राजस्थान राज्य में इस समय भाजपा की सरकार हैं जिसकी मुखिया के रूप में मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे का सत्ता और संगठन दोनों पर समान रुप से कब्जा रहा है।प्रदेश भाजपा मे आज वसुंधरा राजे के कद का कोई दूसरा नेता नही है।भाजपा प्रदेश सरकार की मुखिया के रुप में मुख्यमंत्री राजे का प्रभाव राज्य में इस बार तेजी से क्षीण हो चुका है। सत्ता और संगठन दौनों पर समान रूप से कब्जा करके वसुंधरा राजे भाजपा आला कमान को ठेंगा दिखाती रही है।
भाजपा आलाकमान के द्वारा राजे की पसंद के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी को उप चुनाव में मिली करारी हार के कारण पद से हटाकर अपनी पसंद के गजेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बेठा दिया था।राजे केवीटो पावर के कारण भाजपा आलाकमान की पसंद के गजेंद्र सिंह आज भी घोषणा के बाद अधर झूल मे लटक रहे हैं। भाजपा आलाकमान गजेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाकर आगामी विधानसभा चुनाव में राजे समर्थक विधायकों के टिकिट काटकर मुख्य मंत्री राजे के पर कतरना चाहता है जो राजे को कतई बर्दाश्त नहीं है। मुख्यमंत्री राजे कोराज्य में भाजपा आलाकमान का दखल देना किसी भी कीमत परमंजूर नहीं है यह विवाद अब आरपार की जंग में बदल गया है।आलाकमान भी अब विवाद रहित मुख्य मंत्री और आलाकमान की साझा पंसद के मदन लाल सैनी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने के लिए सहमत हो गया है। मदनलाल सैनी वर्तमान में राज्य सभा के सासंद है इनकी गहरी राजनीतिक समझ और व्यापक जनाधार के कारण जयपुर से देहली तक इनके नाम पर सभी नेताओं मे सहमति बन गई है।वर्ष1970मे विधी स्नातक बनकर वकालत करने वाले सैनी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत विधार्थी परिषद के जिला और प्रदेश पदाधिकारी बनने से की।प्रदेश के मजदूरों के लिए भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महा मंत्री बनकर सैनी ने लम्बे संघर्ष के बल पर राज्य में अपनी अलग पहचान बनाई।भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी के रूप में सैनी ने अमेरिका जर्मनी इगंलेण्ड की यात्रा वंहा के मजदूर यूनियन के बुलाए जाने पर की।1990के विधानसभा चुनाव में वेझुन्झुनु जिला के गुढा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर विधायक चुनाव जीतकर बने।
वर्ष1991और98के लोक सभा चुनावों में ये भाजपा प्रत्याशी के रुप मे चुनाव लडकर काफी कम अतंर से चुनाव हारे।खेतडी कापर मजदूर यूनियन के अध्यक्ष बनकर अपने जिले में इन्होंने भाजपा की पहचान कराई है। आपातकाल के दौरान ये कई महीनों तक कांग्रेस विरोध के कारण जेल में भी रहे हैं।वसुंधरा राजे की सरकार के सामने आगामी विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत का सामना करना लगभग असंभव माना जा रहा है।गहलोत की पकड राज्य के ओबीसी मतदाताओं मे काफी मजबूत मानी जाती है ।गहलोत की सादगी और लोकप्रिय ता के सामने भाजपा का एक भी नेता नही टिकता है।मदनलाल सैनी राज्य सभा सदस्य होने के बाद भी सरकारी रोडवेज की बसो मे सफर करते हैं।झुन्झुनू भाजपा के जिलाध्यक्ष से लेकर भाजपा के प्रदेश महामंत्री के साथ वे किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर भी रहे हैं।मदनलाल के अध्यक्ष बनने से सैनी समाज के साथ ओबीसी मतदाताओं का बडा वर्ग भाजपा से जुड जाएगा जो अशोक गहलोत के कारण भाजपा से विमुख हो गया था।
राज्य में इस समय वसुंधरा राजे सरकार के मंत्रियों के अहंकार राजसी वेभव काव्यापक विरोध जनता मे बना हुआ है।सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार के कारण भी जनता मे आक्रोश व्याप्त है।अशोक परनामी पूर्व भाजपा अध्यक्ष की छवि जनता मे सरकार की कटपुतली जेसी बन गई थी जिसे तोडने के लिए शायद ही कभी अशोक परनामी ने प्रयास किये हो।परनामी के कारण भी जनता मे भाजपा की छवि धूमिल हो चुकी है।शायद ही कोई प्रदेश भाजपा मे मदनलाल जेसा जनता के करीब सादगी पसंद ने ता है।अपने झुझारू संघर्ष शील तेवरों के कारण जन संघर्ष को वोटो मे बदलने की अदभुत कला मदनलाल रखते हैं।विवादों से दूर रहकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति मे लगकर राज्य के शेखावाटी के जाट मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में भाजपा के वोट बैंक का विस्तार करना काफी दुष्कर कार्यथा जो भी सैनी के कारण सम्भव हो चुका है।हाल ही में देश के अनेक राज्यों के उप चुनाव में विपक्षी दल भाजपा के विरोध में एस सी एस टी ओबीसीजातियों के वोट समूहों को लामबंद कर चुके हैं
।सामाजिक कारीगरी के बल पर भाजपा को चुनाव में पराजित करने के लिए आतुर कांग्रेसी नेताओं के लिए सैनी समाज मे व्यापक जनाधार रखने वाले मजदूर नेता के रुप में विख्यात मदनलाल कीसादगी से मुकाबला करना कठिन हो सकता है।संघ भाजपा के साथ मुख्यमंत्री कीसयुंक्त पसंद बने मदनलाल के कारण पहले से ही अपनी सरकार बनने की धारणा मन में पाले बेठे कांग्रेस के नेताओं को भी चुनाव में संघर्ष करना पड सकता है।अमित शाह की रणनीति और मदनलाल काअनुभव भाजपा को नया जीवन दे सकते हैं।फिलहाल राज्य में भाजपा की चुनौती कांग्रेस के लिए नाम मात्र की हैसरकार विरोधी भावना का बिखरी हुई भ्रष्टाचार मे लिप्त भाजपा प्रदेश की जनता का सामना चुनावों में सफलतापूर्वक कर पाऐगी इसको लेकर भाजपा मे ही काफी संशय है।भाजपा आलाकमान केनिर्णय से प्रदेश भाजपा की चुनौती की स्थिति चुनाव में किस रुप में होगी इसका निर्णय होना है।