पहला वन-डे न्यूजीलैंड जीता नहीं बल्कि भारत को हार का कारण बना ये 04 ओवर

347 रन बचाने उतरी टीम इंडिया के गेंदबाजों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह जीत के प्रति आश्वस्त हैं।

Update: 2020-02-07 12:31 GMT

348 के विशाल लक्ष्य को साधना कोई आम बात नहीं। वह जीत का हकदार था, लेकिन क्या वाकई यह वही टीम इंडिया थी, जिसने टी-20 सीरीज में 5-0 से मेजबानों का सूपड़ा साफ कर दिया था? क्या वाकई हैमिल्टन वन-डे में टीम इंडिया ने उस स्तर का खेल दिखाया जिसकी उम्मीद सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों को होती है। दरअसल, बुधवार को हैमिल्टन में न्यूजीलैंड जीता नहीं बल्कि टीम इंडिया हार गई।

केन विलियमसन की अनुपस्थिति में टीम की अगुवाई कर रहे स्टैंड-बाय कप्तान टॉम लाथम ने 48 गेंदों पर 69 रन बनाए। हेनरी निकोलस ने भी 82 गेंदों में 78 रन की अहम पारी खेली और न्यूजीलैंड को ठोस शुरुआत दी। मैच के बाद भारतीय कप्तान कोहली ने न्यूजीलैंड की तारीफ तो की, लेकिन अपनी उन कमियों को उजागर नहीं किया, जहां से वह मैच में पिछड़े। ये हैं वो तीन कारण जिनकी वजह से न्यूजीलैंड के हाथों भारतीय टीम को तीन मैच की वन-डे सीरीज के पहले मुकाबले में हार का मुंह देखना पड़ा।

347 रन बचाने उतरी टीम इंडिया के गेंदबाजों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह जीत के प्रति आश्वस्त हैं। बॉलर्स ने 29 रन अतिरिक्त दिए। 4.1 ओवर्स एकस्ट्रा फेंके। 12 साल बाद ऐसा हुआ जब भारतीय खिलाड़ियों ने 30 वाइड गेंदें फेंकी हो। पाटा पिच और छोटे मैदान पर इस तरह की गलती आत्महत्या ही मानी जाती है। विरोधियों ने भी यही किया, हाथ आए मौके को दोनों हाथों से भुनाया और इतने बड़े स्कोर को 11 गेंद शेष रहते ही साधकर नया इतिहास रच दिया। यह लक्ष्य का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड की सबसे बड़ी जीत थी।

हैमिल्टन का मैदान छोटा था और दोनों टीमों के बल्लेबाजों ने जमकर चौके छक्के लगाए। भारत की तरफ से मैच में कुल 32 चौके और आठ छक्के लगे जबकि न्यूजीलैंड की ओर से 34 चौके और सात छक्के लगे। दूसरे मैच के लिए ऑकलैंड के ईडन पार्क का मैदान और भी छोटा है और दूसरे मुकाबले में रनों की बरसात होने की पूरी संभावना है। गेंदबाजों को काफी सतर्क होकर गेंदबाजी करनी पड़ेगी और इस मैदान पर कोई भी स्कोर सुरक्षित नहीं रह सकता है।

हार के पांच कारण

-शार्दुल ठाकुर ने 40वें ओवर में एक नो बॉल सहित 22 रन दिए और अपने 9 ओवर में 8.89 की इकोनॉमी से कुल 80 रन दिए. ठाकुर की सबसे ज्यादा इकोनॉमी रही. 

-इस मैच में मोहम्मद शमी ने भी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं गिया. शमी ने 9.1 ओवर में 63 रन लुटाए और जब भी दबाव बनाने की जरूरत थी उन्होंने दिल खोकर रन दिए. इससे टेलर, और उनके साथियों को मैच में बने रहने का मौका मिला.

-कुलदीप यादव ने अपने 10 ओवर में सबसे ज्यादा 84 रन दिए. ने टीम इंडिया के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी रहे. लेकिन कम रन देकर दबाव बनाने में वे सफल नहीं रहे.

-इस मैच में रवींद्र जडेजा का वह जादू बिलकुल भी नहीं दिखा जो टी20 सीरीज में दिखा था. जडेजा ने 10 ओवर में कुल 64 रन दिए. उन्होंने एक भी विकेट नहीं मिला. जबकि कई बार विराट ने उन्हें इस उम्मीद से दी थी कि वे विकेट ले लें. 

-इस मैच में टीम इंडिया की फील्डिंग बहुत ही खऱाब रही. दो कैच छूटे. कई बार सटीक थ्रो नहीं रहा. तो कुछ ओवर थ्रो भी गए. विराट कोहली के निकोल्स के रन आउट के अलावा टीम कभी ऐसी नहीं दिखी की वह एक टारगेट बचाने की कोशिश कर रही है।

 


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