Eid ul Fitr 2020: क्या आप जानते है कब हुई ईद की शुरुआत, जानें इतिहास और महत्व

जंग-ए-बद्र के बाद ईद उल फितर की शुरुआत हुई थी. जंग-ए-बद्र पैगम्बर मोहम्मद, उनके अनुयायियों और उनके घोर विरोधी अबू जहल और उसकी सेना के बीच हुई थी.

Update: 2020-05-25 05:00 GMT

ईद उल फितर २०२० (Eid ul Fitr 2020 ): इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक ईद साल में दो बार आती है. आज ईद उल फितर है. सबसे पहले जो ईद आती है, उसे ईद-उल-फित्र या मीठी ईद कहते हैं. इसे सेवइयों वाली ईद भी कहा जाता है. यह ईद रोजा खत्म होने के बाद मनाई जाती है. दरअसल पहली ईद-उल-फित्र पैगंबर मुहम्मद ने सन् 624 ईस्वी में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी. जब रमज़ान माह खत्म होता है तो रात में चांद देखने के बाद अगले दिन ईद उल फितर मनाई जाती है. ईद उल फितर में कई मीठे पकवान बनाए जाते हैं- जैसे- किमामी सेवईं, शीर खुरमा और फिरनी. आइए जानते हैं ईद उल फितर का ऐतिहासिक महत्व...

ईद उल फितर का इतिहास:

इस्लाम धर्म के मुताबिक़, जंग-ए-बद्र के बाद ईद उल फितर की शुरुआत हुई थी. जंग-ए-बद्र पैगम्बर मोहम्मद, उनके अनुयायियों और उनके घोर विरोधी अबू जहल और उसकी सेना के बीच हुई थी. जंग में पैगम्बर मोहम्मद के पास जहां महज केवल 313 अनुयायी थे वहीं अबू जहल के पास बड़ी सेना, घुड़सवार, हाथी, घोड़े सब कुछ था. लेकिन इसके बावजूद भी पैगम्बर मोहम्मद और उनके अनुयायियों ने जंग जीत ली. जंग-ए-बद्र में इतिहास में पहली बार किसी लड़ाई में मुसलमानों को विजय मिली थी. यह लड़ाई पैगंबर मुहम्मद साहब के नेतृत्व में लड़ी गई थी. जिस जगह यह जंग लड़ी गई थी वहां बद्र नाम का एक कुआं था. कुएं के नाम पर ही जंग को जंग-ए-बद्र कहा गया. मुसलमान लोगों ने जीत के जश्न को ईद के रूप में मनाया. जीत की ख़ुशी में लोगों में मीठे पकवान भी बांटे गए. इसी वजह से इसे मीठी ईद भी कहा जाता है.जंग-ए-बद्र की शुरुआत रमजान के पहले दिन से हुई थी. इस दौरान पैगंबर मुहम्मद साहब और उनके अनुयायी रोजा थे और जिस दिन जंग खत्म हुई उस दिन ईद मनाई गई.

ईद का महत्व:

ईद लोगों को भाईचारे का पैगाम देती है. इस दिन जरूरतमंद लोगों को ईदी और फितरा (दान) देने की परंपरा है ताकि हर कोई ईद की खुशियां मना सके. ईद की नमाज के बाद परिवार वालों को फितरा दिया जाता है जिसमें 2 किलो ऐसी चीज दी जाती है जिसका प्रतिदिन खाने में इस्तेमाल हो. इसमें गेंहूं, चावल, दाल, आटा कुछ भी हो सकता है. इसे मीठी ईद भी कहते हैं क्योंकि रोजों के बाद ईद-उल-फित्र पर जिस पहली चीज का सेवन किया जाता है, वह मीठी होनी चाहिए. वैसे मिठाइयों के लेन-देन, सेवइयों और शीर खुर्मा के कारण भी इसे मीठी ईद कहा जाता है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं.

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