मुसलमानों के साथ को बसपा करती रहेगी कोशिशें मायावती ने लिया संकल्प

बसपा की मालकिन मायावती ने यूपी को चार सेक्टरों में बाँटा

Update: 2019-11-07 08:24 GMT

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। सियासत में मायावती को बहुत बोल्ड फ़ैसले लेने के लिए जाना जाता है लेकिन मायावती का आज का अंदाज सियासी गलियारों में हज़म नहीं हो पा रहा है मुसलमानों को लेकर उनके रूख में बदलाव से यूपी की सियासत में बहुत बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है वैसे हिन्दुस्तान की सियासत में दलित की बेटी को हज़म नहीं किया जा सकता ये भी एक सच है फिर भी मायावती अतीत की ग़लतियों को दरकिनार कर एक बहुत बड़े तबके को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहती हैं यानी मुसलमान को।

हालाँकि यह काम बहुत आसान नहीं है क्योंकि एक तबका है जो यह काम न हो इस पर वर्क करता चला आ रहा है।लोकसभा चुनाव में गठबंधन फेल होने के बाद बसपा की सुप्रीमो मायावती ने सपा के मालिक अखिलेश यादव से सियासी नाता तोड़ एकला चलो वाले फ़ार्मूले पर चलने का फ़ैसला लिया था जिसके बाद सपा के मालिक अखिलेश यादव ने भी मजबूरन एकला चलो पर ही चलने का रोड मैप बनाया जिसमें सपा के मालिक अखिलेश यादव को कामयाबी और बसपा की मालकिन मायावती को नाकामी मिली थी जिसके बाद से क़यास लगाए जा रहे थे कि अब बसपा में बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाएगा वहीं हुआ उपचुनावों में मिली करारी हार से सीख लेते हुए बसपा की मालकिन मायावती ने संगठन में बहुत कुछ बदलाव किए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद कुंवर दानिश अली को हटाने के फ़ैसले को भी लिया वापिस फिर से कुंवर दानिश अली ही होंगे लोकसभा में नेता बसपा संसदीय दल।

जिस मज़बूती के साथ मायावती ने मुसलमानों के लिए बातें कहीं उस तरह का अंदाज मुसलमानों के लिए शायद पहली बार हो उन्होने कहा कि कुछ ताक़तें है जो मुसलमानों और हमारे बीच दूरियाँ बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे मैं कामयाब नहीं होने दूँगी। बसपा के लखनऊ स्थित मॉल एवेन्यू कार्यालय पर समीक्षा बैठक में बसपा की मालकिन मायावती बहुत ही तीखे अंदाज में थी।मायावती ने बसपा में अब कोओर्डिनेटर का पद समाप्त कर दिया है अब सिर्फ़ प्रदेश अध्यक्ष का पद होगा इसके साथ ही संगठन में ज़ोनल इंचार्ज का पद और मंडलवार व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है।पूरे प्रदेश को चार सेक्टरों में बाँटा गया है।

बसपा की मालकिन मायावती ने अब बसपा में सेक्टर व्यवस्था लागू की है पूरे प्रदेश के संगठन को चार सेक्टरों में बाँटा गया है पाँच-पाँच मंडलों के के दो सेक्टर बनाए गए हैं और चार-चार मंडलों के दो-दो सेक्टर बनाए गए सेक्टर व्यवस्था के तहत यूपी को चार सेक्टरों में बाँटकर बसपा अब काम करेंगी बैठक के दौरान मायावती ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र अभी से तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में बसपा की मालकिन मायावती ने बूथ और सेक्टरों की कमेटियों को सक्रिय करने का फ़ैसला लिया गया है इतना ही नहीं मायावती ने जलालपुर विधानसभा सीट पर हुई हार की बारीकी से समीक्षा की जलालपुर ही नहीं ऐसी कोई सी भी विधानसभा नहीं जिस पर मायावती ने बारीकी से समीक्षा न की हो।जिन मंडलों को बनाकर यूपी को सेक्टरों में बाँटा है उनमें सहारनपुर , मुरादाबाद , मेरठ , बरेली , व लखनऊ को एक सेक्टर में रखा गया है दूसरे सेक्टर में आगरा , अलीगढ़ , झाँसी , कानपुर व चित्रकूट तीसरे सेक्टर में इलाहाबाद , मिर्ज़ापुर , फ़ैज़ाबाद , व देवीपाटन चौथे सेक्टर में वाराणसी , आज़मगढ़ , गोरखपुर व बस्ती मंडलों को शामिल किया गया है।

अब सवाल उठता है कि क्या यह सब करने से बसपा को कोई सफलता मिल सकती है या नहीं। ग़ौरतलब है कि बसपा की सुप्रीमो को बहुत ही गंभीरता पूर्वक चलना होगा नहीं तो संकीर्णता से ग्रस्त लोगों ने आम जन के दिमाग़ में बसपा के ख़िलाफ़ बहुत ज़हर भर दिया है जो पहले भी था लेकिन अब जो हो रहा है उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं वैसे हालात ख़राब होने में बसपा की मालकिन मायावती का भी बड़ा रोल है सही लोगों से दूर रहना सच न सुनना ज़रा सी देर में किसी को भी बाहर कर देना कोई भी फ़ैसला लेना कुछ भी बयान देना जैसे 370 पर विपक्ष विरोध कर रहा था क्यों उसके पक्ष में आए क्या कोई सियासी लाभ था ऐसा भी नहीं लगता।

फिर तीन तलाक पर मोदी की भाजपा के सुर में सुर मिलाना गलती थी मोदी की भाजपा तो अपने वोटबैंक को सिर्फ़ यह दिखाना चाहती थी कि देखो हमारी सरकार है बस और कुछ नहीं वह कोई मुस्लिम औरतों को न्याय दिलाने की बात नहीं कर रही थी उस पर भी ग़लत संदेश गया क्या मिला यह सब करके सिवाय नुक़सान के मुसलमानों में खूब प्रचार किया गया कि यें बसपा और इसकी मालकिन मायावती भरोसे के लायक़ नहीं है संकीर्ण मानसिकता के लोग ये नहीं चाहते कि दलित की बेटी आगे बढ़े यह सब ध्यान में रखकर सियासत करनी होगी और भी बहुत कुछ बदलाव करने होंगे जैसे टिकटों के वितरण में आम धारणा बन गई है कि वहाँ का टिकट तो बिकता है।

ये नहीं होना चाहिए जबकि सच ये भी है कि सभी दलों में पैसा चलता है लेकिन वो मुद्दा नहीं बनेगा क्योंकि उन दलों को अगडी जातियाँ चला रही है और उनका पैसे लेने का तरीक़ा भी अलग है मीडिया में भी वही लोग हावी है जिसकी वजह से बसपा की बात को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है।बसपा की मालकिन मायावती को और बहुत कुछ बदलाव करने होंगे तब जाकर फिर से अपना लोहा मनवाया जा सकता है नहीं तो अब संकीर्ण मानसिकता के लोगों ने यह प्रचार शुरू कर दिया है कि बसपा अब गुज़रे दिनों की पार्टी बनने जा रही है। ख़ैर बसपा को मज़बूत बनाने के लिए और भी बहुत कुछ बदलाव करने होंगे यही सच है। नहीं तो संकीर्णता से ग्रस्त लोग अपनी रणनीति में कामयाब हो जाएँगे उसी से बसपा सुप्रीमो मायावती को बचना होगा यही पार्टी के लिए बेहतर होगा।

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