जयपुर: विधानसभा में मंगलवार को अभिभाषण के बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक शकुन्तला रावत बोल रही थी। इस दौरान कांग्रेस के अधिकांश विधायक सदन में मौजूद नहीं थे, इस पर संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ खड़े हुए और रावत से कहा कि कांग्रेस ने एक अबला नारी को सदन में अकेला छोड़ दिया है। इस पर रावत ने पलटवार करते हुए कहा कि सदन में एक शेरनी ही काफी है, उन्हें गीदड़ों की जरूरत नहीं है। इसके बाद भाजपा के विधायक चुप बैठ गए।
शकुन्तला रावत ने शिक्षा के निजी क्षेत्र में देने का विरोध किया और कहा कि सरकार शिक्षा को बेच रही है। ऐसे स्कूलों को निजी हाथों में दिया जा रहा है, जिनमें अधिक संख्या में बच्चें हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री की तो उनके विभाग के अधिकारी ही नहीं सुनते हैं। इसका उदाहरण देते हुए कहा कि एक विधवा के मामले में मंत्री के आदेश बीईओ ने मानने से इनकार कर दिया, बल्कि विधवा होने का प्रमाण पत्र मांग लिया। जबकि उसके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र उसके पास था। इस दौरान उनकी शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और अन्य भाजपा विधायकों से बहस भी हुई।
डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर भी शकुन्तला रावत ने सरकार को घेरा। उन्होंने चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ से कहा कि हड़ताल के चलते कई लोगों की जान चली गई। जब आपको झुकना ही था तो पहले ही झुक जाते, इतनी लोगों की जान जाने तक क्यों रुके रहे। इसके अलावा उन्होंने करंट से मौत के मामलों में मृतकों के परिजनों को सहयता नहीं देने समेत कई मुद्दें उठाए।