मौत को मात देने वाले सियाचिन के जांबाज हनुमनथप्पा को 'किडनी' देगी ये महिला

Update: 2016-02-10 09:44 GMT

सियाचिन के जांबाज हनुमनथप्पा को 'किडनी' देगी ये महिला


नई दिल्ली : सियाचिन में छह दिनों तक भारी बर्फ के नीचे दबे रहे लांसनायक हनुमनथप्पा कोपड़ चमत्कारिक ढंग से मौत को मात देने में कामयाब रहे। हालांकि उनकी हालत अभी नाजुक बनी हुई है। इस बात की जानकारी दिल्ली स्थित आरआर अस्‍पताल की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन से हुई है।

सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग बुधवार को उनका हालचाल लेने के लिए सेना अस्पताल पहुंचे। उनकी सलामती के लिए देशभर में प्रार्थना की जा रही है। पूरा देश हनुमनथप्पा के लिए दुआएं मांगने में जुटा है।

सियाचिन के जांबाज हनुमनथप्पा को 'किडनी' देगी ये महिला

वहीं उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की एक महिला सरिता उर्फ निधि पांडेय ने मौत से जूझ रहे जवान को अपनी किडनी देने की पेशकश की है।

जानकारी के अनुसार सरिता उर्फ निधि पाण्डेय लखीमपुर खीरी के भीरा थाना इलाके में गांव पड़रिया तुला की रहने वाली हैं। निधि पाण्डेय के पति दीपक प्राइवेट बस के मैनेजर हैं और सोशल वर्कर के तौर पर गांव में प्रसिद्ध है। इनका एक 3 साल का बेटा भी है।सरिता उर्फ निधि ने बताया कि मेरे पति ने कई बार ब्लड भी डोनेट किया है। उन्होंने अपनी आंखें में डोनेट कर दी है। निधि ने बताया कि वह भी अपने पति से प्रेरित होकर उनके जैसा ही कुछ करना चाहती है। जब उसे न्यूज चैनल पर सियाचीन के बर्फीले तूफान से जिंदा निकले जवान के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे अपनी किडनी देने की पेशकश की।

इससे पहले, कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग हनुमनथप्पा को देखने दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल पहुंचे। वह करीब दस मिनट तक उनके समीप रहे। पीएम ने कहा कि वह अभूतपूर्व सैनिक हैं जिनके अदम्य साहस और धैर्य को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। मोदी ने कहा कि इस वीर सैनिक को बचाने का हर संभव प्रयास किया जाए।

हनुमानथप्पा का इलाज कई तरह के विशेषज्ञ मिलकर कर रहे हैं, जिनमें न्यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट, इंटेंसिविस्ट और सर्जन शामिल हैं। उसके रक्तचाप को सामान्य स्तर पर लाने के लिए कई दवाइयां दी जा रही हैं।

तीन फरवरी को सियाचिन ग्लेशियर में जबर्दस्त हिमस्खलन हुआ था। इसके बाद से ही लांस नायक हनुमानथप्पा कोप्पड़ सहित 19 मद्रास रेजीमेंट के 10 जवान लापता थे। हनुमंथप्पा सियाचिन में 6 दिन तक माइनस 45 डिग्री तापमान में दबे होने के बाद भी जिंदा निकल आये थे।

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