केजरीवाल सरकार द्वारा दानिक्स के दो अफसरों के निलंबन को केंद्र ने किया रद्द
नई दिल्ली : केजरीवाल सरकार द्वारा गृह विभाग के दो वरिष्ठ दानिक्स अधिकारियों के निलंबन को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के उक्त फैसले को गलत ठहराया है। उन अफसरों पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की बात नहीं मानी थी।
सत्येंद्र जैन ने केंद्र के इस फैसले पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि यह सब प्लांड है, क्या आइएएस अफसर भी कभी हड़ताल पर जाते हैं। मालूम हो कि केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय का कल ही फैसला आया था कि आइएएस अधिकारियों के निलंबन के लिए प्रधानमंत्री की स्वीकृति अनिवार्य होगी।
मालूम हो कि बुधवार को दिल्ली सरकार ने कैबिनेट के फैसले से संबंधित एक फाइल पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने पर दिल्ली के गृह विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया, जिसके बाद दिल्ली, अंडमान-निकोबार द्वीप सिविल सेवा (दानिक्स) कैडर के करीब 200 अधिकारियों ने अपने सहकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए गुरुवार को सामूहिक अवकाश पर जाने की धमकी दी थी।
दानिक्स अधिकारियों द्वारा एक दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा पर आज सुबह सत्येंद्र जैन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि उन्हें अधिकारियों के इस फैसले की जानकारी पहले नहीं थी। हालांकि अधिकारियों ने बुधवार को ही इस संबंध में घोषणा कर दी थी, लेकिन जैन ने दावा किया कि उन्हें इस बारे में आज सुबह ही जानकारी मिली। जैन ने निलंबित अफसरों पर आरोप लगाया कि वे उपराज्यपाल के इशारे पर काम कर रहे हैं।
कहां से शुरू हुआ मामला ?
सरकारी वकील और तिहाड़ जेल के कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का मामला है। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की मंजूरी लिए बिना कैबिनेट से पास करके उप-राज्यपाल के पास फाइल भेजी थी। LG ने नियमों का हवाला देकर बिना मंजूरी के इसे केंद्र सरकार के पास भेज दिया। सतेन्द्र जैन ने इन अधिकारीयों से इस सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी करने को कहा लेकिन नियमों को आधार बनाकर इसमें आनाकानी करने पर दिल्ली सरकार के गृह विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी यशपाल गर्ग और सुभाष चंद्रा नाम के दो DANICS अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था। एसोसिएशन ने दोनों के निलंबन का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी। DANICS का कहना है कि उसके अधिकारी के निलंबनका अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं है।
इस फैसले से सरकार और उपराज्यपाल के बीच फिर से तकरार बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि सीनियर अधिकारियों को सस्पेंड करने का अधिकार सिर्फ उपराज्यपाल को है, जो गृह मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद ही ऐसा कर सकते।