वर्ल्ड कप फाइनल आज: भारतीय टीम के दिल के अरमा आंसुओं में बह गए

Update: 2022-11-13 06:17 GMT

आज 13 नवंबर! वर्ल्ड कप फाइनल का दिन। जो होगा जरूर लेकिन भारत के बिना...! 15 साल बाद वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद लेकिन दिल के अरमां आंसुओं में बह गए। ऐसे में लेखनबाजी ने निर्णय लिया है कि आपको वह सब बताएंगे, जिस कारण 1 साल बाद भी T-20 वर्ल्ड कप में हमारी किस्मत में हार लिख दी गई।

आपको शायद पता नहीं होगा लेकिन 2021 वर्ल्ड कप के बाद भारत ने 4 कप्तान बदले और 30 खिलाड़ियों को टीम में मौका दिया। इन सब का नतीजा रहा कि सेमीफाइनल में 169 का टारगेट चेज करते हुए इंग्लैंड ने बगैर विकेट गंवाए 170 रन बना लिए और भारत को वर्ल्ड कप से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का एक ट्वीट है, उसको जितनी बार देखिएगा उतनी बार खून खौल उठेगा। उन्होंने लिखा है कि इस वर्ल्ड कप का फाइनल 152/0 और 170/0 के बीच होगा। घमंड में चूर होकर यह लिखने का अवसर शाहबाज को हमने खुद ही दिया है।

2021 वर्ल्ड कप के बाद विराट कोहली को हटाकर रोहित शर्मा को टी-20 समेत तीनों फॉर्मेट में कप्तान बना दिया गया। रवि शास्त्री की बजाय राहुल द्रविड़ हेड कोच हो गए। 15 नवंबर 2021 से 15 अक्टूबर 2022 तक 11 महीने में टीम इंडिया ने 35 टी-20 मैच खेले। इनमें 30 खिलाड़ियों को मौका दिया गया। 7 खिलाड़ियों ने भारत के लिए डेब्यू किया। बाकी रहने दीजिए, हमने इस दौरान 4 कप्तान भी बदल दिए। इतने एक्सपेरिमेंट के बाद टी-20 वर्ल्ड कप के लिए 15 खिलाड़ियों की टीम तय हुई, लेकिन ये टॉप-15 खिलाड़ी मिलकर भी भारत को ICC ट्रॉफी नहीं जिता सके। इससे ज्यादा दर्दनाक और शर्मनाक क्या हो सकता है।

इस वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा और केएल राहुल की ओपनिंग जोड़ी सुपर फ्लॉप रही। कितना शर्मनाक है कि 6 मैच में एक भी बार यह जोड़ी 50 रन की पार्टनरशिप नहीं कर सकी। पिछले वर्ल्ड कप के बाद भारत ने ईशान किशन, ऋतुराज गायकवाड़, संजू सैमसन और दीपक हुड्डा तक से ओपनिंग करवाई, लेकिन आखिर में रोहित और राहुल की जोड़ी पर ही भरोसा किया। ये दोनों कुछ नहीं कर सके। पाकिस्तान के खिलाफ 7, नीदरलैंड के खिलाफ 11, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 23, बांग्लादेश के खिलाफ 11, जिम्बाब्वे के खिलाफ 27 और सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 9. ! ये हैं भारत की सर्वश्रेष्ठ सलामी जोड़ी के वर्ल्ड कप 2022 पार्टनरशिप के आंकड़े।

टी-20 फॉर्मेट में रिस्ट स्पिनर विकेट टेकिंग विकल्प माने जाते हैं। भारत ने इस वर्ल्ड कप से पहले 35 मैच में कुलदीप यादव, रवि बिश्नोई और युजवेंद्र चहल की रिस्ट स्पिन को ट्राई किया। वर्ल्ड कप स्क्वाड में अक्षर पटेल की लेफ्ट आर्म स्पिन, रविचंद्रन अश्विन की ऑफ स्पिन के अलावा चहल की लेग स्पिन गेंदबाजी को चुना भी गया। लेकिन टूर्नामेंट के 6 मैच जब हुए तो प्लेइंग-11 में चहल को मौका ही नहीं दिया गया। अश्विन और अक्षर को सभी मैच खेलाए गए। चहल के बगैर हमने पिछला T-20 वर्ल्ड कप गंवा दिया था लेकिन इस बार भी कोई सबक नहीं सीखा। अश्विन ने 6 मैच में 6 विकेट तो अक्षर ने 5 मैच में 3 ही विकेट लिए। इसका असर ये हुआ कि जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में तेज गेंदबाजों पर विकेट लेने का दबाव आया। तेज गेंदबाजों ने पावरप्ले और डेथ ओवर्स में विकेट भी लिए, लेकिन 7 से 15 ओवर के बीच टीम को विकेट नहीं मिल सके। भारत के पास उमरान मलिक जैसे एक्सप्रेस स्पीड तेज गेंदबाज भी नहीं थे, जो अपनी खौफनाक गति से बल्लेबाज को धमकाकर विकेट हासिल कर लेते।

टीम इंडिया ने एक ही साल के अंदर टी-20 में 4 और सभी फॉर्मेट में 8 खिलाड़ियों से कप्तानी कराई। टी-20 में रोहित शर्मा के अलावा ऋषभ पंत, केएल राहुल और हार्दिक पंड्या को भी कप्तानी दी गई। फ्यूचर कैप्टन डेवलप करने के हिसाब से टीम मैनेजमेंट का यह फैसला ठीक था, लेकिन इस फैसले के चलते वर्ल्ड कप की टीम में पंत, राहुल, पंड्या, रोहित और पूर्व कप्तान विराट कोहली समेत 5 इंटरनेशनल कप्तान खेल रहे थे। अब सवाल यह है कि जब वर्ल्ड कप सर पर था तो फ्यूचर कैप्टन डेवलप करने का क्या मतलब था? पहले वर्ल्ड कप जीत जाते, उसके बाद एक्सपेरिमेंट करते रहते। जब हार्दिक पंड्या बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे तो अगला कप्तान उन्हीं को बनना था। इस बीच में एक्सपेरिमेंट का नाटक क्यों किया गया?

वर्ल्ड कप से पहले के 35 मैचों में भारत ने ईशान किशन, संजू सैमसन, दिनेश कार्तिक, ऋषभ पंत और लोकेश राहुल से विकेट कीपिंग कराई। आखिर में टीम ने कार्तिक की फिनिशिंग स्किल्स पर भरोसा जताया। स्क्वाड में पंत को बैकअप कीपर के रूप में रखा गया। राहुल से केवल ओपनिंग कराई गई। कार्तिक ने शुरू के 4 मैच खेले और 14 रन बनाए। पंत ने आखिर के 2 मैच खेले। वह भी इनमें 9 रन ही बना सके। सेमीफाइनल में उन्होंने हार्दिक पंड्या की खातिर अपना विकेट कुर्बान कर दिया। भारत आखिर तक तय नहीं कर पाया कि कीपर के रूप में पंत को खेलाए या कार्तिक को। जब केएल राहुल लगातार बड़ी टीमों के खिलाफ छोटा प्रदर्शन कर रहे थे तो उनकी बजाय ऋषभ पंत को बतौर ओपनर वर्ल्ड कप में मौका क्यों नहीं किया गया?

टीम मैनेजमेंट ने कप्तानों और खिलाड़ियों के ये एक्सपेरिमेंट वर्क लोड को देखते हुए किए। मैनेजमेंट का मानना था कि टीम बहुत ज्यादा मैच खेलती है। ऐसे में किसी एक खिलाड़ी पर ज्यादा दबाव न आए, इसलिए ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को मौके दिए गए। इस मैनेजमेंट के बावजूद वर्ल्ड कप से ठीक पहले तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और ऑल राउंडर रवींद्र जडेजा चोट के चलते टूर्नामेंट नहीं खेल सके। वहीं, डेथ और मिडिल ओवर्स में विकेट लेने के स्पेशलिस्ट माने जाने वाले हर्षल पटेल को टीम ने टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं खेलाया। फिर पता नहीं क्यों टीम ने इतने एक्सपेरिमेंट कर लिए? हर्षल पटेल हमेशा से मिडिल ओवर्स में पार्टनरशिप तोड़ने के लिए जाने जाते हैं लेकिन वर्ल्ड कप में उनको टीम में रखकर भी प्लेइंग 11 में नहीं रखा गया।

कप्तान रोहित शर्मा का कहना था कि वे वर्ल्ड कप से पहले अपनी बेस्ट टीम खोज रहे हैं। इसलिए उन्होंने कई सारे प्लेयर्स को आजमाया। हालांकि टीम इंडिया आखिर तक एक्सपेरिमेंट ही करती रह गई। टूर्नामेंट निकल गया और हम एक तरह से बगैर लड़े हारकर घर वापसी कर रहे हैं। टीम इंडिया ने आखिरी टी-20 वर्ल्ड कप 2007, आखिरी वनडे वर्ल्ड कप 2011 और आखिरी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में जीती। 2013 के बाद भारत ने ICC के 8 मेगा टूर्नामेंट में 10 नॉक आउट मुकाबले खेले। इनमें 7 हारे और 3 जीते। इनमें भी 2 बार टीम ने बांग्लादेश को हराया। वहीं, एक बार 2014 टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका को हराया, लेकिन फाइनल में श्रीलंका से हार गए।

इससे पहले भारत ने 2015 के क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश को हराया, लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गए। फिर 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में भी बांग्लादेश को ही हराया, लेकिन फाइनल में पाकिस्तान से हार गए।इस तरह 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत के बाद से भारत ICC के किसी भी बड़े टूर्नामेंट की ट्रॉफी नहीं उठा सका। टीम को 7 बार जिन टीमों ने हराया। उनमें श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड शामिल हैं। न्यूजीलैंड ने तो इस दौरान 2 बार हमें नॉक आउट मुकाबले में हराया। पहले 2019 वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में और फिर 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भी मात दी।

पुराने सब दर्द दूर हो जाते, अगर हम इस बार टी-20 वर्ल्ड कप जीत जाते। पर अब आईपीएल का सहारा है। वहां ड्रीम 11 पर टीम बनाया जाएगा, फिर जोस बटलर और एलेक्स हेल्स को सस्ते में पवेलियन का रास्ता दिखाया जाएगा।

अगर टीम हित में बेहतर प्लेइंग 11 चुनते कोच-कप्तान

तो शर्मनाक शिकस्त के साथ बाहर नहीं होता हिंदुस्तान ❤️

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