Mahashivratri 2022: भगवान शिव को क्यों पसंद है भस्म? जानें इसके पीछे की रोचक कहानी

अन्य देवी-देवताओं की तरह शिवजी को दिव्य आभूषण और वस्त्रादि नहीं बल्कि भस्म प्रिय है. शिवजी अपने शरीर पर केवल भस्म ही लगाते हैं और भस्म ही उनका आभूषण है.

Update: 2022-03-01 06:19 GMT

Mahashivratri 2022: भगवान शिव की आराधना का पर्व महाशिवरात्रि आज मनाया जा रहा है. आज शिवजी को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है. शिवजी को आक, बेलपत्र और भांग पसंद है. इसके अलावा अन्य देवी-देवताओं की तरह शिवजी को दिव्य आभूषण और वस्त्रादि नहीं बल्कि भस्म प्रिय है. शिवजी अपने शरीर पर केवल भस्म ही लगाते हैं और भस्म ही उनका आभूषण है. आपको बताते हैं भगवान भोलेनाथ अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं?

शिव पुराण में बताई गई है ये वजह

भगवान शिव पूरे शरीर पर भस्म लगाए रहते हैं. शिव भक्त माथे पर भस्म का तिलक लगाते हैं. शिव पुराण में इस संबंध में एक बहुत ही दिलचस्प कहानी मिलती है. कथा के अनुसार एक साधु था जो खूब तपस्या करके शक्तिशाली हो चुका था. वह केवल फल और हरी पत्तियां खाते थे, इसलिए उनका नाम प्रनद पड़ गया था. अपनी तपस्या के जरिए उस साधु ने जंगल के सभी जीव-जंतुओं पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था. साधु एक बार अपनी कुटिया की मरम्मत के लिए लकड़ी काट रहे थे, तभी उनकी अंगुली कट गई. साधु ने देखा कि अंगुली से खून बहने के बजाए पौधे का रस निकल रहा है.

साधु को लगा कि वह इतना ज्यादा पवित्र हो चुका है कि उसके शरीर में खून नहीं बल्कि पौधों का रस भर चुका है. उसे उस बात की बहुत ज्यादा खुशी हुई और वह घमंड से भर गया. अब साधु खुद को दुनिया का सबसे पवित्र शख्स मानने लगा. भगवान शिव ने जब यह देखा तो उन्होंने एक बूढ़े का रूप धारण किया और वहां पहुंचे. बूढ़े व्यक्ति के भेष में छिपे भगवान शिव ने साधु से पूछा कि वह इतना खुश क्यों है? साधु ने वजह बता दी. सब बात जानकर उससे पूछा कि ये पौधों और फलों का रस ही तो है लेकिन जब पेड़पौधे जल जाते हैं तो वह भी राख बन जाते हैं. अंत में केवल राख ही शेष रह जाती है.

बूढ़े व्यक्ति का रूप धारण करे शिवजी ने तुरंत अपनी अंगुली काटकर दिखाई और उससे राख निकली. साधु को एहसास हो गया कि उनके सामने स्वयं भगवान खड़े हैं. साधु ने अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगी. ऐसा कहा जाता है कि तब से ही भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाने लगे ताकि उनके भक्त इस बात को हमेशा याद रखें. शारीरिक सौंदर्य का अहंकार ना करें बल्कि अंतिम सत्य को याद रखें.

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