गुरुनानक जयंती पर गुरुद्वारों में उमड़ी भीड़, राष्ट्रपति कोविंद और PM मोदी ने दी बधाई
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरू पर्व के पावन अवसर पर आज देशवासियों को बधाई दी.
नई दिल्ली: गुरु नानक जयंती सिख समुदाय के लिए ये दिन बहुत ही विशेष है और सिखों के प्रथम गुरु नानकदेवजी की जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. सिख धर्म के संस्थापक प्रथम पातशाह साहिब श्री गुरु नानक देव जी की आज 549वीं जयंती है.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरू पर्व के पावन अवसर पर आज देशवासियों को बधाई दी. प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को गुरू पर्व की शुभकामनाएं दीं. मोदी ने एक ट्वीट कर कहा कि गुरू नानक जयंती पर हम पूज्य नानक देव जी को नमन करते हैं और उनकी उत्कृष्ट शिक्षाओं का स्मरण करते हैं.
सभी देशवासियों को गुरुपर्व की शुभकामनाएं। हम गुरु नानक देव जी द्वारा दिखाए गए शांति, करुणा और सेवा के रास्ते पर चलें — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 4, 2017
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म राय भोईं की तलवंडी में पिता महिता कालू एवं माता तृप्ता के घर सन् 1469 ई. में हुआ. वास्तव में आपका अवतरण बैसाख शुक्ल पक्ष तृतीया को हुआ परन्तु सिख जगत में परंपरा अनुसार आपका अवतार पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित शहर ननकाना साहिब का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा है. इसका पुराना नाम 'राय भोई दी तलवंडी' था. यह लाहौर से 80 किमी दक्षिण-पश्िचम में स्थित है और भारत में गुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से भी दिखाई देता है.
On Guru Nanak Jayanti we bow to the venerable Sri Guru Nanak Dev Ji and recall his noble thoughts. pic.twitter.com/mTA9zDkPeh
— Narendra Modi (@narendramodi) November 4, 2017
गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान होने के कारण यह विश्व भर के सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है.महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु नानक देव के जन्म स्थान पर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया था.
बता दें इस दिन गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन किए जाते हैं. जगह-जगह लंगरों का आयोजन होता है और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है. गुरू नानक सिखों के प्रथम गुरु (आदि गुरु) हैं. इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं.
गुरुनानक की जयंती के अवसर पर धर्म ग्रंथों को सजाया जाता है और उनका शब्द कीर्तन किया जाता है. इसके साथ निशान साहिब व पंच प्यारों की झाकियां निकाली जाती हैं, इसमें वो सिख धर्म के झंडे लिए होते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में लेकर चला जाता है. इसे नगर कीर्तन के नाम से जाना जाता है। इस नगर कीर्तन में गायक होते हैं जो गुरु नानक साहिब के उपदेश गाते हुए पंच प्यारों के पीछे चलते हैं.
कई जगह इन नगरकीर्तनों में बैंड आदि भी चलता है और सिख धर्म के अनुयायी अपनी तलवार या कृपाल से कलाकारी दिखाते हुए चलते हैं. इन नगर कीर्तनों में अनुयायी अपने सिख गुरु के उपदेश बताते हुए चलते हैं और इसी तरह श्रद्धालु इसमें जुड़ते चलते
गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश स्थान के चारों ओर लंबी चौड़ी परिक्रमा है, जहां गुरु नानकदेव जी से संबंधित कई सुन्दर पेंटिग्स लगी हुई हैं. ननकाना साहिब में सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमग करता ननकाना साहिब एक स्वर्गिक नजारा प्रस्तुत करता है.
दुनियाभर से हजारों हिन्दू, सिख गुरु पर्व से कुछ दिन पहले ननकाना साहिब पहुंचते हैं और दस दिन यहां रहकर विभिन्न समारोहों में भाग लेते हैं.
गुरुनानक की जयंती में हिस्सा लेने के लिए भारत से 2600 से ज्यादा सिख श्रद्धालु गुरुवार को पाकिस्तान पहुंच गये हैं. समारोह का मुख्य कार्यक्रम आज ननकाना साहिब में होगा जहां श्रद्धालु धार्मिक रस्मो रिवाज करेंगे. इसके बाद श्रद्धालु पंजा साहिब, हसनब्दल के लिए रवाना होंगे.