महिला टी-20 वर्ल्ड कप: मैदानी अंपायर के एक फैसले को थर्ड अंपायर ने लगाई रोक, कहां हम देंगे

आईसीसी ने अपने बयान में कहा- जब यह तकनीक लागू होती है, उस स्थिति में मैदानी अंपायर को फ्रंट फुट नोबॉल देने के लिए थर्ड अंपायर से बात करनी होती है। अन्य दूसरे प्रकार की नोबॉल का फैसला अंपायर खुद से ले सकते हैं।

Update: 2020-02-11 07:56 GMT

इस साल होने वाले महिला टी-20 वर्ल्ड कप में पहली बार फ्रंट फुट नो-बॉल टेक्नोलॉजी को लागू किया जाएगा। यह जानकारी इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने मंगलवार को दी। आईसीसी टूर्नामेंट में ऐसा पहली बार होगा। इस टेक्नोलॉजी के तहत थर्ड अंपायर हर एक गेंद के दौरान बॉलर के पैर पर पैनी नजर रखेगा। यदि नोबॉल होती है, तो वह मैदानी अंपायर से बात करेगा।



आईसीसी ने अपने बयान में कहा- जब यह तकनीक लागू होती है, उस स्थिति में मैदानी अंपायर को फ्रंट फुट नोबॉल देने के लिए थर्ड अंपायर से बात करनी होती है। अन्य दूसरे प्रकार की नोबॉल का फैसला अंपायर खुद से ले सकते हैं।



आईसीसी के जनरल मैनेजर ने कहा, ''क्रिकेट अभी बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड पर है। इस समय यह टेक्नोलॉजी को लागू करना बिल्कुल सही रहेगा। मुझे विश्वास है कि यह तकनीक महिला टी-20 वर्ल्ड कप में नोबॉल को लेकर होने वाली छोटी-छोटी गलतियों को कम करेगा। नोबॉल अंपायर के लिए एक मुश्किल फैसला होता है।''

नो बॉल को लेकर पिछले कुछ समय में काफी विवाद हुए हैं और इसकी वजह से कप्तान और खिलाड़ियों के साथ अंपायर की नोकझोंक भी देखने को मिली है। ऐसे में इस तकनीक के लागू होने के बाद फिल्ड अंपायर का काम आसान हो जाएगा।

सबसे पहले इस टेक्नोलॉजी को ट्रायल के तौर पर 2016 में पाकिस्तान-इंग्लैंड वनडे सीरीज में लागू किया गया था। पिछली बार भारत और वेस्टइंडीज सीरीज में इस तकनीक का इस्तेमाल हुआ था। हर बार ट्रायल सफल रहा। अब तक यह टेक्नोलॉजी 12 से ज्यादा मैचों में इस्तेमाल की गई। इस दौरान कुल 4717 गेंदों में से 13 नोबॉल (0.28 प्रतिशत) निकलीं। हर बार थर्ड अंपायर का फैसला सही रहा।

आईसीसी महिला टी-20 विश्व कप का आयोजन 21 फरवरी से होगा और उद्घाटन मुकाबले में मौजूदा चैम्पियन तथा मेजबान ऑस्ट्रेलिया का सामना भारत से होगा।


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