फारूक अब्दुल्ला बोले, वापसी के लिए कश्मीरी पंडितों के कोई हाथपांव नहीं जोड़ेगा
नई दिल्ली : “जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 26 वर्ष पहले घर छोड़ने के लिए मजबूर कश्मीरी पंडितों के अपने घरों को वापस नहीं लौटने का दोष आज कश्मीरी पंडितों के सिर पर ही मढ़ दिया।”
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, उन्हें इस बात का अहसास करना होगा कि कोई भीख का कटोरा लेकर उनके सामने आकर यह नहीं कहेगा कि आओ और हमारे साथ रहो। उन्हें कदम उठाना होगा। राज्य से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की कई पीढि़यों के दर्द की दास्तां और अपने पड़ोसी मुसलमानों के साथ सुकून की जिंदगी बसर करने की उनकी चाह को समेटती एक किताब के विमोचन के मौके पर अब्दुल्ला ने यह बात कही।
अब्दुल्ला ने कहा कि दिल्ली में अपने घर बना चुके कई कश्मीरी पंडितों ने उस समय उनसे आकर मुलाकात की थी जब जम्मू कश्मीर सरकार ने उनसे घाटी में वापस लौटने को कहा था। वे मुझसे मिलने आए और कहा, देखिए अब हमारे बच्चे यहां स्कूलों में पढ़ रहे हैं, हमारे माता पिता बीमार हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है। हम उन्हें पीछे छोड़कर नहीं आ सकते। इसलिए भगवान के लिए हमें यहीं रहने दें।
फारूक ने तर्क दिया, अंतिम बंदूक के खामोश होने तक का इंतजार मत करिए। घर आइए। उन्होंने साथ ही कहा, आप किसका इंतजार कर रहे हैं। इंतजार मत करिए। आप सोचते हैं कि फारूक अब्दुल्ला आएगा और आपका हाथ पकड़कर वहां ले जाएगा। अब्दुल्ला ने इस बात को रेखांकित किया कि पहला कदम उठाने तक यह मुश्किल रहेगा। उन्होंने कहा, हां, घर लौटने की जिम्मेदारी उनकी है।
अपने ही देश में रिफ्यूजी की तरह रहने को मजबूर: अनुपम खेर
फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों की वापसी पर कहा कि अपने ही देश में रिफ्यूजी की तरह रहना कितना दुखदायी होता है। उन्होंने कहा, 'मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन हालात बदलने चाहिए। मैं इसके लिए नेताओं को दोषी नहीं ठहरा रहा। हमें इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।