यूपी कांग्रेस में जतिन के बाद मची खलबली, ज्यादातर ब्राह्मण हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम के साथ लामबंद

Update: 2021-06-10 09:07 GMT

उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जितिन प्रसाद के जाने के बाद कांग्रेस नेतृत्व को लगा झटका राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले 10 साल केंद्र सरकार में रहे मंत्री जितिन प्रसाद परिवार की विरासत संभालते थे. उनके पिता राजीव गांधी जी के काफी विश्वस्त रहे जिस तरह भाजपा नेतृत्व द्वारा उनको जॉइनिंग कराई गई उससे कांग्रेस नेतृत्व को उत्तर प्रदेश के आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा झटका लगा है.

इस झटके से उबरने के लिए कांग्रेसी नेतृत्व डैमेज कंट्रोल में जुट गया है जिस तरीके से अजय लल्लू को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस नेतृत्व को उनसे किसी करिश्मे की आस थी वह कई विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव में बुरी तरह फेल हो गए और उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का टीम प्रियंका गांधी एवं अजय लल्लू से प्रतिरोध बढ़ता गया. लिहाजा कार्यकर्ताओं और उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय लल्लू के बीच लगातार दूरियां बढ़ती गई राजनीतिक गलियारों में उत्तर प्रदेश को लेकर चर्चा है कि गांधी परिवार किसी ब्राह्मण चेहरे पर दाव लगा सकता है.

जिसमें उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष आराधना मिश्रा मोना और श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है सूत्रों की बात पर भरोसा करें तो अगले एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश कांग्रेस को एक ब्राह्मण अध्यक्ष मिल सकताहै.

अब बात यहीं नहीं रूकती है प्रदेश में जिस तरह से आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ब्राह्मणों की बात सर्वप्रथम उठाई उससे ब्राह्मण का एक बड़ा वर्ग उनके साथ खड़ा है. अगर कांग्रेस ने अन्य प्रदेशों की तरह यहाँ भी लापरवाही की तो प्रदेश में अपनी स्तिथि मजबूत करने की जगह और कमजोर कर लेगी. उसका कारण है जहाँ प्रदेश के ब्राह्मण अगर दस प्रतिशत कांग्रेस के साथ जुड़ता है तो मुस्लिम समाज के सबसे ज्यादा वोट कांग्रेस की तरफ मूव कर जाएगा और प्रदेश में पहली बार बीजेपी और कांग्रेस में चुनाव होगा. जबकि सपा कमजोर हो जाएगी. 

सूत्रों के अनुसार यह चर्चा भी जोरों पर हैं कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी अपनी बेटी को अजय लल्लू के स्थान पर किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अगला अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं इस बाबत उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर आराधना मिश्रा मोना को अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो प्रमोद तिवारी भी कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं. अब देखने लायक बात है कि कांग्रेस हाईकमान प्रमोद तिवारी की मांग के आगे झुकता है या पार्टी के हित में कोई ठोस फैंसला लेता है.

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