जीत दिलाने फिर लौट रहा है सुपरस्टार महेंद्र सिंह धोनी
वर्ल्ड कप में हार के बाद नहीं होगी फैंस की सूरत रोनी;
महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया के साथ वापस आ रहे हैं। जी हां, लेखनबाजी ने लिख दिया है तो संदेह की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है। जिस धोनी ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन को 22 साल में 5 वर्ल्ड कप खेलने के बाद आखिरकार छठे वर्ल्ड कप में ट्रॉफी जीतने का सौभाग्य दिया, वही धोनी अब फिर एक बार भारतीय टीम के साथ नजर आएंगे। BCCI बिना वर्ल्ड कप खिताब के देश लौटी टी-20 टीम को बदलने की योजना बना रहा है। बोर्ड की नई योजना में 2007 का खिताब जिताने वाले महेंद्र सिंह धोनी का अहम रोल है।
बोर्ड टी-20 टीम को आक्रामक बनाने के लिए धोनी को फिर टीम से जोड़ रहा है। इंग्लैंड के जिस फीयरलेस क्रिकेट की बात लेखनबाजी ने कही, बीसीसीआई उससे सहमत हो गया है। बोर्ड टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में भी धोनी को मेंटॉर के तौर पर टीम के साथ भेज चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक BCCI इंग्लैंड की तरह फीयरलेस क्रिकेट खेलने वाली टीम बनाना चाहता है। इसमें वो धोनी की एक्सपर्ट स्किल्स की मदद लेने पर विचार कर रहा है और जल्द ही फैसला भी लेगा। बीसीसीआई को समझ आ गया है कि कोचिंग कोई दाल भात का कौर नहीं है, जो सीधा धोनी को वर्ल्ड कप में मेंटॉर बनाकर भेजे और रिजल्ट मिल गया।
जीत के लिए कुछ वर्षों तक टीम को नए तरीके से खेलने की ट्रेनिंग देनी होगी और द्विपक्षीय सीरीज में नई रणनीति पर अमल करके दिखाना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक धोनी को BCCI लिमिटेड ओवर यानी टी-20 और वनडे के लिए कोच या डायरेक्टर भी बना सकता है। टीम इंडिया ने 1983 में कपिल देव की कप्तानी में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता था। इसके बाद धोनी की कप्तानी में 2011 में यह खिताब हमारे देश के पास आया। 28 साल का इंतजार...! देश फिर एक बार इतना लंबा वेट करने के लिए तैयार नहीं है। इसके अलावा पहला टी-20 वर्ल्ड कप भी 2007 में धोनी की कप्तानी में ही जीता गया था।
एमएस ने 15 अगस्त 2020 को वनडे और टी-20 से संन्यास ले लिया था। उन्होंने 30 दिसंबर 2014 को ऑस्ट्रेलिया में आखिरी टेस्ट खेलकर इस फॉर्मेट से भी संन्यास का ऐलान किया था। इधर धोनी गए और उधर आईसीसी टूर्नामेंट्स में मानो टीम इंडिया की किस्मत रूठ गई। महेंद्र सिंह धोनी की सबसे बड़ी खासियत यह रही उन पर जितना भरोसा सचिन करते थे, उतनी ही शिद्दत से माही को विराट भी चाहते थे। क्रिकेट इतिहास के 2 सबसे बड़े खिलाड़ियों से इतना खूबसूरत रिश्ता शेयर करना माही की बड़ी खासियत रही। अगर आपको याद हो तो 2003 वर्ल्ड कप में सचिन सर्वाधिक रन बनाकर मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने थे लेकिन भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों बुरी तरह पराजित हुआ था।
बता दें कि वर्ल्ड कप 2003 के 11 मैचों में सचिन तेंदुलकर ने 61.18 के औसत और 89.26 के स्ट्राइकरेट से 75 चौकों और 4 छक्कों के साथ 673 रन बनाए, जिसमें 1 शतक और 6 अर्धशतक शामिल थे। किसी भी एक वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में कभी भी एक बल्लेबाज ने इतने ज्यादा रन कभी नहीं बनाए। इसके बावजूद 2003 वर्ल्ड कप फाइनल के बाद समूचे हिंदुस्तान में मातम का दौर था। उन हालात को अगर किसी ने बदल कर दिखाया तो उस बाजीगर का नाम है महेंद्र सिंह धोनी...! किसी ने टीम इंडिया को नॉकआउट मुकाबले जीतना सिखाया, तो उस दिन और कप्तान का नाम है महेंद्र सिंह धोनी.. !
इस वक्त भी कुछ बड़े खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन हम लाइन क्रॉस नहीं कर पा रहे। आईसीसी टूर्नामेंट्स के पिछले 10 नॉकआउट मुकाबलों में 7 दफा हिंदुस्तान को मिली हार इसकी गवाही देती है। धोनी इसी हिचक को तोड़ने के लिए आ रहे हैं। धोनी खिलाड़ियों को बताने जा रहे हैं कि ग्रुप स्टेज में शेर की तरह प्रदर्शन करने वाली टीम इंडिया नॉकआउट मुकाबलों में गीदड़ नहीं बन सकती। उसे वहां भी धमाकेदार प्रदर्शन दिखाना होगा और आईसीसी टूर्नामेंट जीतकर ट्रॉफी घर लाना होगा।
BCCI इंग्लैंड की तर्ज पर लिमिटेड ओवर और टेस्ट की अलग-अलग टीम बनाने पर विचार कर रहा है। इतना ही नहीं, इन टीमों के लिए अलग-अलग कोचिंग स्टाफ भी अपॉइंट किया जा सकता है। अलग कोच पर इस महीने होने वाली मीटिंग में फैसला लिया जा सकता है। टी-20 वर्ल्ड कप जीत चुके इंग्लैंड ने अपनी क्रिकेट में काफी बदलाव किए हैं। इंग्लैंड की टीम 7 साल पहले वनडे वर्ल्ड कप में बांग्लादेश से हारी थी। वह क्वार्टर फाइनल में नहीं पहुंच पाई। इसके बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने कड़े फैसले लिए और बदलाव शुरू किए। उन फैसलों ने इंग्लिश क्रिकेट का वक्त बदल दिया, जज्बात बदल दिए और अब तो हालात भी बदल दिए....!
एंड्र्यू स्ट्रॉस बोर्ड के बॉस बने। उन्होंने इयॉन मॉर्गन और कोच ट्रेवर बेलिस को टीम को दोबारा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। इंग्लैंड ने टी-20, वनडे और टेस्ट के लिए अलग-अलग कप्तान और कोच अपॉइंट किए हैं।जोस बटलर टी-20 और वनडे कप्तान हैं। मैथ्यू मोट कोच हैं। बेन स्टोक्स टेस्ट टीम के कैप्टन हैं और ब्रेंडन मैकुलम कोच हैं। मॉर्गन को टीम को दोबारा खड़ा करने का श्रेय दिया जाता है तो बटलर-मोट की जोड़ी को आज की आक्रामक टीम बनाने का। भारतीय टीम भी कुछ ऐसे ही बदलाव डिजर्व करती है। राहुल द्रविड़ की टेस्ट क्रिकेट वाली रणनीति T-20 वर्ल्ड कप में बुरी तरह फेल हो चुकी है।
2023 में वनडे वर्ल्ड कप भारत में ही खेला जाना है। इसके बाद 2024 में टी-20 वर्ल्ड कप अमेरिका और वेस्टइंडीज में होना है। ऐसे में वनडे के लिए करीब 1 साल और टी-20 वर्ल्ड कप के लिए 2 साल बचे हैं। टीम मैनेजमेंट चाहता है कि इन दोनों वर्ल्ड कप के लिए नए सिरे से टीम तैयार की जाए। इसके लिए अभी से तैयारियां की जा रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि धोनी ने जिस तरीके से युवराज सिंह जैसे आक्रामक खिलाड़ी को लंबे अरसे तक पूरी फिटनेस के साथ टीम का हिस्सा बनाए रखा, कुछ वैसा ही फिर एक बार करके दिखाएं। भारतीय खिलाड़ी आईपीएल के लिए फिट हो जाते हैं लेकिन आईसीसी टूर्नामेंट के पहले अनफिट नजर आते हैं। इन परिस्थितियों में बदलाव अगर कोई ला सकता है तो सिर्फ और सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी...!\
वर्ल्ड कप में हार के बाद नहीं होगी फैंस की सूरत रोनी
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