अभी अभी अमर सिंह हुए हाथी पर सवार, बसपा में हुए शामिल!

इस खबर को सुनकर सभी हैरान रह जायेंगे

Update: 2018-01-13 08:26 GMT

हाथरस: विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद निकाय चुनाव में संतुष्टि वाले नतीजे ने बसपा में नई ऊर्जा का संचार किया है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है। इसी के चलते पार्टी से बाहर चल रहे पूर्व विधायक अमर सिंह यादव को बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर एक बार फिर हाथी पर बिठा लिया गया है।


जोनल कॉर्डीनेटर रणवीर सिंह कश्यप ने यादव की बसपा में वापसी की घोषणा करने के साथ ही उन्हे सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। यह खबर मिलते ही पूर्व विधायक के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। 

पूर्व विधायक अमर सिंह यादव का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। अलीगढ़ के गाव देवी का नगला निवासी अमर सिंह यादव सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव 1993 में सपा-बसपा गठबंधन से लड़ा था और पहली ही बार में ऐतिहासिक जीत दर्ज करके समाजवादी पार्टी का खाता यहा खोला था। यह सपा की इस क्षेत्र से एक मात्र जीत साबित हुई थी। उसके बाद फिर सपा यहा से कभी जीत की दहलीज पार नहीं कर सकी।

1996 में सपा से टिकट नहीं मिला तो अमर सिंह यादव बागी हो गए और निर्दलीय चुनाव लड़ बैठे, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार नसीब हुई। 2002 में एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोंकी और जीत हासिल करके राजनीतिक पण्डितों को चौंका दिया। 2007 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सके। इसके बावजूद बसपा में सक्रिय बने रहे।

2012 में तत्कालीन ऊर्जामंत्री एवं हाथरस से विधायक रामवीर उपाध्याय को बसपा सुप्रीमो ने हाथरस सीट आरक्षित होने के कारण सिकंदराराऊ सीट से टिकट दे दिया, जिसका पूर्व विधायक अमर सिंह यादव ने विरोध किया। टिकट का विरोध करने पर बसपा सुप्रीमो ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालाकि कुछ दिन बाद ही फिर उन्हे बसपा में शामिल कर लिया गया। उसके बाद वह क्षेत्र से दूर बने रहे।

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर वह क्षेत्र में सक्रिय हुए और 2017 के चुनाव में बसपा से टिकट की माग की और जब बसपा ने टिकट उन्हे न देकर बनी सिंह बघेल को दे दी तो समर्थकों के कहने पर सिकंदराराऊ सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए। इसके बाद उन्हें बसपा ने एक बार फिर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया लेकिन उन्होंने तब भी पार्टी से निकाले जाने के बाद यही कहा था कि वह नीले झण्डे का दामन नहीं छोडें़गे। उन्होंने अपनी गाड़ी से नीला झण्डा कभी नहीं उतारा। निर्दलीय चुनाव लड़ने पर वह चुनावी रण में पिछड़ गये। इसके बावजूद क्षेत्र में सक्त्रिय बने हुए थे।
2001 में पूर्व विधायक पर लगी थी रासुका 
2001 में सिकंदराराऊ ब्लॉक प्रमुख का चुनाव काफी रोचक एवं संघर्षपूर्ण रहा था। जिसमें मतगणना के दौरान तहसील मुख्यालय पर जमकर बबाल हुआ था और पूर्व विधायक अमर सिंह यादव गिरफ्तार हुए थे। उनके ऊपर रासुका लगाई गई तथा उन्हें 11 महीने जेल में गुजारने पडे़। रासुका में निरुद्ध होना उनके राजनीतिक कैरियर में नया मोड़ लेकर आया। जेल से छूटने पर क्षेत्रीय जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और 11 महीने की जेलयात्रा स उपजी सहानुभूति की लहर के चलते निर्दलीय चुनाव लड़कर ही विजयरथ पर सवार हो गये थे। 
ब्रजमोहन राही बसपा जिलाध्यक्ष हाथरस न कहा बसपा सुप्रीमो बहिन मायावती के निर्देश पर पूर्व विधायक अमर सिंह यादव को जोनल कॉर्डीनेटर रणवीर सिंह कश्यप ने पार्टी में शामिल कराया है।
अमर सिंह यादव, पूर्व विधायक सिकंदराराऊ ने कहा कि गरीबों को न्याय दिलाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। बहिन मायावती के प्रति मेरी पहले भी पूर्ण निष्ठा थी। आगे भी उनका जो दिशा निर्देश होगा, पार्टी के लिए काम करूंगा।

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