जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद बीजेपी से ऐसे पिछडी सपा-बसपा!

Update: 2019-08-06 06:58 GMT

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के ऐतिहासिक फैसले से अचानक देश के सबसे बड़े सूबे की सियासत में भी यू-टर्न देखने को मिल सकता है. केंद्र सरकार के इस फैसले से यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी को बड़े माइलेज की उम्मीद जगी है. खासकर प्रदेश में 13 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनावों में बीजेपी को उम्मीद है कि वह प्रमुख विपक्षी दलों को पीछे छोड़ने में कामयाब रहेगी.

दरअसल, उपचुनाव में अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए जी जान से जुटी बीजेपी को 'जम्मू-कश्मीर' के मुद्दे से एक बार फिर संजीवनी मिली है. लोकसभा चुनाव के बाद सपा-बसपा गठबंधन टूटने और मायावती के पहली बार उपचुनाव लड़ने के ऐलान से बीजेपी गदगद नजर आ रही थी, क्योंकि पार्टी को लगता है कि मतों के विभाजन का फायदा उसे मिलेगा. लेकिन, अब आर्टिकल 370 के समाप्त होने से भी उसके पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है, क्योंकि जनसंघ के जमाने से ही बीजेपी आर्टिकल 370 को लेकर संघर्ष करती रही है और जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने समाप्त कर देशवासियों की भावनाओं का ख्याल रखा है. पार्टी को लगता है कि उपचुनाव में इसका फायदा बीजेपी को अवश्य मिलेगा.

कार्यकर्ताओं में उत्साह

प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि यह पार्टी के लिए यह सैद्धांतिक विचारधारा से जुड़ा मुद्दा रहा है. विपक्ष से जुड़े हुए लोगों के मन में भी यह बात थी कि इस प्रश्न का समाधान क्यों नहीं निकल रहा है. आज ऐसे सभी प्रश्नों का समाधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दिया है. इससे हमारे समर्थकों और कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा है. साथ ही विपक्ष का मुंह बंद हुआ है.

सपा के लिए हो सकता है आत्मघाती

राकेश त्रिपाठी ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के रुख को आत्मघाती करार दिया. उन्होंने कहा, 'समाजवादी पार्टी का रुख उसके लिए आत्मघाती साबित होगा और निश्चित रूप से इससे बीजेपी को फायदा होगा. बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि वह जो कहती है वही करती है. एक बार फिर से सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का नारा साबित हुआ है. कश्मीर का मुद्दा हमारे लिए चुनावी घोषणा पत्र नहीं था. यह हमारे विचारधारा से जुड़ा मुद्दा था.'

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