माफिया के सरगना तथा महात्मा गांधी अस्पताल के चेयरमैन डॉ एम एल स्वर्णकार आयकर विभाग और इंफोर्समेंट डायरेक्टरेटमहात्मा गांधी अस्पताल के चेयरमैन डॉ एम एल स्वर्णकार आयकर विभाग और इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट के राडार पर पर है। डॉ स्वर्णकार पर नाजायज तरीके से 1000 करोड़ रुपये की संपति अर्जित करने का आरोप है। इनके ठिकानों पर कभी भी छापा मारा जा सकता है। इसके अलावा एमबीबीएस में एडमिशन के नाम पर प्रति छात्र 80 लाख से एक करोड़ रुपये वसूलने की भी सीबीआई गुप्त पड़ताल कर रही है। जांच के बाद कई राजनेताओ और पत्रकारों के चेहरे भी स्याह दिखाई देंगे।
सवाई माधोपुर के एक छोटे से गांव मांसलपुर में जन्मे डॉ स्वर्णकार देखते ही देखते अरबो रुपये के स्वामी बन गए। विदेश से आकर इन्होंने एसएमएस के पास सुराणा डायग्नोस्टिक लेब के पीछे एक कमरे से अपनी दुकान प्रारम्भ की। इनकी दुकान को प्रचारित करने में रीको के कर्मचारी नेता मदन मोहन की उल्लेखनीय भूमिका रही। चूँकि निसंतान को संतान दिलाने वाले डॉ स्वर्णकार पहले व्यक्ति थे। इसलिए इनकी दुकान ख़ूब चल निकली। बाद में इन्होंने बनीपार्क में भी दूसरी दुकान खोल ली। डॉ गुंजन इनसे जुड़ चुकी थी जो गायनी में अपना विशेष रखती है। डॉ गुंजन के नाम का इस्तेमाल कर इन्होंने खूब शोहरत हासिल की। कुछ अनबन होने के बाद स्वर्णकार ने डॉ गुंजन को निकाल दिया।
अब तक स्वर्णकार अथाह धन के स्वामी बन चुके थे। राजनेताओ से निकट के रिश्ते बना लिए। सीतापुरा, जयपुर में इन्होंने राजनेताओ का सहारा लेकर महात्मा गांधी अस्पताल की स्थापना की। अब स्वर्णकार डॉक्टर से बड़े एक उडायोगपति बन चुके थे । शातिर दिमाग वाले स्वर्णकार ने यह जान लिया कि बिना मीडिया और राजनेताओ के सहायता के बिना इस उद्योग को ज्यादा विकसित नही किया जा सकता है । इसलिए इन्होंने मीडिया को पटाने के लिए श्याम सोनी सहित कई और पत्रकारों की सेवाएं ली।
स्वर्णकार का मूल मंत्र है कि राजनेताओ और मीडिया की बैशाखियों का सहारा लिए बिना आगे नही बढ़ा जा सकता है। इसलिए इन्होंने मीडिया की बिगड़ी औलादों को थोक मे एडमिशन देकर उन्हें डॉक्टर की डिग्रियां थमा दी। इसी तरह राजनेताओ पर भी इन्होंने खुले हाथ से धन लुटाया। ये राज्यसभा में जाने की जुगत में लगे हुए थे, लेकिन मामला नही बैठा। स्वर्णकार का यह भी मंत्र है कि राजनेताओ पर किया गया निवेश भविष्य के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होता है। इसलिए वे हर राजनेता को उसकी औकात के हिसाब से चंदा देकर उपकृत करते रहते है। इनका मानना है कि राजनेता उनका काम नही कराएगा तो कम से कम सदन उनकी पोल तो नही खोलेगा।
सूत्रों से पता चला है कि नोटबन्दी के दौरान इन्होंने करोड़े रुपये के पुराने नोट बदलवाए थे। कानाफूसी चल रही है कि इनके खातों को सीज कर दिया गया है। इसलिए अरबो रुपये होने के बाद सात माह से कर्मचारियों को वेतन नही मिल पा रहा है । कई डॉक्टर छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे है तो कुछ की छंटनी हो सकती है। श्याम सोनी को पदोन्नत कर मुख्य मानद मीडिया सलाहकार बनाया जा रहा है । चर्चा है कि स्वर्णकार कई राजनेताओ के आगे चक्कर काट रहे है ताकि वे उन्हें इस बखेड़े से बाहर निकाल सके।

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